सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बिहार SIR प्रोसेस में पहचान के लिए आधार को माना जाएगा वैलिड डॉक्यूमेंट
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बिहार SIR प्रोसेस में पहचान के लिए आधार को माना जाएगा वैलिड डॉक्यूमेंट

कोर्ट ने आदेश दिया है कि वोटर्स की पहचान के लिए आधार को 12वें डॉक्यूमेंट के तौर पर स्वीकार किया जाए. कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपने अधिकारियों को निर्देश जारी करने को कहा है.


सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि वोटर्स की पहचान के लिए आधार को 12वें डॉक्यूमेंट के तौर पर स्वीकार किया जाए. कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपने अधिकारियों को निर्देश जारी करने को कहा है. हालांकि इस आदेश के साथ कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया है कि आधार नागरिकता का पहचान सत्यापन करने वाला डॉक्यूमेंट नहीं है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मामले की सुनवाई की. मामले की सुनवाई शुरू होते ही सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट से पूछा कि आधार मान्य या नहीं? समय निकलता जा रहा है और जो आयोग कर रहा वो हैरान करने वाला है. सिब्बल ने कहा, 10 जुलाई को कोर्ट ने कहा, चुनाव आयोग आधार, EPIC और राशन कार्ड को स्वीकार करे. उन्होंने कहा, बीएलओ किसी की नागरिकता नहीं सिद्ध कर सकते हैं. उन्होंने बताया, कोर्ट के आदेश के बाद 65 लाख वोटर्स जिनका नाम ड्रॉफ्ट लिस्ट में नहीं है उनसे भी आधार को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा, चुनाव आयोग स्वीकार नहीं करने के लिए अपने अधिकारियों को कहा रहा है.

कपिल सिब्बल ने बताया कि चुनाव आयोग ऐसे अधिकारियों को दंडित कर रहा जो 11 डॉक्यूमेंट्स के अलावा कोई डॉक्यूमेंट को स्वीकार कर रहे हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अधिकारियों को चुनाव आयोग ने नोटिस भी जारी किया है. उन्होंने कोर्ट को नोटिस भी दिखाया.

जस्टिस कांत ने कहा, जो इस देश के नागरिक हैं, उन्हें वोट देने का अधिकार है. फर्जी दस्तावेज़ वाले बाहर कर दिए जाएँगे. मुख्य सवाल यह है कि आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज़ माना जाए या नहीं. आधार एक्ट के मुताबिक, यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है. लेकिन आरपीए (Representation of People Act) के तहत यह पहचान का एक वैध दस्तावेज़ है. चुनाव आयोग (ECI) ने कहा है कि आधार कार्ड को स्वीकार किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, चुनाव आयोग कल तक इसका नोटिफिकेशन जारी करेगा. कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा, आधार को 12वां दस्तावेज़ माना जाना चाहिए. अभी 11 दस्तावेज़ हैं, जिनके अलावा कुछ स्वीकार नहीं होता. इनमें से 9 दस्तावेज़ नागरिकता का प्रमाण नहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को बाद आदेश दिया, आधार कार्ड (Aadhaar Act 2016 के तहत जारी) को पहचान साबित करने के लिए 12वें दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाएगा. संशोधित मतदाता सूची (electoral list) में शामिल या बाहर करने की प्रक्रिया में इसका इस्तेमाल होगा. अधिकारी ज़रूरत पड़ने पर इसकी जांच कर सकते हैं. चुनाव आयोग आज ही इस बारे में निर्देश जारी करेगा. मामले को लेकर अगली सुनवाई सोमवार 15 सितंबर को होगी.

याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट के आधार को १२वें डॉक्यूमेंट के तौर पर मान्यता देने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, दो महीने की कानूनी लड़ाई के बाद वोटबंदी की साजिश पर लगाम लगा है.

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