
मानसून ने समय से पहले दी दस्तक, 2009 के बाद सबसे जल्दी पहुंचा केरल!
IMD Update: मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का यह मतलब नहीं है कि पूरे देश में मानसून समय पर पहुंचेगा या कुल बारिश अधिक या कम होगी.
Monsoon 2025: भारत में मानसून सीजन की औपचारिक शुरुआत हो गई है. दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दे दी, जो कि सामान्य तिथि (1 जून) से पहले है. यह मानसून का 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन है, जब वह 23 मई को केरल पहुंचा था. इस बार यह 25 मई को पहुंचा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मानसून का समय से पहले आना एक बड़ा संकेत है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि देश के अन्य हिस्सों में भी यह तय समय से पहले या बाद में पहुंचेगा.
हर साल अलग रहा है मानसून का आगमन
2023- 8 जून
2022- 29 मई
2021- 3 जून
2020- 1 जून
2019- 8 जून
2018- 29 मई
2009- 23 मई
सबसे जल्दी- 19 मई 1990 (रिकॉर्ड के अनुसार 1975 के बाद से)
बारिश पर असर
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का यह मतलब नहीं है कि पूरे देश में मानसून समय पर पहुंचेगा या कुल बारिश अधिक या कम होगी. मानसून का फैलाव और तीव्रता कई वैश्विक और स्थानीय कारकों पर निर्भर करती है. मौसम विभाग ने अप्रैल में अनुमान लगाया था कि 2025 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है. साथ ही अल नीनो प्रभाव की आशंका भी नकार दी गई है, जो अक्सर भारत में कम बारिश से जुड़ा होता है.
सामान्य वर्षा: 96% से 104% (50 वर्षों का औसत 87 सेमी)
अल्पवृष्टि (कम वर्षा): 90% से कम
सामान्य से कम: 90% - 95%
सामान्य से अधिक: 105% - 110%
अत्यधिक वर्षा: 110% से अधिक
पिछले वर्षों में भारत में कुल वर्षा
2024– 934.8 मिमी (108% औसत से अधिक)
2023– 820 मिमी (94.4%)
2022– 925 मिमी
2021– 870 मिमी
2020– 958 मिमी
मानसून की भूमिका
भारत में मानसून 42% आबादी की आजीविका का आधार बने कृषि क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो देश की GDP का 18.2% योगदान देता है. इसके अलावा मानसून जलाशयों को भरने में मदद करता है, जो देशभर में पीने के पानी और बिजली उत्पादन का बड़ा स्रोत हैं.