44 लाख नए वोटर कैसे जुड़े? महाराष्ट्र चुनाव पर राहुल ने उठाए गंभीर सवाल
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44 लाख नए वोटर कैसे जुड़े? महाराष्ट्र चुनाव पर राहुल ने उठाए गंभीर सवाल

Electoral Rigging: प्रेम शंकर झा ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ कांग्रेस की नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष और भारतीय लोकतंत्र की लड़ाई है. उनका सुझाव है कि अगर चुनाव आयोग फॉर्म 7 को रद्द नहीं करता तो विपक्ष को जमीनी स्तर पर हर बूथ पर निगरानी करनी होगी.


Irregularities in Voter List: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में अखबार में प्रकाशित एक लेख में दावा किया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में व्यापक स्तर पर धांधली हुई थी. राहुल गांधी का आरोप है कि चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच 'मैच फिक्सिंग' जैसी स्थिति थी, जिसमें बड़ी संख्या में फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़कर चुनावी नतीजों को प्रभावित किया गया.

उन्होंने दावा किया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच महज कुछ महीनों में लाखों नए मतदाताओं के नाम जोड़ दिए गए. जबकि इतनी तेजी से जनसंख्या वृद्धि या मतदाता संख्या में बदलाव संभव नहीं था. विशेष तौर पर नागपुर जिले के कांपटी सीट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वहां अकेले 5 महीने में 35,000 मतदाता जोड़े गए, जिससे भाजपा को 56,000 वोटों की बढ़त मिली.

राहुल गांधी के आरोपों का चुनाव आयोग ने जोरदार खंडन किया. आयोग ने कहा कि यह मतदाता संख्या में वृद्धि सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा थी और कांग्रेस को समय-समय पर सभी जरूरी आंकड़े मुहैया कराए गए थे. साथ ही यह भी कहा गया कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान कोई औपचारिक शिकायत नहीं की थी.

वहीं, भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी पर झूठे आरोप लगाने और अपनी हार का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अपनी पार्टी की असफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए बेबुनियाद बातें कर रहे हैं.

इस पूरी बहस के बीच वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर झा ने भी एक लेख में राहुल गांधी के दावों का समर्थन किया और गंभीर सवाल उठाए. झा का कहना है कि महाराष्ट्र में मतदाता सूची में 44 लाख नए नाम जोड़े गए. जबकि 2014 में ऐसे ही अंतराल में केवल 11 लाख नाम जुड़े थे. उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश की बर्थ रेट और जनसंख्या वृद्धि दर कम हो रही है तो इस तरह की असमान वृद्धि कैसे संभव है? उन्होंने फॉर्म 7 के दुरुपयोग की बात की, जिसके जरिए बीजेपी कार्यकर्ता हजारों नाम हटवाने या जुड़वाने में सक्षम रहे और चुनाव आयोग ने जांच नहीं की. दिल्ली के शाहदरा इलाके का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति ने 11,000 वोटर फर्जी तरीके से लिस्ट में जोड़ दिए थे.


विपक्ष की भूमिका

प्रेम शंकर झा ने यह भी कहा कि कांग्रेस के भीतर रणनीतिक स्पष्टता की कमी है. कोई बैलेट पेपर की वापसी की मांग करता है तो कोई ईवीएम पर सवाल उठाता है. जबकि असली समस्या मतदाता सूची (electoral rolls) में है. उनका मानना है कि अब वक्त आ गया है कि विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव आयोग पर दबाव डालें कि फॉर्म 7 को खत्म किया जाए. झा ने आगाह किया कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो आने वाले चुनाव, विशेषकर बिहार विधानसभा चुनाव भी प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह मामला भारत के लोकतंत्र के भविष्य से जुड़ा है.

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