RSS ने की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मांग, कहा- वरना बढ़ सकती है सामाजिक-आर्थिक असमानता
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RSS ने की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मांग, कहा- वरना बढ़ सकती है सामाजिक-आर्थिक असमानता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति होनी चाहिए, जिससे कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन का किसी भी धार्मिक समुदाय या क्षेत्र पर प्रतिकूल असर न पड़े.


RSS Demands National Population Policy: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने कहा है कि एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति होनी चाहिए, जिससे कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन का किसी भी धार्मिक समुदाय या क्षेत्र पर प्रतिकूल असर न पड़े. आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में प्रकाशित कवर स्टोरी में कहा गया है कि अगर यह सुनिश्चित नहीं किया गया तो इससे सामाजिक, आर्थिक असमानताएं और राजनीतिक संघर्ष पैदा हो सकते हैं.

बढ़ती मुस्लिम आबादी

पत्रिका के 8 जुलाई के अंक में 'बढ़ती मुस्लिम आबादी' और कम जन्म दर के बारे में भी बताया गया था, जिससे परिसीमन के दौरान पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों को नुकसान हो सकता है. प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के दौरान परिसीमन होने की उम्मीद है, जिससे लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़ सकती है.

साप्ताहिक ने कहा कि दक्षिणी क्षेत्र में नुकसान महत्वपूर्ण है. क्योंकि चुनावी सीमाओं के पुनर्निर्धारण से भाजपा को मदद मिलने की संभावना है.

क्षेत्रीय असंतुलन

ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि क्षेत्रीय असंतुलन एक और महत्वपूर्ण आयाम है. राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या स्थिर होने के बावजूद, यह सभी धर्मों और क्षेत्रों में समान नहीं है. पश्चिम और दक्षिण के राज्य जनसंख्या नियंत्रण उपायों के मामले में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और इसलिए, उन्हें डर है कि अगर जनगणना के बाद आधार जनसंख्या में बदलाव किया गया तो संसद में कुछ सीटें खो सकते हैं.

केतकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या स्थिर होने के बावजूद, यह सभी धर्मों और क्षेत्रों में समान नहीं है. कुछ क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. लोकतंत्र में, जब प्रतिनिधित्व के लिए संख्याएं महत्वपूर्ण होती हैं और जनसांख्यिकी भाग्य का फैसला करती है तो हमें इस प्रवृत्ति के प्रति और भी अधिक सतर्क रहना चाहिए.

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