ओबीसी पर राहुल का पछतावा, कांग्रेस के लिए क्या हैं मायने?
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ओबीसी पर राहुल का पछतावा, कांग्रेस के लिए क्या हैं मायने?

राहुल गांधी का यह आत्म-स्वीकार एक साहसी कदम है, जो उन्हें जनता के बीच एक मानवीय’ नेता के रूप में पेश करता है। लेकिन इससे कांग्रेस को कितना राजनीतिक लाभ मिलेगा, यह आने वाले चुनावों में ही स्पष्ट हो सकेगा।


दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुए कांग्रेस के 'भागीदारी न्याय सम्मेलन' में राहुल गांधी ने एक बड़ा कबूलनामा किया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी, तब पहले 10-15 साल तक वे पिछड़े वर्ग (OBC) की परेशानियों को ठीक से नहीं समझ पाए। उन्होंने माना कि यह उनकी बड़ी राजनीतिक गलती थी।

पिछले कुछ वर्षों में जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक बनकर उभरे राहुल गांधी ने कहा कि मैं 2004 से राजनीति में हूं। 21 वर्षों के इस सफर में मैंने कई मुद्दों पर अच्छा काम किया, जैसे मनरेगा, खाद्य का अधिकार, भूमि अधिग्रहण बिल और नियमगिरि पहाड़ियों में आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई। लेकिन एक बड़ी गलती यह रही कि मैंने ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा उस तरीके से नहीं की, जैसी मुझे करनी चाहिए थी।

समझ नहीं पाया पीड़ा

सभा को संबोधित करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैं यह मंच से कह सकता हूं कि 10-15 साल पहले, मैं दलितों की समस्याओं को समझता था, क्योंकि उनका एक स्पष्ट इतिहास रहा है – छुआछूत का। मैंने आदिवासियों की समस्याएं भी समझीं – जंगल, जल, जमीन के संदर्भ में। लेकिन ओबीसी वर्ग की समस्याएं दिखाई नहीं देतीं, वे छुपी होती हैं और यही मेरी चूक थी।

उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं समय रहते आपकी (OBC) पीड़ा और इतिहास को बेहतर तरीके से समझ पाता, तो उस समय ही जातिगत जनगणना करवा देता। लेकिन अब वह समय बीत चुका है। यह मेरी गलती थी, जिसे मैं स्वीकार करता हूं। लेकिन अब मैं दोगुनी गति से इस दिशा में काम करूंगा।

राजनीतिक मायने

राहुल गांधी की यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय में आई है, जब कांग्रेस और INDIA गठबंधन के कई दल जातिगत जनगणना की मांग को लेकर सक्रिय हैं। यह बयान न सिर्फ राहुल गांधी की ईमानदारी को दर्शाता है, बल्कि उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में भी स्थापित करता है जो अपनी गलतियों को मानने का साहस रखते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार जैसे राज्य, जहां पिछड़ा वर्ग मतदाता आबादी का लगभग 63% है, वहां यह बयान चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है। इससे राहुल गांधी उन समुदायों के बीच अधिक भरोसेमंद नेता के रूप में उभर सकते हैं।

पार्टी में मिली-जुली प्रतिक्रिया

हालांकि, कांग्रेस के अंदर ही इस बयान को लेकर मतभेद हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ लोकसभा सांसद ने कहा कि यह राहुल गांधी की एक और भूल है। आज का मतदाता ऐसा नेता चाहता है जो प्रेरक हो, न कि ऐसा जो कहे कि 'मैंने आपकी समस्याएं समझीं नहीं'। कांग्रेस के एक अन्य ओबीसी नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने बीजेपी को एक और मौका दे दिया है। अब देखिए कैसे सोशल मीडिया पर इसका मजाक उड़ाया जाएगा।

मोदी ऐसा कब करेंगे?

'भागीदारी न्याय सम्मेलन' के मुख्य आयोजक और कांग्रेस के ओबीसी विभाग प्रमुख अनिल जयहिंद ने कहा कि गांधी परिवार से किसी का यह कहना कि 'मैंने गलती की', यह साहसिक नैतिक चरित्र को दर्शाता है। क्या प्रधानमंत्री मोदी कभी अपनी गलती स्वीकार करेंगे?

एक पूर्व मुख्यमंत्री, जो स्वयं ओबीसी समुदाय से हैं, ने कहा कि राहुल ने साफ संदेश दे दिया है — ‘हां, मुझसे गलती हुई, लेकिन मैं उसे सुधारने को तैयार हूं।’ क्या बीजेपी और उनके नेता, खासकर प्रधानमंत्री मोदी, ऐसा साहस दिखा सकते हैं?

राहुल के करीबी की सफाई

राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस के एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक विभागों के राष्ट्रीय समन्वयक के. राजू ने आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह कोई माफी नहीं है, बल्कि एक आश्वासन है कि राहुल गांधी ने अपनी गलतियों से सीखा है और अब उन्हें दोहराया नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस की तेलंगाना सरकार पहले ही जातिगत सर्वेक्षण कर चुकी है और कर्नाटक में ओबीसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में भी यही एजेंडा लागू किया जा रहा है।

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