भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा कोई व्यापार समझौता: पीयूष गोयल
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पीयूष गोयल

भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा कोई व्यापार समझौता: पीयूष गोयल

पीयूष गोयल के बयानों से साफ है कि भारत अपनी व्यापार नीति में स्वायत्तता, संतुलन और दीर्घकालिक रणनीति पर कायम रहेगा. जहां पश्चिमी देश भारत पर रूस से ऊर्जा आयात घटाने का दबाव बना रहे हैं. वहीं भारत अपने हितों की रक्षा करते हुए विश्वसनीय और टिकाऊ वैश्विक साझेदारियों की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है.


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India Trade Deal: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि भारत किसी भी व्यापार समझौते (Trade Agreement) पर जल्दबाज़ी में हस्ताक्षर नहीं करेगा और न ही ऐसे किसी देश की शर्तें मानेगा जो भारत की व्यापारिक स्वतंत्रता को सीमित करती हो. यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत की संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य प्रमुख साझेदार देशों के साथ व्यापार वार्ताएं चल रही हैं.

बर्लिन ग्लोबल डायलॉग में बोलते हुए गोयल ने कहा कि व्यापारिक समझौते सिर्फ़ टैरिफ (शुल्क) या बाज़ार पहुंच तक सीमित नहीं होते, बल्कि विश्वास, दीर्घकालिक संबंध और वैश्विक सहयोग के लिए स्थायी ढांचे बनाने के बारे में होते हैं. भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच लंबे समय से मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन बाज़ार पहुंच, पर्यावरणीय मानकों और मूल के नियमों (rules of origin) पर मतभेद अब भी बने हुए हैं. इसी तरह अमेरिका के साथ भी बातचीत जारी है, जिसने भारतीय निर्यातों पर 50% तक टैरिफ लगा रखा है.

गोयल ने कहा कि नई दिल्ली किसी भी व्यापारिक वार्ता में “संतुलित और मापित दृष्टिकोण” अपनाएगा. उन्होंने यूरोपीय देशों की उन चिंताओं का ज़िक्र किया, जो भारत के रूसी तेल की ख़रीद को लेकर हैं. उन्होंने कहा कि भारत किसी भी व्यापारिक समझौते पर जल्दबाज़ी में हस्ताक्षर नहीं करेगा. यह केवल अगले छह महीनों के परिणामों का सवाल नहीं है. व्यापार केवल इस बात तक सीमित नहीं है कि हम अमेरिका को स्टील बेच पाएंगे या नहीं. गोयल ने दोहराया कि भारत का दृष्टिकोण दीर्घकालिक रणनीति पर आधारित है, न कि तत्कालिक दबावों या अल्पकालिक लक्ष्यों पर. व्यापार समझौते केवल टैरिफ पर नहीं, बल्कि विश्वास और रिश्तों पर आधारित होते हैं. ये व्यवसायों और भविष्य की साझेदारियों के बारे में होते हैं.

रूस से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी दबाव

यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका लगातार भारत पर यह दबाव बना रहे हैं कि वह रियायती दरों पर रूसी कच्चे तेल का आयात घटाए, क्योंकि पश्चिमी देशों का मानना है कि इससे यूक्रेन युद्ध में रूस को आर्थिक मदद मिलती है. हालांकि, भारत ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा है कि ऊर्जा सुरक्षा और सस्ती आपूर्ति सुनिश्चित करना उसकी प्राथमिकता है.

अमेरिका के साथ वार्ता में प्रगति

वहीं, गुरुवार को एक इंटरव्यू में गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ताएं आगे बढ़ रही हैं. उन्होंने बताया कि दोनों देशों की टीमें लगातार बातचीत कर रही हैं और वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने हाल ही में अमेरिकी समकक्षों से मुलाक़ात की है. गोयल ने कहा कि हम अमेरिका के साथ लगातार संवाद में हैं. हमारी टीमें सक्रिय हैं. हाल ही में वाणिज्य सचिव ने अमेरिका का दौरा किया और अपने समकक्षों से मुलाक़ात की. बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही एक न्यायसंगत और संतुलित समझौता हो सकेगा. भारत और अमेरिका का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है.

जर्मनी में भारत-ईयू एफटीए पर चर्चा

गोयल वर्तमान में जर्मनी के दौरे पर हैं, जहां वे भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (India-EU FTA) पर वार्ता कर रहे हैं. उन्होंने X पर लिखा कि जर्मनी के चांसलर के आर्थिक सलाहकार डॉ. लेविन होले से मिलना सुखद रहा. हमने भारत-जर्मनी सहयोग को मज़बूत करने के अवसरों पर चर्चा की. भारत-ईयू एफटीए पर भी सकारात्मक बातचीत हुई. दोनों पक्ष साझा समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं.

अमेरिका से भी बढ़ रही साझेदारी

इससे पहले 13 अक्तूबर को अमेरिका के नव-नियुक्त राजदूत सेर्जियो गोर ने वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल से मुलाक़ात की थी, जिसमें आर्थिक सहयोग और अमेरिकी निवेश बढ़ाने पर चर्चा हुई. गोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भेंट की और कहा कि भारत-अमेरिका संबंध और अधिक मज़बूत होते रहेंगे.

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