NEP विवाद: केंद्र-तमिलनाडु में मचे घमासान के बीच पीएम मोदी का बयान, भाषाओं में नहीं रही कभी दुश्मनी
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NEP विवाद: केंद्र-तमिलनाडु में मचे घमासान के बीच पीएम मोदी का बयान, 'भाषाओं में नहीं रही कभी दुश्मनी'

PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की भाषाओं के बीच कभी भी कोई शत्रुता नहीं रही है. भाषाएं हमेशा एक-दूसरे को प्रभावित और समृद्ध करती रही हैं.


NEP controversy: केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच भाषा नीति को लेकर विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की भाषाओं के बीच कभी भी कोई शत्रुता नहीं रही है. क्योंकि ये एक-दूसरे को प्रभावित और समृद्ध करती हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली के विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की भाषाओं के बीच कभी भी कोई शत्रुता नहीं रही है. भाषाएं हमेशा एक-दूसरे को प्रभावित और समृद्ध करती रही हैं. अक्सर, जब भाषाओं के आधार पर विभाजन करने की कोशिश की जाती है तो हमारी साझा भाषाई धरोहर एक मजबूत विरोधी तर्क प्रदान करती है. यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम इन गलतफहमियों से दूर रहें और सभी भाषाओं को अपनाएं और उन्हें समृद्ध करें. यही कारण है कि आज हम देश की सभी भाषाओं को मुख्यधारा की भाषाओं के रूप में देख रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सभी प्रमुख भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, जिसमें मराठी भी शामिल है. मोदी ने यह भी बताया कि सरकार यह कोशिश कर रही है कि अंग्रेजी की कमी के कारण जो प्रतिभाएं अनदेखी हो जाती थीं, उन्हें अब बेहतर अवसर मिलें. हम सभी प्रमुख भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसमें मराठी भी शामिल है. महाराष्ट्र के युवाओं के लिए अब मराठी में उच्च शिक्षा, इंजीनियरिंग और मेडिकल अध्ययन करना आसान हो गया है. हमने उस मानसिकता को बदल दिया है, जो अंग्रेजी में दक्षता की कमी के कारण प्रतिभाओं को नजरअंदाज करती थी. हम सभी कहते हैं कि साहित्य समाज का आईना होता है।. यह समाज की दिशा भी निर्धारित करता है. इसलिए साहित्य सम्मेलन और साहित्य से जुड़े संस्थान देश में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

NEP पर विवाद

प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान सीधे तौर पर तमिलनाडु सरकार को लक्षित नहीं था. लेकिन यह उस समय आया है जब केंद्र और डीएमके-नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार के बीच NEP 2020 की तीन भाषा नीति को लेकर विवाद चल रहा है.

यह विवाद NEP 2020 में उल्लिखित 'तीन भाषा' नीति से जुड़ा है यानी कि हिंदी, अंग्रेजी और एक क्षेत्रीय भाषा.

शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने डीएमके-नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार से आग्रह किया कि वह भाषा विवाद को लेकर राजनीति से ऊपर उठे. धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने उन्हें राजनीतिक भेदभाव से ऊपर उठकर यह सोचने के लिए कहा कि नए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का लाभ तमिलनाडु के युवा छात्रों को कैसे हो सकता है. प्रधान ने यह पत्र स्टालिन द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र के जवाब में लिखा. डीएमके ने यह संकेत दिया था कि तमिलनाडु से NEP और तीन भाषा नीति के तहत हिंदी लागू करने को कहा गया है और इसके बदले राज्य को केंद्र से उसके हिस्से की उचित फंडिंग मिलेगी.

'हिंदी थोपने' का मुद्दा

धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पर "प्रगतिशील सुधारों को राजनीतिक naratives को बनाए रखने के लिए धमकी में बदलने" का आरोप लगाया. बता दें कि 'हिंदी थोपने' का मुद्दा तमिलनाडु में लंबे समय से विवादित रहा है और डीएमके ने 1965 में हिंदी के थोपे जाने के खिलाफ एक विशाल आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसमें कई कार्यकर्ताओं ने आत्महत्या की थी.

स्टालिन का जवाब

धर्मेंद्र प्रधान के जवाब में तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि राज्य केवल अपनी दो-भाषा नीति तमिल और अंग्रेजी का पालन करेगा और यह कि राज्य केवल अपनी हिस्सेदारी का उचित हिस्सा केंद्र से मांग रहा है. जो उसने टैक्स के रूप में भुगतान किया है.

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