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सुप्रीम कोर्ट : ईवीएम का डेटा न मिटाया जाए, न नया डेटा लोड किया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि हाल ही में हुए चुनाव का डेटा ईवीएम मशीन से डिलीट न किया जाए।
Supreme Court On EVM: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण जारी करते हुए चुनाव आयोग (Election Commission) को निर्देश दिया कि जिन क्षेत्रों में हाल ही में चुनाव आयोजित किए गए हैं, वहां के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) का डेटा न तो मिटाया जाए और न ही उनमें नया डेटा लोड किया जाए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने चुनाव आयोग से ईवीएम के बर्न्ट मेमोरी (यानि उन मशीनों का डेटा जो चुनाव के दौरान इस्तेमाल की गई थीं) की जांच के लिए स्पष्ट और विस्तृत प्रोटोकॉल बनाने की मांग की थी।
ADR द्वारा दायर की गई याचिका में यह आरोप लगाया गया कि चुनाव आयोग ने अब तक बर्न्ट मेमोरी की जांच को लेकर कोई ठोस दिशा-निर्देश या मानक प्रोटोकॉल तैयार नहीं किया है। याचिका में कहा गया है कि इसके चलते चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं, और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति लोगों का विश्वास कमजोर होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से जवाब मांगा है और इसे आगामी सुनवाई में स्पष्ट करने के लिए कहा है कि ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी की जांच करने के लिए वह कौन सी प्रक्रियाएं अपनाएगा। अदालत ने मामले पर आगे की सुनवाई मार्च के तीसरे हफ्ते के लिए निर्धारित की है।
ADR का तर्क और सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश
ADR ने अपनी याचिका में विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के एक अहम फैसले का उल्लेख किया। इस फैसले में कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि चुनाव परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह के भीतर ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी की जांच की जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव में किसी प्रकार की छेड़छाड़ या धोखाधड़ी नहीं हुई है। कोर्ट ने कहा था कि इस जांच से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और चुनाव परिणामों की विश्वसनीयता में इजाफा होगा।
ADR का कहना है कि चुनाव आयोग ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है और अब तक इस पर कोई प्रोटोकॉल तैयार नहीं किया गया है। इसलिए, यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई, ताकि चुनाव आयोग को इस मामले में दिशा-निर्देश दिए जा सकें।
क्या है बर्न्ट मेमोरी और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी उस डेटा को संदर्भित करती है, जो मशीन में चुनाव के दौरान डाला जाता है। यह मेमोरी चुनाव के दौरान वोटों की गिनती और उनकी प्रक्रिया को रिकॉर्ड करती है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल यह स्पष्ट किया था कि चुनाव के बाद इस बर्न्ट मेमोरी की जांच की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव के परिणामों में कोई अनियमितता या हेरफेर नहीं हुआ है।
ADR का तर्क है कि यदि बर्न्ट मेमोरी की सही तरीके से जांच नहीं की जाती, तो यह चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठा सकता है। इसके साथ ही, चुनाव आयोग पर यह दबाव भी बनाया जा सकता है कि वह चुनाव परिणामों के बाद ईवीएम के डेटा को संरक्षित रखे और उसकी जांच की अनुमति दे।
सुप्रीम कोर्ट मार्च में करेगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अब चुनाव आयोग से यह जवाब देने को कहा है कि वह बर्न्ट मेमोरी की जांच के लिए कौन से कदम उठाएगा और इस प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए क्या दिशा-निर्देश तय करेगा। इस मामले की अगली सुनवाई मार्च के तीसरे हफ्ते में होगी, जब कोर्ट इस पर और विस्तार से विचार करेगा।
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