सड़क से संसद तक भाई-बहन एक संग, कांग्रेस को कितनी मिलेगी ताकत?
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सड़क से संसद तक भाई-बहन एक संग, कांग्रेस को कितनी मिलेगी ताकत?

अभी तक प्रियंका गांधी और राहुल गांधी साथ साथ सड़क पर दिखाई देते थे। लेकिन अब लोकसभा में भी साथ नजर आएंगे।


Priyanka Gandhi News: सड़क पर, रैलियोें में आप सबने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को एक साथ देखा होगा। ग्रैंड ओल्ड मैन पार्टी यानी कांग्रेस की मजबूती के लिए वो कदम ताल करते नजर आते हैं। 2014 में केंद्र यानी दिल्ली से विदाई के बाद कांग्रेस पार्टी चुनौतियों के सागर में डुबकी लगा रही है। कांग्रेस की कश्ती चुनावी भंवर को पार करते हुए मंजिल तक पहुंचे इसकी जिम्मेदारी इन दोनों चेहरों पर है। आपको लग रहा होगा कि क्या कांग्रेस का मतलब सिर्फ सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी हैं क्या। दरअसल इसके पीछे वजह बेहद साफ है, कांग्रेस के नेता खुद अपनी सभी मर्ज की दवा गांधी परिवार में ही ढूंढते नजर आते हैं। अब संसद में भाई बहन के एक साथ दिखाई देने का अर्थ यह है कि प्रियंका गांधी भी राहुल गांधी की तरह अपनी पार्टी की बात को जनता के सामने रख सकेंगी। इसका एक छोटा सा उदाहरण आप ऐसे समझ सकते हैं। केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि अब पार्टी और केरल की आवाज और बुलंद होगी।

वायनाड से सांसद है प्रियंका गांधी
आम चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने दो संसदीय क्षेत्र से किस्मत आजमाई थी। पहला केरल का वायनाड, दूसरा यूपी का रायबरेली। दोनों जगहों से जीत दर्ज करने के बाद सवाल उठ रहे थे कि राहुल गांधी किस सीट को अपने पास रखेंगे। हालांकि यह खुला सवाल था, दरअसल यह सबको पता है कि संसदीय व्यवस्था में उत्तर प्रदेश का महत्व क्या है. लिहाजा आगे की गुणा गणित का आकलन कर राहुल गांधी ने वायनाड को अलविदा तो कहा कि लेकिन यह भी संदेश दिया कि वायनाड तो दिल में बसता है।


राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद यह सवाल उठा कि कांग्रेस की तरफ से अगला उम्मीदवार कौन। देश ते हर कोने से कांग्रेस के संगठन से नारा लगा कि प्रियंका गांधी से बेहतर कौन। प्रियंका गांधी ने औपचारिक तौर पर वायनाड से पर्चा भर सियासी पारी को एक और आकार दिया। वायनाड की जनता ने उन्हें निराश नहीं किया। राहुल गांधी से अधिक मतों से विजयी बनाकर लोकसभा पहुंचा दिया। यहां हम चर्चा करेंगे कि इससे कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचेगा।

क्या कहते हैं जानकार
सियासत में राजनीतिक दलों के जीवन में उतार चढ़ाव का दौर चला करता है। इस समय कांग्रेस कमजोर है। अगर सूबों में सरकार की बात करें तो कुछ राज्यों में अपने दम पर कुछ जगह पर गठबंधन की सरकार है। सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस मजबूती के साथ क्यों नहीं खड़ा हो पा रही है। सियासत के जानकार कहते हैं कि अगर आपका संगठन जमीन पर कमजोर है तो अच्छे वक्ता, अच्छी रणनीति भी असर नहीं दिखा सकती। कांग्रेस के सामने दरअसल संगठन की कमजोरी है। साल 2014, 2019 और 2024 के नतीजों को देखें तो कांग्रेस को जादुई आंकड़ा 272 को छूने में और संघर्ष करना है। जादुई आंकड़ा 272 का अर्थ यह है कि किसी भी दल या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए इतने सांसदों की जरूरत पड़ती है। मौजूदा समय में कांग्रेस इस आंकड़े से 172 सांसद पीछे है। यानी कि 172 के इस गैप को भरने के लिए उसे अपने संगठन में जोश भरना होगा।

यदि आप झारखंड की बात करें, यूपी की बात करें, तमिलनाडु की बात करें, बिहार की बात करें, महाराष्ट्र पर नजर डालें तो इसकी भूमिका बैक बेंचर की तरह है। यानी फ्रंट पर आकर वो बीजेपी का मुकाबला करने में असमर्थ नजर आ रही है। अगर आप हाल ही में हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों को देखें तो जीत हासिल करने के बेहतर अवसर थे। लेकिन गुटबंदी में ये दोनों राज्य हाथ से निकल गए। ऐसी सूरत में लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में ऐसे चेहरों का होना जरूरी है जो मोदी सरकार की नीतियों की मुखालफत कर यह संदेश भेजे की हम जिंदा है। अब प्रियंका गांधी मुखर वक्ता हैं। जाहिर सी बात है कि संसद में वो प्रभावी तरीके से अपने पार्टी के पक्ष को रखकर अपने कार्यकर्ताओं और जनता को संदेश देंगी कि हम और हमारी पार्टी अभी जिंदा है।

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