डलास में राहुल गांधी ने देवता,शिव का जिक्र किया, भारत में क्या हैं इसके सियासी मायने
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डलास में राहुल गांधी ने देवता,शिव का जिक्र किया, भारत में क्या हैं इसके सियासी मायने

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सॉस में राहुल गांधी ने परिचर्चा के दौरान कई विषयों पर अपने नजरिए को पेश किया। उन्होंने देवता और शिव का मतलब बताते हुए आरएसएस, बीजेपी पर निशाना साधा।


Rahul Gandhi USA Visit: नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता राहुल गांधी इस समय अमेरिका के डलास में हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सॉस में एक परिचर्चा में शामिल हुए और उन तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी जो भारत में राजनीतिक विमर्श के हिस्सा हैं। मसलन उन्होंने कौशल विकास, रोजगार, मेक इन इंडिया, बोलने की आजादी, सांप्रदायिक सद्भाव जैसे मुद्दे पर खुलकर बोले। उन्होंने देवता और भगवान शिव के स्वरूप के बारे में अपनी धारणा को बताया।

राहुल गांधी की नजर में देवता का मतलब
देवता का मतलब दरअसल ऐसा व्यक्ति होता है जिसकी आंतरिक भावनाएँ उसकी बाहरी अभिव्यक्ति के बिल्कुल समान होती हैं, यानी वह पूरी तरह से पारदर्शी होता है। अगर कोई व्यक्ति मुझे अपनी हर बात बताता है जो वह मानता है या सोचता है और उसे खुलकर व्यक्त करता है, तो यही देवता की परिभाषा है।

हमारी राजनीति के बारे में दिलचस्प बात यह है कि आप अपने विचारों को कैसे दबाते हैं? आप अपने डर, लालच या महत्वाकांक्षाओं को कैसे दबाते हैं और इसके बजाय दूसरे लोगों के डर और महत्वाकांक्षाओं को देखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं?

शिव की अवधारणा कुछ यूं

अगर आप हमारे महान ऐतिहासिक नेताओं को देखें, तो आप चरमपंथ देख सकते हैं। आप बुद्ध को देख सकते हैं, जो चरमपंथ का प्रतिनिधित्व करते हैं, और आप भगवान राम और महात्मा गांधी को देख सकते हैं। मूल विचार पहचान का विनाश, स्वयं का विनाश और दूसरों की बात सुनना है।मेरे लिए, यही भारतीय राजनीति है - यही भारतीय राजनीति का दिल है, और यही एक भारतीय नेता को परिभाषित करता है। इसी तरह एक भारतीय नेता, एक अमेरिकी नेता से अलग होता है। एक अमेरिकी नेता कहेगा, 'सुनो, हमें वहाँ जाना है। मैं तुम्हें वादा किए गए देश में ले जा रहा हूँ। चलो।' दूसरी ओर, एक भारतीय नेता खुद को चुनौती देता है।

गांधी जी ने मूल रूप से खुद को चुनौती दी। यह एक अलग अवधारणा है। कुछ मायनों में, भारत जोड़ो यात्रा मेरे ऊपर एक हमला था। चार हजार किलोमीटर - देखते हैं क्या होता है। यह सोचने का एक बिल्कुल अलग तरीका पैदा करता है और लोगों के साथ एक अनूठा रिश्ता बनाता है।आप शिव के विचार को जानते हैं - जब वे कहते हैं कि शिव संहारक हैं - तो वे किसका विनाश कर रहे हैं? खुद का। यही विचार है। वह अपने अहंकार, अपनी संरचना, अपनी मान्यताओं को नष्ट कर रहा है। इसलिए, भारतीय राजनीतिक विचार और कार्य सभी अंदर की ओर जाने के बारे में हैं।

क्या राहुल गांधी दे गए सियासी मसाला
अब यह समझना जरूरी है कि राहुल गांधी देवता का जिक्र क्यों करते हैं। इसके लिए आप को आम चुनाव 2024 के चुनाव प्रचार को देखना होगा। एक सभा में पीएम मोदी ने कहा था कि ऐसा लगता है कि कुछ अलग तरह के काम के लिए भगवान ने उन्हें भेजा है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष के नेता कहने लगे कि मोदी जी बॉयोलोजिकल नहीं है वो तो देवता है। जब आम चुनाव के नतीजे सामने आए तो नतीजा इस वजह से हैरान करने वाल था कि बीजेपी की सीट संख्या जादुई आंकड़े को छू ना सकी और उसका असर यह हुआ कि बीजेपी का वैचारिक केंद्र आरएसएस की तरफ से भी सधी बात कही गई उसका निशाना कोई और नहीं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी को माना गया। राहुल गांधी इस तरह की बात कर बताना चाहते हैं कि जब किसी में अहम अधिक हो जाता है तो आगे कि स्थिति परिस्थिति कैसे बनती है।

इसके साथ ही अग्निवीरों के मुद्दे पर राहुल गांधी ने भगवान शिव की तस्वीर रखकर बीजेपी के नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा था कि बीजेपी के लोग तो भगवान की झूठी सौगंध खाते हैं। दरअसल इस तरह के प्रतीकों का इस्तेमाल कर अब वो बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। वो यह बताने की कोशिश कर रही है, भगवान के आदर्शों पर चलने की माद्दा बीजेपी में नहीं है। बीजेपी के लोग स्वार्थ की राजनीति करते रहे हैं। लेकिन अब जनता भी धीरे धीरे उस छलावे से बाहर निकल रही है। लेकिन राहुल गांधी जब इस तरह की बात करते हैं तो स्वाभाविक तौर पर वो इमरजेंसी, सिख दंगा, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर निशाने पर आ जाते हैं। अब यह बहस किस मोड़ पर खत्म होगी वो देखने वाली बात होगी। लेकिन चुनावी मौसम में यह मुद्दा गरमाएगा इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

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