
पहलगाम हमले की न्यायिक जांच याचिका पर SC सख्त, याचिकाकर्ता को लगाई फटकार
Pahalgam terror attack: अदालत ने इसे ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताते हुए कहा कि यह देश के प्रति जिम्मेदारी के विपरीत है.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर कड़ी नाराज़गी जताई. अदालत ने कहा कि ऐसी याचिकाएं सिर्फ सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने का काम करती हैं. जबकि पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह एक ऐसा नाजुक समय है, जब देश का हर नागरिक आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है. ऐसी याचिकाओं के जरिए हमारे सुरक्षाबलों का मनोबल न गिराएं.
याचिकाकर्ता हतेश कुमार साहू, जो पेशे से वकील हैं, ने अनुरोध किया था कि इस हमले की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई जाए. अदालत ने इसे ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताते हुए कहा कि यह देश के प्रति जिम्मेदारी के विपरीत है. पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश कब से जांच विशेषज्ञ बन गए हैं? न्यायाधीशों का काम न्याय देना है, न कि आपराधिक मामलों की जांच करना.
साहू ने अदालत को बताया कि उनकी मंशा सुरक्षाबलों का मनोबल गिराने की नहीं थी और वे अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसे मामलों में सावधानी बरतें और कहा कि आपको देश के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए. क्या इसी तरह आप सुरक्षा बलों का हौसला तोड़ना चाहते हैं?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए, ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं उच्च न्यायालय में भी नहीं जानी चाहिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दी. लेकिन छात्रों की सुरक्षा के मुद्दे पर संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की छूट दी.
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में स्थित बैसरान घास के मैदान में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई थी और 15 अन्य घायल हो गए थे. यह स्थान ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से प्रसिद्ध है और यहां तक पहुंचने का रास्ता पैदल या खच्चरों के जरिए ही संभव है. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की छाया इकाई ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी. इसे हाल के वर्षों में घाटी में हुआ सबसे बड़ा नागरिक हमला माना जा रहा है.