शशि थरूर ने मोदी सरकार की तारीफ, कहा मुसीबत में फंसे दोस्त की मदद करना अच्छी बात
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शशि थरूर ने मोदी सरकार की तारीफ, कहा मुसीबत में फंसे दोस्त की मदद करना अच्छी बात

थरूर ने पिछले सप्ताह बांग्लादेश में हुई उथल-पुथल भरी घटनाओं और भारत पर इसके प्रभाव तथा शेख हसीना को शरण देने से जुड़े कई मुद्दों पर बात की.


Sheikh Hasina Shelter: ऐसा बहुत कम होता है जब विपक्ष मोदी सरकार के किसी काम की सरहाना करें. लेकिन ऐसा हुआ है, वो भी कांग्रेस के जाने पहचाने सांसद के द्वारा. इन सांसद का नाम है शशि थरूर जिन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने मुसीबत में फंसी बांग्लादेश की निर्वतमान प्रधानमंत्री शेख हसीना की मदद करके अच्छा काम किया है. उन्होंने कहा कि भारत को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि उन्होंने एक ऐसे मित्र की मदद की जो खतरे में था.

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव थरूर ने ये भी कहा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में अचानक हुए सत्ता परिवर्तन से भारत को चिंतित नहीं होना चाहिए. एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में थरूर ने पिछले सप्ताह बांग्लादेश में घटित उथल-पुथल भरी घटनाओं और भारत पर इसके प्रभाव से जुड़े कई मुद्दों पर बात की.

बांग्लादेश के साथ खड़े हैं
बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रम का भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वरिष्ठ राजनेता ने कहा कि भारत का मूल हित अपने पड़ोसी देश के साथ घनिष्ठ एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों में निहित है.
उन्होंने दोहराया कि, "हमारी मूल प्रतिबद्धता बांग्लादेश के लोगों की भलाई है, राज्य दूसरे स्थान पर आता है और कोई भी व्यक्तिगत नेता तीसरे स्थान पर आता है." उन्होंने कहा कि भारत हर अच्छे-बुरे समय में बांग्लादेश के लोगों के साथ रहा है. भारत 1971 में बांग्लादेश के साथ खड़ा था और भारत अपने पूर्वी पड़ोसी के साथ समान स्तर पर संबंध बनाए रखने में कामयाब रहा, तब भी जब वहां कम मैत्रीपूर्ण सरकारें चल रही थीं. समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से आने वाले समय में इस रिश्ते में कोई गिरावट नहीं आनी चाहिए."

शेख हसीना के लिए शरण
शेख हसीना को अपदस्थ किए जाने के बाद भारत द्वारा शरण दिए जाने के विषय पर थरूर ने मुसीबत में फंसे मित्र की मदद करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रशंसा की, अन्यथा ये भारत के लिए अपमानजनक होता.
उन्होंने चैनल से कहा, "अगर हमने अपने दोस्त के साथ बुरा व्यवहार किया होता तो कोई भी हमारा दोस्त नहीं बनना चाहता. शेख हसीना भारत की मित्र हैं और भारत उनका मित्र है. और जब कोई दोस्त मुसीबत में होता है, तो आप उसकी मदद करने और उसे सुरक्षित रखने से पहले दो बार नहीं सोचते," उन्होंने कहा कि भारत ने ठीक यही किया है.

सही काम करो
उन्होंने 76 वर्षीय शेख हसीना को शरण देने के लिए सरकार की सराहना की और कहा कि उन्हें इससे कम कुछ नहीं चाहिए था. उन्होंने कहा, "एक भारतीय के रूप में, हमारे पास कुछ मानक हैं जिनके लिए हम दुनिया में खड़े हैं. सरकार ने उन्हें यहां लाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सही काम किया है."
इसके अलावा, थरूर भारत में उनके रहने की अवधि के बारे में अटकलों के दायरे में नहीं आना चाहते थे. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत को "प्रतीक्षा करो और देखो" वाला दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. थरूर के अनुसार, आप किसी को अपने घर बुलाकर ये नहीं पूछते कि वे कब जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "मेरा विचार है कि हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि वो आगे बढ़ने से पहले कितने समय तक वहां रह सकती हैं." उन्होंने ये भी कहा कि किसी अन्य देश में जाने से पहले वीजा और अन्य मामलों जैसे व्यावहारिक विचार भी करने होते हैं. थरूर ने कहा, फिलहाल वो हमारे साथ हैं और हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम उस समय एक मित्र के साथ खड़े रहे जब उसकी निजी सुरक्षा खतरे में थी.

चिंता का कोई कारण नहीं
साक्षात्कार में थरूर ने ये भी कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को लेकर भारत को चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है.
मोहम्मद यूनुस से व्यक्तिगत रूप से परिचित थरूर ने आश्वासन दिया कि वो एक "अत्यंत सम्मानित व्यक्ति" हैं. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि वो जमात-ए-इस्लामी या पाकिस्तानी आईएसआई के करीबी के बजाय वाशिंगटन के कुछ हद तक करीब हैं." लेकिन, थरूर ने ये भी कहा कि अंतरिम सरकार की समग्र संरचना पर विचार करने से ऐसा नहीं लगता कि इसमें भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण देशों की छाप है.
हालांकि, थरूर ने माना कि ये भारत के लिए चिंता का बड़ा कारण होता यदि पाकिस्तानी आईएसआई आंदोलन के दौरान हिंसा की कुछ जघन्य घटनाओं में शामिल हो जाती या चीन, जिसकी बांग्लादेश में पहले से ही मजबूत उपस्थिति है, इसे अपना प्रभाव बढ़ाने के अवसर के रूप में देखता. उन्होंने कहा कि ये वे कारक हैं जिनके बारे में उपमहाद्वीप में हो रहे घटनाक्रमों पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षक सबसे अधिक चिंतित हैं.
थरूर के अनुसार, अंतरिम सरकार की संरचना और यूनुस के शुरुआती बयान भारत के लिए स्थिति को चिंताजनक नहीं बनाते हैं.

अल्पसंख्यकों पर हमला
अल्पसंख्यकों पर हमलों के सवाल पर थरूर ने अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस के शांति, हिंसा की घटनाओं को रोकने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के आह्वान को याद किया. थरूर ने कहा कि इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि हिंदुओं पर कुछ हमले हुए हैं. लेकिन साथ ही, ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि बांग्लादेशी मुसलमान हिंदुओं के घरों और मंदिरों की रखवाली कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी बुरी खबरों के बीच कुछ अच्छी खबरें भी हैं.
अंतरिम सरकार का कार्यभार संभालते समय यूनुस ने भी घोषणा की थी कि सरकार अल्पसंख्यकों के साथ खड़ी है. उन्होंने कहा कि ये बहुत अच्छा संकेत है. थरूर के अनुसार, कोई भी जारी हिंसा निश्चित रूप से बांग्लादेश के समाज में उन तत्वों द्वारा भड़काई जाएगी जो परंपरागत रूप से भारत विरोधी, हिंदू विरोधी रहे हैं और अव्यवस्था की स्थिति पैदा करने के लिए कुछ भी करेंगे. थरूर के अनुसार, "लेकिन फिलहाल, मुझे नहीं लगता कि कोई भी अधिकारी ऐसी स्थिति को जारी देखना चाहता है." शेख हसीना, जिन्हें बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, अब एक सप्ताह से भारत में शरण लिए हुए हैं.


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