पीएम मोदी का मेक इन इंडिया एक अच्छी सोच लेकिन..., लोकसभा में बोले राहुल गांधी
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'पीएम मोदी का मेक इन इंडिया एक अच्छी सोच लेकिन'..., लोकसभा में बोले राहुल गांधी

लोकसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि रोजगार पैदा करने के मामले में एनडीए और यूपीए दोनों सरकारें असफल रहीं.


Rahul Gandhi: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल एक अच्छी सोच थी. लेकिन यह विफल रही. उन्होंने संसद में कहा कि प्रधानमंत्री ने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा. मुझे लगता है कि यह एक अच्छी सोच थी. लेकिन नतीजा आपके सामने है. साल 2014 में जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा 15.3% था. जो आज घटकर 12.6% रह गया है. जो पिछले 60 वर्षों में सबसे कम है. मैं प्रधानमंत्री को दोष नहीं दे रहा हूं. यह कहना उचित नहीं होगा कि उन्होंने कोशिश नहीं की. मैं यह कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री ने कोशिश की. लेकिन वे असफल रहे.

लोकसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि रोजगार पैदा करने के मामले में एनडीए और यूपीए दोनों सरकारें असफल रहीं. उन्होंने कहा कि भले ही हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ी है, हमने तेजी से विकास किया है, अब थोड़ी धीमी गति से बढ़ रहे हैं. लेकिन फिर भी बढ़ रहे हैं. लेकिन एक आम समस्या जिसका हम सामना कर रहे हैं, वह यह है कि हम बेरोजगारी की समस्या को हल करने में असमर्थ रहे हैं. न तो यूपीए सरकार और न ही आज की एनडीए सरकार ने इस देश के युवाओं को रोजगार को लेकर कोई स्पष्ट उत्तर दिया है.

उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हालिया संसद संबोधन पर भी टिप्पणी की. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि मुझे कहना होगा कि राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान मेरी ध्यान बनाए रखने में कठिनाई हुई. क्योंकि मैंने लगभग वही राष्ट्रपति का संबोधन पिछले बार और उसके पहले भी सुना था. यह सरकार द्वारा किए गए कार्यों की एक ही सूची थी.

एआई पर राहुल गांधी

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने दावा किया कि डेटा के मामले में भारत, चीन से 10 साल पीछे है. उन्होंने कहा कि लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बात करते हैं. लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि एआई अपने आप में बिल्कुल बेकार है. क्योंकि एआई (AI) डेटा के आधार पर काम करता है. बिना डेटा के, एआई का कोई मतलब नहीं है और यदि हम आज के डेटा पर नजर डालें तो एक बात स्पष्ट है.

उन्होंने कहा कि दुनिया के उत्पादन प्रणाली से निकलने वाला हर डेटा – जिस डेटा का उपयोग इस फोन को बनाने में किया गया, इलेक्ट्रिक कारों को बनाने में किया गया और मूल रूप से दुनिया की सभी इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के निर्माण में किया गया – वह डेटा चीन के स्वामित्व में है. वहीं, उपभोग डेटा अमेरिका के पास है. इस क्षेत्र में चीन को भारत से कम से कम 10 साल की बढ़त है. चीन पिछले 10 वर्षों से बैटरियों, रोबोट्स, मोटर्स और ऑप्टिक्स पर काम कर रहा है और हम इससे पीछे हैं.

बैंकिंग सुधार की मांग

उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की मांग की. उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारी बैंकिंग प्रणाली केवल 2-3 कंपनियों के हाथों में न रहे. जो उत्पादन प्रणाली को विकसित होने से रोकती हैं. बल्कि हमारी बैंकिंग प्रणाली खुली, गतिशील और छोटे एवं मध्यम व्यवसायों और लाखों-करोड़ों उद्यमियों के लिए सुलभ होनी चाहिए. जो इस क्रांति का हिस्सा बनना चाहते हैं. हमारी विदेश नीति भी इस क्रांति को ध्यान में रखते हुए बनाई जाएगी. जब हम अमेरिका से बात करेंगे तो हम अपने प्रधानमंत्री को उनके राज्याभिषेक में शामिल होने का निमंत्रण देने के लिए अपने विदेश मंत्री को नहीं भेजेंगे. क्योंकि अगर हमारे पास एक मजबूत उत्पादन प्रणाली होती और हम इन तकनीकों पर काम कर रहे होते तो अमेरिकी राष्ट्रपति खुद यहां आते और प्रधानमंत्री को आमंत्रित करते.

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