बिहार की वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नामों की सूची प्रकाशित, SC के निर्देश पर चुनाव आयोग हरकत में आया
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चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची उनके हटाए जाने के कारण सहित प्रकाशित की है।

बिहार की वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नामों की सूची प्रकाशित, SC के निर्देश पर चुनाव आयोग हरकत में आया

यह फैसला उस समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने SIR के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया था कि जिन लोगों के नाम प्रारंभिक मतदाता सूची से हटाए गए हैं, उनके विवरण और हटाने के कारण सार्वजनिक किए जाएँ।


बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) ने रविवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण में प्रारंभिक मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित किया। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस अंतरिम आदेश के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग मतदाता सूची से हटाए गए नामों और उनके कारणों को सार्वजनिक करे।

बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने एक बयान में कहा,“माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 14.08.2025 को दिए गए अंतरिम आदेश के आलोक में यह सूचित किया जाता है कि ऐसे मतदाताओं की सूची, जिनके नाम वर्ष 2025 की मतदाता सूची (प्रारूप प्रकाशन से पहले) में शामिल थे, लेकिन 01.08.2025 को प्रकाशित प्रारूप सूची में शामिल नहीं हैं, कारणों (मृत/स्थायी रूप से स्थानांतरित/अनुपस्थित/दोहराव प्रविष्टि) सहित, बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट और राज्य के सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित की गई है।”

नाम कैसे खोजें

नाम बिहार CEO की वेबसाइट पर मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर के आधार पर खोजे जा सकते हैं। बूथवार सूचियाँ भी डाउनलोड की जा सकती हैं। सूची में नाम, EPIC नंबर, पिता का नाम और हटाने का कारण दर्ज है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्ष ने इस कदम का स्वागत किया है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा,“यह फैसला उसी दिन आया है जब इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी, तेजस्वी प्रसाद यादव और अन्य 22 जिलों की यात्रा पर निकले हैं ताकि मतदाताओं को उनके मताधिकार के बारे में जागरूक किया जा सके। अब हम डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं और उन मामलों को उठा सकते हैं जिनमें मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं।”

विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान संभावित गलत विलोपनों को लेकर चिंता जताई है। उनका दावा है कि कई लोगों को मृत घोषित कर सूची से बाहर कर दिया गया, जबकि वे जिंदा हैं।

बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 7.24 करोड़ पहले प्रारूप में शामिल हुए। हटाए गए 65 लाख नामों में से 36 लाख लोगों को स्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरित बताया गया, जबकि 22 लाख को मृत दिखाया गया।

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