...इसलिए लोग नहीं कर रहे काम, सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त रेवड़ियों पर जताई नाराजगी
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'...इसलिए लोग नहीं कर रहे काम', सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त रेवड़ियों पर जताई नाराजगी

Supreme Court ने कहा कि इन मुफ्त उपहारों की वजह से लोग काम करने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है. उन्हें बिना काम किए पैसे मिल रहे हैं.


Supreme Court on freebies: राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए तमाम मुफ्त योजनाओं (Freebies) की घोषणा करती हैं. इन योजनाओं और उपहारों को आजकल रेवड़ियां भी कहा जा रहा है. इन रेवड़ियों का असर इतना व्यापक है कि जनता भी उसी पार्टी की सरकार बना रही है. जिसकी रेवड़ी उसको अधिक मीठी लगती है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इसको लेकर समय-समय पर टिप्पणी करता रहा है और इसे डेमोक्रेसी के लिए सही नहीं बताता रहा है. इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट में फिर से शहरी गरीबी उन्मूलन पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने मुफ्त उपहारों (Freebies) की घोषणा करने की प्रथा पर नाराजगी जताते हुए कहा कि लोग अब काम करने के इच्छुक नहीं हैं. क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसे मिल रहे हैं.

जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि दुर्भाग्यवश, इन मुफ्त उपहारों की वजह से लोग काम करने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है. उन्हें बिना काम किए पैसे मिल रहे हैं. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने शहरी क्षेत्रों में बेघर व्यक्तियों के लिए आश्रय के अधिकार से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम आपकी इस चिंता को समझते हैं. लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उन्हें समाज के मुख्यधारा का हिस्सा बनाया जाए और उन्हें देश के विकास में योगदान देने का अवसर दिया जाए.

केंद्र के वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटारामणि ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि केंद्र शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. इसका मकसद प्रमुख समस्याओं, जिसमें शहरी बेघरों के लिए आश्रय भी शामिल है, को हल करना है. इसके जवाब में, बेंच ने अटॉर्नी जनरल से मिशन के कार्यान्वयन के लिए समयसीमा की पुष्टि करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने अगले सुनवाई के लिए छह सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित की है.

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को मुफ्त उपहारों पर फटकार लगाई है. पिछले साल, उसने केंद्र और चुनाव आयोग (ईसी) से राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनावी अभियानों के दौरान मुफ्त उपहारों की पेशकश करने की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा था. इस बीच, राजनीतिक पार्टियाँ वोट हासिल करने के लिए मुफ्त उपहारों पर आधारित योजनाओं पर भारी निर्भर रही हैं. जैसा कि हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों में देखा गया.

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