पहलगाम हमले पर पता चला कौन दोस्त कौन दुश्मन, रहना होगा सतर्क- मोहन भागवत
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पहलगाम हमले पर पता चला कौन दोस्त कौन दुश्मन, रहना होगा सतर्क- मोहन भागवत

RSS स्थापना के 100 साल पर सरसंघ चालक मोहन भागवत ने आतंक, उग्रवाद और समाज परिवर्तन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया, भारत की तरफ देख रही है।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने का जश्न नागपुर के रेशमबाग मैदान में मनाया। सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की। उन्होंने सरकार और सेना की तत्परता की सराहना की और कहा कि इस घटना से दोस्त और दुश्मन की पहचान हुई। भागवत ने नक्सलियों और उग्रवाद के खिलाफ शासन-प्रशासन की कठोर कार्रवाई का जिक्र भी किया।

भागवत ने यह भी कहा कि विश्व में हिंसा से बदलाव नहीं आता और भारत को स्वदेशी से मजबूत करना होगा। उन्होंने युवाओं में बढ़ती देशभक्ति, सामाजिक सजगता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सतर्कता पर जोर दिया। उन्होंने समाज और व्यक्तित्व परिवर्तन के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि आदत और आचरण में बदलाव के बिना सच्चा परिवर्तन संभव नहीं।

प्राकृतिक आपदाएं बढ़ गई हैं। भूस्खलन और लगातार बारिश आम बात हो गई है... यह सिलसिला पिछले 3-4 सालों से देखा जा रहा है। हिमालय हमारी सुरक्षा दीवार है और पूरे दक्षिण एशिया के लिए जल का स्रोत है। अगर विकास के मौजूदा तरीके इन आपदाओं को बढ़ावा देते हैं, जो हम देख रहे हैं, तो हमें अपने फैसलों पर पुनर्विचार करना होगा। हिमालय की वर्तमान स्थिति खतरे की घंटी बजा रही है।"

विविधता में एकता और सामाजिक सद्भाव

भागवत ने कहा कि संघ दुनिया की सभी विशिष्टताओं का सम्मान करता है और विविधताओं के बीच एकता बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने सद्भावनापूर्ण व्यवहार को सभी की जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने आचरण और सोच में बदलाव लाना चाहिए।मोहन भागवत कहते हैं, "... वैश्विक चिंताओं के समाधान के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है। ब्रह्मांड चाहता है कि भारत उदाहरण प्रस्तुत करे और दुनिया को रास्ता दिखाए।"

जब सरकार जनता से दूर रहती है और उनकी समस्याओं से पूरी तरह अनभिज्ञ रहती है और उनके हित में नीतियाँ नहीं बनतीं, तो लोग सरकार के खिलाफ हो जाते हैं। लेकिन अपनी नाखुशी ज़ाहिर करने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करने से किसी को कोई फ़ायदा नहीं होता... अगर हम अब तक हुई सभी राजनीतिक क्रांतियों का इतिहास देखें, तो उनमें से किसी ने भी अपना उद्देश्य हासिल नहीं किया... सरकारों वाले देशों में हुई सभी क्रांतियों ने अग्रणी राष्ट्रों को पूंजीवादी राष्ट्रों में बदल दिया है... हिंसक विरोध प्रदर्शनों से कोई उद्देश्य हासिल नहीं होता, बल्कि देश के बाहर बैठी शक्तियों को अपना खेल खेलने का एक मंच मिल जाता है..."

रामनाथ कोविंद का संबोधन

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं और नागपुर के दो महापुरुष—डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपने जीवन पर प्रभाव बताया। उन्होंने संघ के सफर में विभिन्न सरसंघचालकों के योगदान को याद किया और जातिगत भेदभाव से रहित संघ की भूमिका पर प्रकाश डाला।

कोविंद ने कहा कि विकास की यात्रा में पीछे छूटे लोगों को साथ लेकर चलना राष्ट्रीय कर्तव्य है और देश से प्राप्त सबकुछ हमें समाज और देश को लौटाना चाहिए। उन्होंने संघ की प्रार्थना और संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार को श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाने की प्रक्रिया का भी उल्लेख किया।

समारोह और सहभागिता

इस भव्य आयोजन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। सरसंघचालक मोहन भागवत ने 21 हजार स्वयंसेवकों का उत्सव में स्वागत किया। यह कार्यक्रम संघ की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर वर्षभर चलने वाले आयोजनों की शुरुआत भी था।

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