Railway Budget: रेलवे को रिकॉर्ड 2,62,200 करोड़ रुपये का आवंटन, 'कवच' को प्राथमिकता
केंद्रीय बजट 2024-25 में भारतीय रेलवे के लिए 2,62,200 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड पूंजी निवेश प्रस्तावित किया गया है, जिससे ट्रेन सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों और ऑटोमेटिक ट्रेन-सुरक्षा प्रणाली 'कवच' पर काम किया जाएगा.
Union Budget 2024: केंद्रीय बजट 2024-25 में भारतीय रेलवे के लिए 2,62,200 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड पूंजी निवेश (कैपेक्स) प्रस्तावित किया गया है, जिसमें ट्रेन सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों और ऑटोमेटिक ट्रेन-सुरक्षा प्रणाली 'कवच' पर अधिक काम किया जाएगा. बजट का यह आवंटन ट्रेन सुरक्षा को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. बता दें कि साल 2023 में कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना सहित कई रेल दुर्घटनाओं में करीब 350 लोग मारे गए थे.
कवच स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता: रेल मंत्री
मंगलवार (23 जुलाई) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आवंटन का एक बड़ा हिस्सा पुरानी पटरियों को बदलने, सिग्नलिंग सिस्टम को बेहतर बनाने और फ्लाईओवर और अंडरपास बनाने पर खर्च किया जाएगा. लेकिन मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकता कवच की स्थापना होगी. कवच एक टक्कर रोधी सुरक्षा प्रणाली है, जिसे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा विकसित किया गया है.
वैष्णव ने कहा कि इस आवंटन का एक बड़ा हिस्सा 1,08,795 करोड़ रुपये सुरक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए है. जैसे पुरानी पटरियों को नई पटरियों से बदलना, सिग्नलिंग प्रणाली में सुधार और फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण और कवच की स्थापना आदि. कवच 4.0 के उन्नत संस्करण को हाल ही में आरडीएसओ से मंजूरी मिल गई है और इस मंजूरी के साथ ही इसकी स्थापना का काम तेजी से शुरू हो जाएगा. कवच के घटकों में से एक ऑप्टिकल फाइबर केबल 4,275 किलोमीटर से अधिक दूरी तक बिछाई जा चुकी है और अन्य घटक जैसे दूरसंचार टावर, ट्रैक आरएफआईडी डिवाइस, स्टेशन कवच और लोको कवच भी तीव्र गति से स्थापित किए जा रहे हैं.
प्रमुख गलियारों के लिए आवंटन
बजट में रणनीतिक आधार पर औद्योगिक विकास के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित की गई है. जबकि हैदराबाद-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा, विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारा और अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा सहित प्रमुख गलियारों में औद्योगिक क्लस्टरों के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रमुख पहल प्रस्तावित की गई है. पीएम गति शक्ति मिशन के तहत केंद्र ने तीन आर्थिक रेलवे गलियारों ऊर्जा, खनिज और सीमेंट; बंदरगाह संपर्क और उच्च यातायात घनत्व गलियारे की भी पहचान की है, ताकि मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी में मदद मिल सके, लॉजिस्टिक्स की लागत कम हो और यात्री सुरक्षा में सुधार हो सके.
मुख्य सफलता
वित्त वर्ष 2024-25 में रेलवे के लिए सकल बजटीय सहायता 2,52,200 करोड़ रुपये है, जो पिछले कुछ वर्षों की तुलना में एक महत्वपूर्ण उछाल है. इस फंडिंग से रेलवे को 2014-15 में 1095 मीट्रिक टन से 2023-24 में 1588 मीट्रिक टन तक माल ढुलाई बढ़ाने में मदद मिली है. इस सेक्टर का लक्ष्य 2030 तक 3,000 मीट्रिक टन तक पहुंचना है. वैष्णव ने कहा कि साल 2014 के आसपास रेलवे के लिए बजटीय आवंटन केवल 35,000 करोड़ रुपये हुआ करता था. आज यह 2.62 लाख करोड़ के नए स्तर पर पहुंच गया है. यह बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले 10 वर्षों के शासन की कड़ी मेहनत और केंद्रित दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है. पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेलवे ने 31,180 किलोमीटर नई पटरियां बिछाई हैं. जबकि इसी अवधि में 41,655 किलोमीटर रूट का विद्युतीकरण किया गया है.
वैष्णव ने कहा कि साल 2014 से पहले 60 वर्षों में केवल 20,000 किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण हुआ था. लेकिन पिछले 10 वर्षों में 40,000 किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण किया गया है. इसी तरह साल 2014 में औसतन 4 किलोमीटर प्रतिदिन नए ट्रैक का निर्माण होता था. लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में रेलवे ने औसतन 14.5 किलोमीटर प्रतिदिन ट्रैक का निर्माण किया गया है. जिसका मतलब है कि पूरे वित्तीय वर्ष में उसने 5,300 किलोमीटर नए ट्रैक का निर्माण किया गया.
विस्तार जारी रहेगा
रेल मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में उठाए गए कदम, जैसे रेलवे के बुनियादी ढांचे का विस्तार, अड़चनों को दूर करना, इंजन और कोचों के विनिर्माण को बढ़ावा देना तथा नई प्रौद्योगिकी को लागू करना जारी रहेंगे. रेलवे निम्न और मध्यम आय वर्ग के यात्रियों की जरूरतों को ध्यान में रखता है और इसे ध्यान में रखते हुए यह सामान्य और वातानुकूलित कोचों का अनुपात बनाए रखता है, जो एक ट्रेन में कुल कोचों की संख्या का एक तिहाई वातानुकूलित कोच और दो तिहाई सामान्य कोच है.
अधिक सामान्य कोच
वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि सामान्य डिब्बों की मांग में वृद्धि के कारण चालू वित्त वर्ष में 2,500 अतिरिक्त सामान्य डिब्बों के निर्माण का निर्णय लिया गया है. एक अन्य निर्णय के तहत बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 10,000 अतिरिक्त सामान्य कोचों का निर्माण किया जाएगा. बजट में दोनों निर्णयों को शामिल किया गया है. जहां तक रोजगार का सवाल है, यूपीए के 10 साल के शासन में रेलवे में 4.11 लाख नौकरियां दी गईं. जबकि मोदी शासन के 10 साल में पांच लाख नौकरियां दी गईं, जो यूपीए शासन से 20 फीसदी अधिक है.