भारत से दोस्ती बात तक नहीं जमीन पर भी, 6 न्यूक्लियर प्लांट बनाने में मदद करेगा रूस
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भारत से दोस्ती बात तक नहीं जमीन पर भी, 6 न्यूक्लियर प्लांट बनाने में मदद करेगा रूस

भारत और रूस के बीच संबंध का अपना इतिहास है. यूक्रेन-रूस पर भारत की सधी प्रतिक्रया के बीच पुतिन सरकार ने न्यूक्लियर प्लांट के विषय में बड़ा निर्णय किया है.


Nuclear Power Plant in India: भारत और रूस की दोस्ती ऐतिहासिक है. इसमें कोई दो मत नहीं. पीएम मोदी जब मॉस्को पहुंचे तो पुतिन ने उन्हें परम मित्र कहना और पुतिन ने कहा कि आपने लोगों के लिए जिंदगी समर्पित कर दी है. यह दोनों बयान इस बात की तस्दीक कर रहे थे कि दोनों देशों के रिश्ते बेपटरी नहीं हो सकते. भारत और रूस के बीच कई मुद्दों पर हस्ताक्षर हुए हैं जिनमें परमाणु प्लांट के निर्माण में योगदान भी शामिल है. रूस की परमाणु ऊर्जा एजेंसी रोसाटॉम भारत को मदद करेगी. इससे पहले कुडनकुलम एटॉमिक प्लांट की स्थापना में भारत की मदद रूस कर चुका है.

रोसाटॉम करेगा मदद

बता दें कि रोसाटॉम ने 6 नए परमाणु प्लांट बनाने के लिए मदद की बात रही थी.मई के महीने में रोसाटॉम की तरफ से फ्लोटिंग न्यूक्लियर प्लांट संयंत्र बनाने और संचालित करने की तकनीक भी देने की बात कही थी.
सिर्फ रूस के पास फ्लोटिंग न्यूक्लियर प्लांट
मौजूदा समय में रूस एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास पानी पर तैरता हुआ न्यूक्लियर पावर प्लांट है.इस प्लांट को लोमोनोसोव जहाज पर बनाया गया है. रूस के पेवेक शहर में बिजली की आपूर्ति इसी पावर प्लांट से की जा रही है. रूस के अलावा दूसरे देश भी फ्लोटिंग पावर प्लांट बनाने में जुटे हुए हैं हालांकि सफलता नहीं मिली है.
कुडनकुलम प्रोजेक्ट सहयोग की मिसाल

रोसाटॉम और भारत दोनों नॉर्दर्न सी रूट को विकसित करने पर विचार कर रहे हैं. यह रूट नार्वे से लेकर मरमंस्क से पूर्व अलास्का के करीब तक फैला हुआ है, इसके जरिए तेल, कोयला और एलएनजी की सप्लाई की बिना किसी रुकावट हो सकती है. अगर न्यूक्लियर पावकर प्लांट में रूसी सहयोग की बात करें तो कुडनकुलम भारत का सबसे बड़ा एटॉमिक पावर प्लांट है जो तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में है. 31 मार्च 2002 तक दो यूनिट का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन मछुआरों के विरोध की वजह से देरी हुई, इस प्रोजेक्ट के जरिए 6 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने की योजना है.

कुडनकुलम में एक हजार मेगावाट के 6 वीवीईआर रिएक्टर बनाए जाने हैं. पहले दो रिएक्टर के जरिए बिजली उत्पादन हो रहा है.दूसरी यूनिट का काम 2016 में शुरू हुआ और अब इसके जरिए भी बिजली बनाई जा रही है. यूनिट 3 और चार की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी फरवरी 2016 में हुई और यूनिट को बनाने का काम जारी है. कुडनकुलम प्रोजेक्ट को विरोध का दौर भी देखना पड़ा. दरअसल स्थानीय लोग जापान के फुकुशिमा प्लांट का उदाहरण दे सेफ्टी कंसर्न जता रहे थे. उनको डर था कि यहां भी फुकुशिमा जैसी दुर्घटना हो सकती है. हालांकि इसे दुनिया के सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर पावर प्लांट में से एक बताया गया था. 2011 में सुरक्षा के मुद्दे पर ही पीआईएल दायर की गई. हालांकि विरोध प्रदर्शन को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने प्रायोजित बताया था. जांच में पता चला कि कुछ एनजीओ फेरा का उल्लंघन कर विदेशी फंड हासिल किए और उन्होंने उन पैसों का इस्तेमाल कुडनकुलम प्रोजेक्ट के विरोध में किया.

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