बीआरएस-बीजेपी डील टिप्पणी पर तेलंगाना के सीएम को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
x

'बीआरएस-बीजेपी डील' टिप्पणी पर तेलंगाना के सीएम को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बयानों से लोगों के मन में आशंकाएं पैदा हो सकती हैं


Supreme Court Warns Telangana CM Revanth Reddy: सुप्रीम कोर्ट ने के कविता को ज़मानत पर तेलगांना के सीएम रेवंत रेड्डी के बयान पर नाराजगी जाहिर की. जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने कहा कि तेलंगाना सीएम के बयान सुप्रीम कोर्ट पर आक्षेप लगाने जैसे हैं, एक राज्य का मुख्यमंत्री ऐसा कैसे कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि क्या हमें पॉलिटिकल पार्टी से पूछकर फैसला देना होगा.

"क्या आपने अख़बार में पढ़ा कि उन्होंने क्या कहा? बस पढ़िए कि उन्होंने क्या कहा है. एक ज़िम्मेदार मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया यह कैसा बयान है? इससे लोगों के मन में आशंकाएँ पैदा हो सकती हैं. क्या यह ऐसा बयान है जो एक मुख्यमंत्री को देना चाहिए. एक संवैधानिक पदाधिकारी इस तरह से बोल रहा है?"
न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने रेड्डी की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा, "उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में अदालत में क्यों घसीटना चाहिए? क्या हम राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके आदेश पारित करते हैं. हमें राजनेताओं से या यदि कोई हमारे आदेशों की आलोचना करता है तो इससे कोई परेशानी नहीं है. हम अंतरात्मा और शपथ के अनुसार अपना कर्तव्य निभाते हैं."

मीडिया के सामने दिया था रेवंत रेड्डी ने बयान
मीडियाकर्मियों से बातचीत में रेड्डी ने मंगलवार को कहा था कि एमएलसी कविता को पांच महीने में जमानत मिलने पर संदेह है, जबकि मनीष सिसोदिया को 15 महीने बाद जमानत मिली और केजरीवाल को अभी तक जमानत नहीं मिली है. उन्होंने आरोप लगाया, "यह सच है कि बीआरएस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत के लिए काम किया. ऐसी भी चर्चा है कि कविता को बीआरएस और भाजपा के बीच समझौते के कारण जमानत मिली."

अदालत के काम में न करें हस्तक्षेप
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संस्थाओं के प्रति परस्पर सम्मान रखना और एक दूसरे से दूरी बनाए रखना मौलिक कर्तव्य है, पीठ ने कहा, "हम हमेशा कहते हैं कि हम विधायिका में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, तो उनसे भी यही अपेक्षा की जाती है. क्या हम राजनीतिक विचारों के आधार पर आदेश पारित करते हैं?" पीठ में न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे.
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट 2015 के कैश-फॉर-वोट घोटाला मामले, जिसमें रेड्डी एक आरोपी हैं, की सुनवाई राज्य से भोपाल स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.



Read More
Next Story