India suspended the IWT with Pakistan on April 24,
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भारत ने 24 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया,और यह संकल्प लिया कि "एक भी बूंद पानी सीमा पार नहीं जाएगी।"| फ़ाइल फोटो |

कश्मीर में 2 पावर प्रोजेक्ट के जलाशयों में बढ़ाई जाएगी जलसंग्रह क्षमता

भारत ने पाकिस्तान की ओर पानी का प्रवाह रोकने के प्रयास तेज़ कर दिए हैं। कश्मीर में 2 पावर प्रोजेक्ट के जलाशयरो में पानी की स्टोरेज क्षमता बढ़ाने का काम शुरू हो गया है।


पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित किए जाने के कुछ दिनों बाद, सरकार ने अब कश्मीर में दो जलविद्युत परियोजनाओं में जलाशयों की संग्रहण क्षमता बढ़ाने का कार्य शुरू कर दिया है। यह जानकारी एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार छह रुकी हुई जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण को तेज़ी से शुरू करने की योजना बना रही है। इनमें शामिल हैं:

1,856 मेगावाट की सावलकोट परियोजना,

किर्थाई-I और II परियोजनाएं, जिनकी संयुक्त क्षमता 1,320 मेगावाट है,

1,000 मेगावाट की पकल डुल परियोजना,

तथा अन्य तीन परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 2,224 मेगावाट होगी।

बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी

इन सभी परियोजनाओं के पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर 10,000 मेगावाट तक बिजली उत्पन्न कर सकेगा। साथ ही, मैदानी इलाकों में सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए अधिक पानी उपलब्ध हो सकेगा।

इस कदम का विशेष महत्व है, क्योंकि अगर सिंधु जल संधि अभी भी लागू होती, तो भारत को परियोजना शुरू करने से छह महीने पहले पाकिस्तान को सूचना देनी पड़ती, और इस दौरान इस्लामाबाद कानूनी आपत्तियों के ज़रिये परियोजनाओं में देरी या रद्द करने की कोशिश करता।

जलाशयों की सफाई (Reservoir Flushing)

सरकारी कंपनी नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) ने पिछले सप्ताह सलाल और बगलिहार परियोजनाओं में "फ्लशिंग" (जमाव हटाने) का काम भी किया।

यह प्रक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि 1987 (सलाल) और 2009 (बगलिहार) में निर्माण के बाद से इन जलाशयों की कभी सफाई नहीं हो सकी थी — संधि के अनुसार भारत को यह अनुमति नहीं थी।

फ्लशिंग पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था क्योंकि इससे नीचे बहने वाले क्षेत्रों (जैसे पाकिस्तान) में बाढ़ और संपत्ति को नुकसान हो सकता था। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया के पूरा होने से अब बिजली उत्पादन अधिक कुशल होगा और टर्बाइनों को नुकसान से बचाया जा सकेगा।

690 मेगावाट की सलाल और 900 मेगावाट की बगलिहार परियोजनाएं अब तक अपनी पूर्ण क्षमता से काफी कम पर काम कर रही थीं।

अटकी परियोजनाओं को पुनर्जीवित करना

सरकार इन छह रुकी हुई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह, जल संसाधन मंत्री सी. आर. पाटिल, बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, और संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें करने जा रही है।

दो बैठकें पहले ही हो चुकी हैं, जिनमें चेनाब (IWT के तहत भारत को आवंटित) और झेलम (पाक को आवंटित) नदियों पर नई परियोजनाएं शुरू करने और वुलर झील को पुनर्जीवित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।

भारत ने 24 अप्रैल को IWT निलंबित करते हुए घोषणा की थी कि "एक भी बूंद पानी सीमा पार नहीं जाएगी।"

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

सिंधु जल संधि पाकिस्तान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके अंतर्गत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु और उसकी पाँच प्रमुख सहायक नदियों का जल विभाजित किया गया है। यह जल पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि भूमि को सिंचाई प्रदान करता है।

पाकिस्तान ने पहलगाम हमले में किसी भी भूमिका से इनकार करते हुए कानूनी कार्रवाई की धमकी दी और चेतावनी दी: "पाकिस्तान के जल प्रवाह को रोकने या मोड़ने की किसी भी कोशिश को ‘युद्ध की कार्यवाही’ माना जाएगा।"

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