UN से युद्धक्षेत्र तक पाक के पीछे चीन की ताकत, थरूर ने खोला रणनीतिक रहस्य
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UN से युद्धक्षेत्र तक पाक के पीछे चीन की ताकत, थरूर ने खोला रणनीतिक रहस्य

शशि थरूर ने कहा, भारत-पाक संघर्ष में चीन की बड़ी भूमिका है। UN में पाकिस्तान का समर्थन और CPEC जैसी परियोजनाएं भारत के लिए चिंता का कारण हैं।


Shashi Tharoor on Pak China Issue: कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में रिश्तों की बुनियाद जरूरतों पर आधारित होती है। जब जैसी आवश्यकता उसके हिसाब से रिश्तों में नरमी-गरमी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने साफ कर दिया था कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे। उस निर्णायक लड़ाई को ऑपरेशन सिंदूर का नाम मिला और इसकी चर्चा वैश्विक स्तर पर हो रही है। इन सबके बीच सात में से एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव में चीन एक ऐसा कारक है जिसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी बताया कि बीते कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच रिश्तों में जो नरमी आई थी, वह इस टकराव से पहले तक सकारात्मक प्रगति कर रही थी।

थरूर, जो अमेरिका दौरे पर गए बहु-दलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में एक कार्यक्रम में थिंक टैंक प्रतिनिधियों से बात कर रहे थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा, मैं बात घुमा-फिरा कर नहीं कहूंगा, हम जानते हैं कि चीन की पाकिस्तान में बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। उन्होंने बताया कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), जो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, और पाकिस्तान के 81 प्रतिशत रक्षा उपकरण चीन से आते हैं। “यह कहना गलत नहीं होगा कि ये रक्षा नहीं, बल्कि आक्रमण की तैयारी है।

चीन ने पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद में दिया समर्थन

थरूर ने कहा कि 2020 में गलवान घाटी में झड़पों के बाद भारत और चीन के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन पिछले साल सितंबर से उनमें सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जो इस संघर्ष से पहले तक आशाजनक लग रही थी। लेकिन फिर उन्होंने “एक अलग ही चीन” देखा, जो सुरक्षा परिषद में भी पाकिस्तान को खुला समर्थन देता दिखा।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का दांव और चीन का साथ

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद ने एक बयान में हमले की निंदा की थी। परंतु इस बयान में ‘द रेज़िस्टेंस फ्रंट’ का नाम नहीं था, जिसे भारत ने जिम्मेदार माना था। यह नाम पाकिस्तान और चीन की आपत्ति के कारण हटाया गया।

भारत की रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन

थरूर ने बताया कि संघर्ष के दौरान ही भारत ने यह देखा कि पाकिस्तान ने किस तरह चीनी तकनीक जैसे ‘किल चेन’ (जहां रडार, जीपीएस, मिसाइल और विमान एक साथ जुड़े होते हैं) का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी रणनीति नहीं बदलते, तो न तो 11 पाकिस्तानी एयरफील्ड्स पर हमले कर पाते और न ही चीनी एयर डिफेंस को भेद पाते।

चीन के प्रति भारत का नजरिया

थरूर ने कहा कि भारत ने हमेशा अपने पड़ोसियों से संवाद बनाए रखने का प्रयास किया है। “हम विकास, व्यापार और संवाद पर केंद्रित रहे हैं। चीन के साथ हमारा व्यापार आज भी रिकॉर्ड स्तर पर है। इसका मतलब यह नहीं कि हम दुश्मनी का रवैया अपना रहे हैं, लेकिन हमें आँख मूंदकर भरोसा भी नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि अक्टूबर 2024 में भारत और चीन ने देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से सेना हटाने का समझौता किया था, जिसके कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कज़ान, रूस में मुलाकात की थी। नवंबर में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जी-20 सम्मेलन के दौरान रियो डी जनेरियो में और फिर फरवरी में जोहान्सबर्ग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी।

थरूर ने साफ कहा कि हम किसी भ्रम में नहीं हैं कि चीन, पाकिस्तान के साथ कितनी मजबूती से जुड़ा हुआ है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा BRI की सबसे बड़ी परियोजना है और इससे चीन की प्रतिबद्धता का स्तर समझा जा सकता है।

(पीटीआई इनपुट के साथ)

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