
राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ आरोपों पर EC चुप क्यों? SC से दखल की उठी मांग
राहुल गांधी के खुलासे और जस्टिस पाटिल की टिप्पणियों ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट और जनता की अगली प्रतिक्रिया पर हैं।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा हाल ही में किए गए वोटर फ्रॉड के बड़े खुलासे के बाद चुनाव आयोग (EC) की भूमिका पर तीखी बहस शुरू हो गई है। The Federal के विशेष शो Capital Beat में बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल ने EC पर गंभीर आरोप लगाए और उसे “अहंकारी” और “पारदर्शिता विहीन” संस्था करार दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का खुलासा भारत में लोकतंत्र की बुनियादी साख पर सवाल खड़े करता है और अब सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान (Suo Motu) लेना चाहिए।
राहुल का हमला
1. कई मतदाताओं का एक ही पते पर पंजीकरण कैसे?
2. CCTV फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग क्यों हटाई गईं?
3. वोटर लिस्ट में फर्जी नाम कैसे जोड़े गए?
4. क्या चुनाव आयोग निष्पक्ष है या सत्ताधारी पार्टी का एजेंट?
5. विपक्षी पार्टियों को धमकी और नजरअंदाजी क्यों?
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके इस खुलासे के अगले ही दिन राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कुछ भाजपा शासित राज्यों में राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट्स ऑफलाइन कर दी गईं।
संस्थागत घमंड
रिटायर्ड जज बीजी कोलसे पाटिल ने कहा कि EC द्वारा राहुल से लिखित हलफनामा मांगना "संवैधानिक घमंड" का प्रतीक है। टीवी पर सबूत आने के बाद भी अगर आयोग जवाब देने की बजाय प्रतिरोध दिखा रहा है तो यह एक गंभीर चिंता है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी की टीम ने घर-घर जाकर वोटर लिस्ट की जांच की है, जो पूरी तरह वैध और प्रमाणिक है।
सुप्रीम कोर्ट से अपील
जस्टिस पाटिल ने सीधा आह्वान करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों से मैं अनुरोध करता हूं कि संविधान की रक्षा के लिए स्वतः संज्ञान लें। उन्होंने अनुच्छेद 32 और 142 का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास लोकतंत्र को बचाने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं।
राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप
जस्टिस पाटिल ने कहा कि EC और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं में राजनीतिक नियुक्तियों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पहले किसान परिवारों से न्यायधीश बनते थे, अब पार्टी प्रवक्ताओं को संवैधानिक पद दिए जा रहे हैं।
INDIA गठबंधन की रणनीति
राहुल गांधी के आवास पर हुई INDIA गठबंधन की बैठक में चुनाव आयोग के खिलाफ विरोध रैली आयोजित करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, जस्टिस पाटिल ने कहा कि सिर्फ प्रतीकात्मक रैलियों से कुछ नहीं होगा, जब तक जनता सड़कों पर नहीं उतरेगी।
चुनाव बहिष्कार
यह पूछे जाने पर कि क्या चुनावों का बहिष्कार कारगर होगा, उन्होंने कहा कि बहिष्कार का कोई फायदा नहीं। सत्ता पक्ष अपने समर्थन वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार देगा।
कानूनी कार्यवाही
रिटायर्ड जज ने कहा कि अगर चुनाव में धांधली के पांच तरीकों का खुलासा सही साबित होता है तो चुनाव रद्द भी हो सकते हैं — लेकिन इसके लिए न्यायिक साहस चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल न्यायिक हस्तक्षेप या जन आंदोलन ही इस स्थिति से निपट सकता है।
संविधान बचाने का समय
अपने पुराने आंदोलनकारी इतिहास की याद दिलाते हुए जस्टिस पाटिल ने कहा कि मैं जेल जा चुका हूं, पुलिस कस्टडी में भी रहा हूं, लेकिन डरता नहीं हूं। मैं कांग्रेस और गांधी परिवार से अपील करता हूं — अब पीछे नहीं हटें। यह संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का समय है।