पुणे पोर्श केस में एक और ट्विस्ट, आरोपी को खिलाया गया पिज्जा-बर्गर
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पुणे पोर्श केस में एक और ट्विस्ट, आरोपी को खिलाया गया पिज्जा-बर्गर

पुणे पोर्श कांड में एक और ट्विस्ट आ चुका है. बहुजन वंचित विकास अघाड़ी के प्रकाश आंबेडकर ने यरवडा पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.


पुणे पोर्श केस में अब हर रोज एक से बढ़कर एक खुलासे हो रहे हैं. नाबालिग के पिता ने दावा किया है कि हादसे के समय ड्राइविंग सीट पर उसका बेटा नहीं बल्कि ड्राइवर गाड़ी चला रहा था. वैसे गिरफ्तार बाप का तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा, लेकिन अब इसमें एक और ट्विस्ट आ चुका है. पुलिस अब मौका- ए-वारदात से लेकर पुलिस स्टेशन में जो कुछ हुआ उसकी भी जांच करेगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की जांच की जिम्मेदारी एसीपी अश्विनी राख करेंगे. बता दें कि इस कांड के बारे में यरवडा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी.

पोर्श मामले में आरोपी और पुलिस की लापरवाही पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. मसलन आरोपी की मेडिकल परीक्षण में देरी हुई. हालांकि वो पहले होना चाहिए था क्योंकि घटनास्थल पर जो चश्मदीद थे उनके मुताबिक पोर्श में सवार तीनों युवक अल्कोहल का सेवन किए हुए थे. मेडिकल परीक्षण में इसलिए देरी की गई कि अल्कोहल के साक्ष्य को मिटाया जा सके.



अब इस मामले में बहुजन वंचित अघाड़ी के प्रकाश आंबेडकर ने दावा किया कि आरोपी को बचाने की पुरजोर कोशिश की गई. थाने में उसे पिज्जा और बर्गर खाने के लिए दिया गया. पुलिस स्टेशन के अधिकारी इस बात में ज्यादा व्यस्त रहे कि बाइक सवाक आईटी प्रोफेशनल अनीश और अश्विनी के बीच संबंध क्या थे. उन्होंने आरोपी से पूछताछ की ना तो जहमत उठाई बल्कि मेडिकल एग्जामिनेशन को टालते रहे. यहीं नहीं पिज्जा और बर्गर खिलाए.इस तरह यह प्रणाली विशेषाधिकार प्राप्त और अमीर लोगों को लाभ पहुंचाती है. प्रकाश आंबेडकर ने कुल 6 सवाल भी पूछे.

  • एक नाबालिग को क्लब में शराब कैसे परोसी गई?
  • शोरूम ने बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के गाड़ी कैसे जारी कर दी?
  • वाहन ट्रैफिक पुलिस की नजर में कैसे नहीं आ पाया?
  • आरोपी को जमानत कैसे मिल गई और उसे किशोर हिरासत में नहीं भेजा गया?
  • 8 घंटे बाद क्यों किया गया अल्कोहल टेस्ट?
  • क्या डिप्टी सीएम पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए पुणे आए थे या यह सुनिश्चित करने के लिए कि बिल्डर का बेटा छूट जाए?

हर तरफ से हंगामे के बाद अधिकारी हरकत में आए हैं, इसलिए नहीं कि अधिकारियों को लगा कि ऐसा करना सही है।यदि अधिकारियों को अंततः वह करने के लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए जो उन्हें करना चाहिए था, तो वह पुणे के नागरिक हैं. अंजू और मैं माता-पिता हैं। एक बच्चे को खोना एक ऐसा दर्द है, जो किसी और दर्द से कम नहीं है। हमारी संवेदना पीड़ितों के माता-पिता के प्रति है.

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