स्मृति ईरानी को राहुल अब अच्छे लगने लगे, हार या साइडलाइन होने का असर
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स्मृति ईरानी को राहुल अब अच्छे लगने लगे, हार या साइडलाइन होने का असर

क्या आप सोच सकते हैं कि राहुल गांधी की स्मृति ईरानी तारीफ करेंगी। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मिस्टर गांधी ने खुद में बदलाव किया है और उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।


Smriti Irani: सियासत का फलसफा बेहद अजीब है, कौन किसे कब क्या कहे, कौन किसे कब बुरा और अच्छा लगने लगे कुछ कहा नहीं जा सकता। यहां पर उस सियासी चेहरे की बात करेंगे जो बीजेपी की कद्दावर नेता हैं नाम स्मृति ईरानी है। अगर आपको ध्यान हो तो स्मृति ईरानी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ खूब बोलती थीं.यहां तक कि राहुल को बच्चा तक करार दिया। लेकिन अब वो उनकी तारीफ कर रही हैं। एक पॉडकास्ट में कहा कि राहुल गांधी की राजनीति अब बदल रही है अब बच्चों जैसी बात नहीं रही। स्मृति इरानी के मुताबिक थोड़ी कामयाबी मिलने के बाद राहुल गांधी अब अपने राजनीतिक कौशल को धार दे रहे हैं। मसलन संसद में जातिगत जनगणना को उठाना, संसद में सफेद रंग की टी शर्ट पहन कर युवाओं को संदेश दे रहे हैं।

तारीफ यूं ही या
स्मृति ईरानी कहती है कि राहुल गांधी गुणा गणित के साथ देश की एक खास आबादी को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक राहुल को कमतर आंकना भूल होगी। हमें उनके हाव भाव और व्यवहार को लेकर किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। चाहे आप उन्हें अच्छा, बुरा या बच्चा मानें यह अलग तरह की राजनीति है। वो इन प्रतीकों और भाषण के जरिए भारतीय राजनीति में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि वो अगले ही पल कांग्रेस और राहुल गांधी की आलोचना करने से भी नहीं चूकीं

तारीफ के साथ आलोचना भी
भाजपा नेता ने कांग्रेस पार्टी के नरम हिंदुत्व" के पिछले प्रयासों की भी आलोचना की, जिसमें चुनावी मौसम में गांधी का मंदिर जाना भी शामिल है। उन्होंने तर्क दिया कि ये प्रयास मतदाताओं को पसंद नहीं आए और उन्हें संदेह की दृष्टि से देखा गया। ईरानी ने सुझाव दिया कि गांधी की हालिया राजनीतिक सफलता इस रणनीति की विफलता से विकसित हुई है। ईरानी ने कहा, "राहुल गांधी को अपने मंदिर दौरे से कोई लाभ नहीं मिला। यह मजाक का विषय बन गया। कुछ लोगों को यह धोखा देने वाला लगा। इसलिए जब यह रणनीति काम नहीं आई, तो उन्होंने लाभ उठाने के लिए जाति के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। भड़काऊ बयान और मीडिया का ध्यान ईरानी ने गांधी पर लोगों की नजरों में बने रहने के लिए भड़काऊ बयान देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने मिस इंडिया में दलित या आदिवासी प्रतियोगियों की कमी के बारे में उनकी हालिया टिप्पणी का उदाहरण दिया।
तल्खी क्यों बढ़ी
स्मृति ईरानी, राहुल गांधी को लेकर इतनी तल्ख क्यों रहीं। उसे समझने के लिए साल 2014 में चलना होगा। स्मृति ईरानी, गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से किस्मत आजमां रही थीं। लेकिन उस चुनाव में राहुल गांधी को जीत मिली। हालांकि स्मृति ईरानी को हार का नुकसान नहीं उठाना पड़ा। मोदी सरकार में वो ताकतवर मंत्रालय को संभालने लगीं। साल 2019 आया एक बार फिर स्मृति ईरानी और राहुल गांधी एक दूसरे के आमने सामने थे। इस दफा राहुल गांधी को अमेठी की जनता ने नकार दिया। जाहिर सी बात थी कि कांग्रेस के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं था। स्मृति ईरानी एक बार मंत्रिमंडल का हिस्सा बनीं। यह बीजेपी की राजनीति को भी सूट करता था कि वो चेहरा मुखर तौर पर राहुल गांधी के खिलाफ बोले जिसने मात दी। पार्टी की मंशा को भांप कर स्मृति ईरानी तीखे हमले करने लगीं।
अब सियासत में हर दिन एक जैसा नहीं होता। साल 2024 में स्मृति दूसरी बात जीत की तैयारी में जुटी थीं. राहुल गांधी को लेकर पशोपेश था कि वो चुनाव में लड़ेंगे या नहीं। कांग्रेस ने फैसला किया कि राहुल नहीं बल्कि गांधी परिवार से जुड़े शख्स किशोरी लाल शर्मा चुनावी मैदान में होगा। पहले ऐसा लगा की स्मृति ईरानी की जीत आसान होगी। लेकिन नतीजा खिलाफ आया। अब सियासत का उसूल है कि जो शख्स जब तक फायदा देते रहे उसकी पूजा करो। यदि उस शख्स से कुछ खास फायदा मिलने की उम्मीद ना हो तो उसे धीरे धीरे बिसार दो।

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