Shivraj Singh Chouhan
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शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

भाजपा में ‘शिव’ के राज की तैयारी! कृषि मंत्री अध्यक्ष पद की दौड़ में निकले आगे

25 मई से शिवराज सिंह अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा से पदयात्रा पर निकल रहे हैं. लेकिन शिवराज सिंह चौहान की ये यात्रा केवल विदिशा तक ही सीमित नहीं है. बल्कि देश के अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी वे पदयात्रा करेंगे.


Shivraj Singh Chouhan: केंद्रीय कृषि किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे नजर आ रहे हैं. वैसे तो इस रेस में दूसरे भी नाम शामिल थे लेकिन फिलहाल शिवराज सिंह चौहान का पलड़ा इन सभी में सबसे भारी नजर आ रहा है. और इस बात का संकेत इसी से लगाया जा सकता है कि 25 मई से शिवराज सिंह अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा से पदयात्रा पर निकल रहे हैं. अपने इस पदयात्रा के दौरान शिवराज सिंह चौहान हर रोज 20-25 किलोमीटर पैदल चलेंगे और विदिशा संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा में जायेंगे. सप्ताह में दो से तीन दिनों तक उनकी यात्रा चलेगी. लेकिन शिवराज सिंह चौहान की ये यात्रा केवल विदिशा तक ही सीमित नहीं है. बल्कि देश के अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी वे पदयात्रा करेंगे.

पांव पांव वाले भैया निकलेंगे पदयात्रा पर

देश में ना तो अगले चार साल से पहले लोकसभा चुनाव है और ना साढ़े तीन साल से पहले मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव है. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान की ये पदयात्रा बीजेपी में बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है. अपने इस यात्रा के दौरान शिवराज सिंह चौहान केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही लाभार्थियों से संवाद करेंगे और योजनाओं के प्रभाव का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करेंगे. अपनी यात्रा पर शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि "मेरी पदयात्रा का उद्देश्य है कि केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे और हर गाँव, हर किसान, हर महिला सशक्त बने. इसके लिए हम कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे." इससे स्पष्ट है कि जिम्मेदारी मिलने से पहले ही शिवराज सिंह चौहान अपने इस नए कार्यभार में अभी से रंग जाना चाहते हैं.

संगठन और सरकार के बीच शिवराज बनेंगे सेतु

शिवराज सिंह चौहान सिर्फ एक नेता नहीं हैं. वे भाजपा के भीतर की उस परंपरा का चेहरा हैं जो सहजता, ग्रामीणता और मध्यवर्गीय मूल्यों को साथ लेकर चलती है. वे आक्रामक नहीं हैं लेकिन उपस्थिति इतनी सहज है कि कोई उन्हें नजरअंदाज़ भी नहीं कर सकता है. प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने जिस रणनीतिक राजनीति को स्थापित किया है उसमें शिवराज एक ऐसे चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं जो ‘संगठन’ और ‘सरकार’ दोनों के बीच संतुलन बना सकते हैं. तो शिवराज की पहुंच विपक्षी खेमे में भी है जो किसी भी विवादित मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच सेतु का काम कर सकते हैं.

लंबा प्रशासनिक अनुभव और संगठन के प्रति निष्ठा

शिवराज की विनम्रता, लंबा प्रशासनिक अनुभव और संगठन के प्रति उनकी स्वाभाविक निष्ठा उन्हें औरों से अलग करती है. भारतीय जनता पार्टी में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट है. भाजपा में एक प्रकार से चुनाव नहीं, ‘संकेत’ होते हैं. संघ के सरोकार, मोदी व शाह की रणनीति और राजनीतिक उपयोगिता, इन तीनों के बीच से निकलकर कोई एक नाम अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुँचता है. शिवराज सिंह चौहान अब अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं, और उनकी हाल में घोषित ‘यात्रा’ सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि एक संकेत है नजर आती है, जैसे एक आगामी ‘राज’ का पूर्वाभास. यह भाजपा के भीतर एक संदेश है कि पार्टी का भविष्य फिर से जमीन से जुड़ने से निकलेगा. जब राजनीति ज्यादा तकनीकी, ज़्यादा डिजिटल और ज़्यादा प्रचार केंद्रित हो चुकी है, तब शिवराज की यह ‘पदयात्रा’ उन्हें बाकी नामों से अलग करती है.

शिवराज की छवि आज भी ‘मामा’ की है

भाजपा में अध्यक्ष पद पर नजर रखने वाले नाम कई हैं. इनमें से कुछ संगठन से आते हैं तो कुछ सरकार से. लेकिन शिवराज का नाम इसलिए अलग है क्योंकि वे उस पीढ़ी से आते हैं जो नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ता के बीच की दूरी को समझती है. वे मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं, फिलहाल केंद्रीय मंत्री भी हैं लेकिन उनकी सार्वजनिक छवि आज भी ‘मामा’ की है, एक घरेलू, भरोसेमंद और संवादप्रिय नेता की.शिवराज सरीखे नेता संगठन को नर्म भाषा, स्थानीय भावनाओं और पुराने कार्यकर्ताओं की आवाज से जोड़ सकते हैं.

ये चेहरे भी थे अध्यक्ष की दौड़ में शामिल

शिवराज सिंह चौहान जब 2023 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ी जीत दिलाने के बाद भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बने और जब उन्हें भोपाल से दिल्ली लाया गया तभी ये संकेत मिलने लगे थे कि बीजेपी और संघ की उन्हें लेकर कुछ और ही तैयारी चल रही है. वैसे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौड़ में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम भी लिया जा रहा था क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता है. तो उनके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम की भी चर्चा थी जो दक्षिण भारत से आती हैं. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनावी लड़ाई तमिलनाडु और केरल में होने वाली है जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाला है. दक्षिण भारत में पार्टी खुद को मजबूत करना चाहती है. निर्मला के जरिए महिला वोटबैंक भी पार्टी की नजर थी. लेकिन शिवराज सिंह चौहान सब पर अब भारी नजर आ रहे हैं.

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