पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा: कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से आखिर क्यों है महत्वपूर्ण?
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पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा: कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से आखिर क्यों है महत्वपूर्ण?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन यात्रा इस अंतहीन संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने में भारत को एक संभावित मध्यस्थ के रूप में स्थापित करेगी.


PM Modi Ukraine Visit: भारतीय राजनयिकों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शुक्रवार को होने वाली यूक्रेन यात्रा इस अंतहीन संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने में भारत को एक संभावित मध्यस्थ के रूप में स्थापित करेगी. यूक्रेन युद्ध दो साल से ज़्यादा समय से चल रहा है. यूरोप और उसके बाहर के देशों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद, इसके जल्द ख़त्म होने के कोई संकेत नहीं हैं. वहीं, विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम संघर्ष से जुड़े सभी पक्षों के संपर्क में हैं.

यूक्रेन में पहले भारतीय प्रधानमंत्री

मोदी ने पिछले महीने रूस का दौरा किया था और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संघर्ष पर चर्चा की थी. वहीं, कीव की उनकी यात्रा 30 साल से भी ज़्यादा समय पहले दोनों पक्षों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी. यूक्रेन से पहले मोदी पोलैंड में दो दिन बिताएंगे. यह वह देश है, जिसके साथ भारत राजनयिक संबंध स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ मना रहा है.

भारत-पोलैंड संबंधों में मजबूती

मोदी 45 वर्षों में पोलैंड की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री भी होंगे. पोलैंड यूरोपीय संघ की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और मध्य यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. मोदी की दो दिवसीय पोलैंड यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक और सैन्य सहयोग बढ़ने की संभावना है. यह यात्रा 22 अगस्त को समाप्त होगी.

यूक्रेन यात्रा पर सबकी निगाहें

मोदी की यूक्रेन यात्रा ने भारत और अन्य जगहों पर राजनयिकों का ध्यान खींचा है. इस यात्रा का उद्देश्य रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष में भारत को प्रासंगिक बनाए रखना और अपने लिए एक ऐसी जगह बनाना है, जहां चीन और ब्राजील जैसे देशों के बीच नई दिल्ली युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए एक संभावित मध्यस्थ बन सके. चीन, विशेष रूप से मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए उत्सुक रहा है. उसने एक शांति योजना प्रस्तावित की है, जिसे उसने रूस और यूक्रेन के साथ शेयर किया है.

यूक्रेन में चीन का प्रभाव

चीन ने मार्च 2023 में लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी ईरान और सऊदी अरब के बीच दुश्मनी को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया था. इसके बाद उसने इस साल की शुरुआत में प्रतिद्वंद्वी फिलिस्तीनी गुटों, फिलिस्तीनी प्राधिकरण और हमास के बीच शांति स्थापित की. हालांकि, भारत यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने का श्रेय चीन को देने का इच्छुक नहीं है. ऐसे समय में जब चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में भारतीय भूमि पर कब्जा कर रहे हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी आक्रामकता देशों के बीच गंभीर चिंता पैदा कर रही है. रूस का एक करीबी रणनीतिक साझेदार भारत, मास्को की निंदा करने या उसके खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों को लागू करने में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ शामिल नहीं हुआ.

मोदी-जेलेंस्की की मुलाकात

फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने बार-बार बातचीत के जरिए युद्ध समाप्त करने का आह्वान किया है. अमेरिका और उसके सहयोगियों के विपरीत, जिन्होंने अपने राष्ट्रपति वोलोमीदिर ज़ेलेंस्की को अपने यहां आयोजित सभी प्रमुख बैठकों को संबोधित करने की अनुमति दी थी. भारत ने उन्हें पिछले वर्ष सितम्बर में नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन से बाहर रखा था. मोदी पिछले दो वर्षों में ज़ेलेंस्की से मिलते रहे हैं. सबसे हाल ही में जून में इटली में जी-7 के आउटरीच शिखर सम्मेलन में.

मोदी वाशिंगटन को खुश कर रहे हैं?

यह पहली बार होगा जब वह यूक्रेनी धरती पर ज़ेलेंस्की से शांति के बारे में बात करेंगे. यह यात्रा ऐसे समय में होगी, जब यूक्रेनी सेना ने रूसी क्षेत्र में नाटकीय ढंग से घुसपैठ की है, जिससे पुतिन को गंभीर रूप से शर्मिंदगी उठानी पड़ी है. विशेषज्ञों का एक वर्ग तर्क देता है कि मोदी अमेरिकियों को खुश करने तथा अमेरिकी सरकार को यह आश्वासन देने के लिए कीव जा रहे हैं कि रूस के साथ संबंध बनाए रखने के बावजूद भारत वाशिंगटन के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

मोदी की यात्रा से नाराजगी

जुलाई में मोदी की मास्को यात्रा ने पश्चिम में कूटनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था. क्योंकि यह यात्रा वाशिंगटन में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी, जिसकी मेजबानी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के लिए समर्थन मजबूत करने के लिए की थी. मोदी की यात्रा ने रूस को अलग-थलग करने की योजना को विफल कर दिया. क्रेमलिन ने इस यात्रा को इस बात का सबूत बताया कि पुतिन को पश्चिम के बाहर भी समर्थन हासिल है. मोदी और पुतिन की गले मिलने की तस्वीरों ने अमेरिका और यूक्रेन में आक्रोश पैदा कर दिया. मोदी पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने मॉस्को यात्रा का समय नाटो शिखर सम्मेलन के महत्व को कम करने के लिए चुना.

जेलेंस्की की मोदी की आलोचना

ज़ेलेंस्की ने तब कहा था कि यह देखना निराशाजनक है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता मॉस्को में दुनिया के सबसे कुख्यात अपराधी को गले लगा रहा है. यात्रा के दौरान यूक्रेन के एक स्कूल पर मिसाइल हमले में बच्चों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद मोदी को पुतिन से कहना पड़ा कि यह युद्ध का युग नहीं है. इस टिप्पणी को पश्चिम में यूक्रेन में रूसी राष्ट्रपति की आक्रामकता की निन्दा के रूप में देखा गया था.

क्या मोदी का दौरा सार्थक है?

संशयवादियों को संदेह है कि मोदी के प्रयास का कोई वास्तविक मूल्य होगा. क्योंकि यूक्रेन में शांति की कुंजी वाशिंगटन में निहित है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना उनकी प्राथमिकताओं में से एक होगा. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यदि उनकी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस नई अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाती हैं तो क्या होगा?

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