दृष्टि, दिशा और दृढ़ता, बिना नाम लिए पीएम मोदी दे गए कई संदेश
राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवड़िया, गुजरात में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर लोगों को एकता की शपथ दिलाई।
National Unity Day: मैं सत्यनिष्ठा से शपथ लेता हूं कि मैं राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करूंगा। इन शब्दों के साथ गुजरात के केवड़िया में पीएम मोदी ने शपथ दिलाई। एकता के इस मंत्र को हमें कभी भी कमजोर नहीं पड़ने देना है। हर झूठ का मुकाबला करना है, एकता के मंत्र को जीना है।ये एकता, तेज आर्थिक विकास के लिए, विकसित भारत बनाने के लिए, समृद्ध भारत बनाने के लिए जरूरी है।ये एकता, सामाजिक सद्भाव की जड़ी बुटी है। एकता बनाए रखना है। आइए, हम एक होकर एक साथ आगे बढ़ें।
'उन्हें पता चल गया है अब..'
आतंकवादियों के 'आकाओं' को अब पता चल गया है कि भारत को नुकसान पहुँचाने से कोई फ़ायदा नहीं मिलने वाला, क्योंकि भारत उन्हें नहीं छोड़ेगा!पूर्वोत्तर ने कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन हमने संवाद, विश्वास और विकास के ज़रिए अलगाववाद की आग को बुझाया है।बोडो और ब्रू-रियांग समझौतों ने शांति और स्थिरता स्थापित की है।त्रिपुरा के नेशनल लिबरेशन फ्रंट के समझौते ने लंबे समय से चली आ रही अशांति को समाप्त कर दिया है।भारत शांति, विकास और समृद्धि के साथ आगे बढ़ रहा है।
शक्ति और शांति दोनों को समझते हैं
आज हमारे सामने एक ऐसा भारत है, जिसके पास दृष्टि भी है, दिशा भी है और दृढ़ता भीहै। ऐसा भारत...जो सशक्त भी है और समावेशी भी है।जो संवेदनशील भी है और सतर्क भी है।जो विनम्र भी है और विकसित होने की राह पर भी है।जो शक्ति और शांति दोनों का महत्व जानता है।
आज पूरे देश को खुशी है कि आजादी के सात दशक बाद देश में एक देश और एक संविधान का संकल्प भी पूरा हुआ है। सरदार साहब को मेरी ये सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।70 साल तक बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान पूरे देश में लागू नहीं हुआ था। संविधान की माला जपने वालों ने संविधान का ऐसा घोर अपमान किया था। कारण था, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 की दीवार।अनुच्छेद-370 को हमेशा-हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दिया गया है। पहली बार वहां इस विधानसभा चुनाव में बिना भेदभाव के मतदान किया गया।
पहली बार वहां के मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान की शपथ ली है। ये दृश्य भारत के संविधान निर्माताओं को अत्यंत संतोष देता होगा, उनकी आत्माओं को शांति मिलती होगी और ये संविधान निर्माताओं को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है।
विकास और भरोसा ही
विकास और विश्वास की एकता ही एक भारत-श्रेष्ठ भारत के निर्माण को गति देती है। हमारी हर योजना में, हमारी हर नीति में और हमारी नीयत में एकता हमारी प्राण शक्ति है। इसे देखकर सरदार साहब की आत्मा जहां भी होगी, हमें अवश्य ही आशीर्वाद देती होगी। एक सच्चे भारतीय होने के नाते, हम सभी का कर्तव्य है कि हम देश की एकता के हर प्रयास को celebrate करें। उत्सव, उमंग से भर दें। ऊर्जा, आत्मविश्वास, हर पल नए संकल्प, नई उम्मीद, नई उमंग... यही तो celebration है।
बीते 10 वर्ष का कालखंड भारत की एकता और अखंडता के लिए अभूतपूर्व उपलब्धियों से भरा रहा है। आज सरकार के हर काम, हर मिशन में राष्ट्रीय एकता की प्रतिबद्धता दिखती है।जब भारत को आजादी मिली थी, तब दुनिया में कुछ लोग थे जो भारत के बिखरने का आकलन कर रहे थे। उन्हें जरा भी उम्मीद नहीं थी कि सैकड़ों रियासतों को जोड़ कर एक भारत का निर्माण हो पाएगा, लेकिन सरदार साहब ने ये करके दिखाया। ये इसलिए संभव हुआ क्योंकि सरदार साहब व्यवहार में यथार्थवादी, संकल्प में सत्यवादी, कार्य में मानवतावादी और ध्येय में राष्ट्रवादी थे।