
उपराष्ट्रपति पद के लिए सुदर्शन रेड्डी उम्मीदवार, मुश्किल में फंसी तेलुगु पार्टियां!
पूर्व सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश और सरकारों के कट्टर आलोचक का नामांकन तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय दलों के लिए राजनीतिक दुविधा पैदा करता है।
विपक्षी गठबंधन INDIA Bloc ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा कर दी है। तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस रेड्डी के नाम ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की क्षेत्रीय राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है।
संविधान के प्रबल समर्थक
जस्टिस रेड्डी सरकार की कई नीतियों के आलोचक रहे हैं, जिन पर संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करने का आरोप लगा। वे संघीय ढांचे और सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर माने जाते हैं। छात्र जीवन से ही वे समाजवादी विचारधारा से जुड़े रहे हैं और डॉ. राम मनोहर लोहिया के अनुयायी रहे हैं।
सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता
पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रेड्डी का नाम ‘सलवा जुडूम’ पर दिए गए ऐतिहासिक फैसले के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने 2011 में न्यायमूर्ति एसएस निज्जर के साथ यह फैसला सुनाया था, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समर्थित इस एंटी-माओवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया था। कोर्ट ने आत्मसमर्पण कर चुके माओवादियों और प्रशिक्षित न किए गए ग्रामीणों को विशेष पुलिस अधिकारी बनाने को भी असंवैधानिक करार दिया था।
सेवानिवृत्ति के बाद भी सक्रिय
2013 में सेवानिवृत्ति के बाद भी जस्टिस रेड्डी सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। तेलंगाना आंदोलन के नेता प्रो. एम. कोदंदराम के अनुसार, उन्होंने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2014 के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई थी।
तेलुगु राजनीति का समीकरण
जस्टिस रेड्डी के नामांकन ने तेलुगु भाषी राज्यों की राजनीति में एक नई स्थिति उत्पन्न कर दी है। तेलंगाना की प्रमुख पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) के सामने दुविधा खड़ी हो गई है। एक ओर जस्टिस रेड्डी तेलंगाना की जनता के बीच बेहद सम्मानित हैं। वहीं, दूसरी ओर वे विपक्षी INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार हैं। अगर BRS उनका समर्थन करता है तो यह संकेत जाएगा कि वह कांग्रेस के नज़दीक आ रही है।
पार्टी के एक सूत्र के मुताबिक, BRS के लिए यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामला है। यदि वे समर्थन करते हैं तो बीजेपी के साथ दूरी और कांग्रेस के प्रति झुकाव का संकेत जाएगा। लेकिन जस्टिस रेड्डी को नकारना जनता के बीच असंतोष पैदा कर सकता है। BRS के एक वरिष्ठ नेता ने इस विषय पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि पार्टी इस पर सामूहिक निर्णय लेगी। गौरतलब है कि लोकसभा में BRS का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, लेकिन राज्यसभा में इसके चार सांसद हैं।
आंध्र प्रदेश में असर
आंध्र प्रदेश की राजनीति में तीन प्रमुख दल हैं — तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनसेना पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस। TDP और जनसेना एनडीए (NDA) का हिस्सा हैं, जबकि YSR कांग्रेस ने पहले ही एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। हालांकि जस्टिस रेड्डी एक तेलुगु उम्मीदवार हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि तेलुगु गर्व (Telugu pride) के नाम पर इन पार्टियों की रणनीति में कोई बदलाव नहीं आएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता सी. नागेन्द्रनाथ का कहना है, “राजनीतिक दलों ने आंध्र में अपने रुख साफ कर लिए हैं। TDP और जनसेना NDA के साथ हैं और उसे छोड़ना उनके लिए संभव नहीं। वहीं YSR कांग्रेस केंद्र में मोदी सरकार से टकराव नहीं मोल लेना चाहेगी, क्योंकि उसके खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाइयाँ चल रही हैं।
लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में कदम: प्रो. श्रीधर
प्रो. मादभूशी श्रीधर ने कहा कि जस्टिस रेड्डी की उम्मीदवारी भारत के संसदीय लोकतंत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम है। उन्होंने कहा कि अपने फैसलों के ज़रिए जस्टिस रेड्डी ने सरकारों को जनता के अधिकारों की रक्षा का स्पष्ट संदेश दिया है। यह न्यायिक मानवीयता, संविधान की भावना और मानवाधिकारों की रक्षा में मील का पत्थर है।
व्यक्तिगत पृष्ठभूमि
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म जुलाई 1946 में अकुला मायलारम गांव, रंगा रेड्डी ज़िले (अब तेलंगाना) में हुआ था। उन्होंने 27 दिसंबर 1971 को हैदराबाद में वकील के रूप में पंजीकरण कराया और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में वकालत की। 1995 में वे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए। साल 1990 में उन्होंने केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी छह महीने कार्य किया। हाल ही में, उन्होंने तेलंगाना सरकार द्वारा कराए गए जाति सर्वेक्षण की समीक्षा के लिए गठित 11 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का नेतृत्व किया था।