
मालेगांव केस में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा का आरोप-'मोदी और अन्य नेताओं का नाम लेने के लिए दी यातना'
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए टॉर्चर किया गया; कांग्रेस पर भगवा पार्टी को बदनाम करने के लिए 'फर्ज़ी मुकदमे' की साजिश रचने का आरोप लगाया।
मालेगांव विस्फोट मामले में बरी हुई पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शनिवार (2 अगस्त) को दावा किया कि उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य नेताओं का नाम जबरन टॉर्चर करवा कर लिया गया। पत्रकारों से बात करते हुए ठाकुर ने कहा कि टॉर्चर करने वाले लोग बार-बार कहते थे, "इनका नाम लो, तभी मारना बंद करेंगे।"
"सारी जानकारी लिखित में दी"
ठाकुर ने कहा, “मैंने सारी जानकारी लिखित में दी है और उन सभी लोगों के नाम भी लिखे हैं, जिन्हें मुझे जबरन फंसाने को कहा गया। वो लोग कहते थे, इनका नाम ले लो, तभी छोड़ेंगे। उनका मकसद मुझे टॉर्चर करना था।”
ठाकुर ने आगे आरोप लगाया कि कांग्रेस इस "झूठे मामले" के पीछे थी, जो कि एक "बड़ी साज़िश" के तहत भगवा दल और सेना को बदनाम करने के लिए रची गई थी।
धर्म की जीत बताई
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ठाकुर ने अपने बरी होने को "धर्म की जीत" बताया और कांग्रेस को "धर्मविरोधी" करार दिया। उन्होंने कहा, “ये पार्टी आतंकवादियों को पालती है। कांग्रेस कभी राष्ट्रवादी पार्टी नहीं बन सकती।”
ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें इलाज तक नहीं दिया गया, जिससे उनकी वर्तमान स्थिति और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि वे अब "भीतर से पूरी तरह कमजोर" हो गई हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ठाकुर सहित छह अन्य आरोपियों को मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने मालेगांव विस्फोट मामले में बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उनके खिलाफ कोई "विश्वसनीय और ठोस सबूत" नहीं पाया गया।
17 साल बाद बरी
करीब 17 साल पहले, 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में रखे विस्फोटक के धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हो गए थे।
जज की टिप्पणियां
विशेष एनआईए जज ए. के. लाहोटी ने अभियोजन पक्ष की जांच में कई खामियों की ओर इशारा किया और कहा कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विस्फोट तो साबित हुआ लेकिन अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि बम प्रज्ञा ठाकुर की मोटरसाइकिल पर ही रखा गया था।