
सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को दी अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने अली खान महमूदाबाद को मामले से संबंधित विषय पर कोई पोस्ट लिखने या मौखिक बयान देने पर रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दे दी है. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता है, और निर्देश दिया है कि तीन आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की जाए, जिनमें से कोई भी दिल्ली या हरियाणा से न हो. इन तीन अधिकारियों में से एक महिला होना अनिवार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने अली खान महमूदाबाद को मामले से संबंधित विषय पर कोई पोस्ट लिखने या मौखिक बयान देने पर रोक लगा दी है.
जमानत की याचिका दलील रखते हुए प्रोफेसर अली खान के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया गया कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की पत्नी गर्भवती हैं और उन्हें देखभाल की जरूरत है.
एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद सोशल मीडिया पर ऐसे बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें महिला सैनिक अधिकारियों का अपमान और सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाला माना गया. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने उनके पोस्ट को "डॉग व्हिसलिंग" यानी अप्रत्यक्ष रूप से भड़काने वाला बताया है. महमूदाबाद को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ देश की एकता और संप्रभुता को खतरे में डालने जैसी गंभीर धाराओं में दो एफआईआर दर्ज की गई थी. उन्हें उसी दिन सोनीपत की अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया और मंगलवार 20 मई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
इन मामलों में एक शिकायत हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने की थी और दूसरी शिकायत एक गांव के सरपंच की ओर से की गई थी. महिला आयोग ने हाल ही में उन्हें नोटिस भेजा था. महमूदाबाद का कहना है कि उनके बयान को गलत समझा गया और उन्होंने अपने बोलने के मौलिक अधिकार का हवाला दिया.