
'कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए', पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार विरोधी बिल का किया बचाव
Constitutional Amendment Bill 2025: प्रधानमंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून लेकर आई है और इस कानून के दायरे में खुद प्रधानमंत्री भी आते हैं.
PM Narendra Modi ने शुक्रवार को संसद में हाल ही में पेश किए गए उस संवैधानिक संशोधन विधेयक का बचाव किया, जिसमें केंद्र सरकार को किसी भी जेल में बंद मंत्री को बर्खास्त करने का अधिकार देने का प्रावधान है. बिहार के गया में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब कोई सरकारी कर्मचारी 50 घंटे से अधिक जेल में रहता है तो उसे खुद निलंबित कर दिया जाता है. उन्होंने सवाल उठाया कि फिर यही नियम प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों पर क्यों लागू नहीं होना चाहिए?
मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी 50 घंटे के लिए भी जेल चला जाए, चाहे वह ड्राइवर हो, क्लर्क हो या चपरासी, उसे तुरंत सस्पेंड कर दिया जाता है. लेकिन एक मुख्यमंत्री, मंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री भी जेल से सरकार चला सकता है। यह कहां का न्याय है?
प्रधानमंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून लेकर आई है और इस कानून के दायरे में खुद प्रधानमंत्री भी आते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले हमने देखा कि जेल से ही फाइलों पर दस्तखत हो रहे थे, आदेश जारी हो रहे थे. जब नेताओं की यही सोच होगी तो देश भ्रष्टाचार से कैसे लड़ेगा? हमने एक ऐसा कानून लाया है, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल है.
विवादित विधेयक
गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए, जिनमें से एक संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 भी शामिल है. इस विधेयक में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री किसी भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध के आरोप में 30 दिन तक निरंतर हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटाया जा सकता है. इसके साथ ही शाह ने संघ शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 भी संसद में पेश किए।
विपक्ष ने इन विधेयकों को संविधान विरोधी बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि इन विधेयकों से केंद्र सरकार को आरोप मात्र के आधार पर मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का अधिकार मिल जाएगा, जिसे ईडी या सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों के जरिए दुरुपयोग किया जा सकता है.
बिल पेश करते समय लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके बाद सरकार ने इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का फैसला किया. अब यह समिति अपनी रिपोर्ट संसद के अगले सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन तक प्रस्तुत करेगी, जिससे इस पर निर्णय लगभग तीन महीने के लिए टल गया है. अगला सत्र नवंबर के तीसरे सप्ताह में बुलाए जाने की संभावना है.