
SC का सख्त निर्देश: दिव्यांगों पर समय रैना और अन्य कॉमेडियन को करने होंगे दो शो मासिक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉमेडियन को SMA मरीज़ों की मदद करने और उनके समय पर इलाज के लिए पैसे जुटाने में मदद करने के लिए दिव्यांग लोगों को दिखाने वाले प्रोग्राम दिखाने चाहिए।
Supreme Court On Samay Raina : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (27 नवंबर) को कॉमेडियन समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमारजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर को यह निर्देश दिया कि वे अपने कार्यक्रमों में ऐसे विशेष एपिसोड शामिल करें, जिनमें दिव्यांगजन की सफलता की कहानियाँ सामने लाई जाएँ। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी (SMA) जैसे दुर्लभ रोगों से जूझ रहे लोगों के इलाज के लिए धन जुटाना होगा।
अदालत ने ‘नरमी की मांग’ ठुकराई
कोर्ट ने यह आदेश उन असंवेदनशील चुटकुलों के लिए प्रतिपूरक उपाय के तौर पर दिया है, जो इन कॉमेडियंस ने दिव्यांग व्यक्तियों पर किए थे।
मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने साफ कहा कि ऐसे कार्यक्रम कम से कम महीने में दो बार प्रसारित किए जाएँ और कॉमेडियन चाहें तो दिव्यांगजन को अपने प्लेटफॉर्म पर बुलाकर फंड जुटाने में उनकी मदद भी ले सकते हैं।
कॉमेडियंस की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि वे इतना नियमित तौर पर शो नहीं करते, क्योंकि उनके इवेंट अक्सर स्पॉन्सर्स पर निर्भर होते हैं और हर महीने आयोजित नहीं होते। उन्होंने कहा, “मैं जिन शो में पर्फॉर्म करूँगा, उनमें उन्हें ज़रूर बुलाऊँगा,” लेकिन कोर्ट ने आदेश में किसी भी तरह का बदलाव करने से इंकार कर दिया।
पीठ ने दो टूक कहा कि हम आप पर कोई दंड नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी डाल रहे हैं। जब याचिकाकर्ता की ओर से पूछा गया कि “यूट्यूब पर शो डालना कितना मुश्किल है?”, तब कॉमेडियंस के वकील ने निर्देशों का पालन करने की सहमति दे दी।
याचिका Cure SMA Foundation की, मुद्दा गरिमा का
यह आदेश Cure SMA Foundation की उस याचिका के संदर्भ में दिया गया जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले चुटकुलों पर दिशा-निर्देश मांगे गए थे। याचिकाकर्ता ने समय रैना द्वारा SMA (spinal muscular atrophy) से पीड़ित एक बच्चे को लेकर किए गए चुटकुले का विशेष उल्लेख किया था।
इससे पहले, कोर्ट के समन के बाद सभी कॉमेडियंस को पेश होना पड़ा था और उन्हें अपने-अपने प्लेटफ़ॉर्म पर सार्वजनिक माफी जारी करने को कहा गया था।
‘SMA से जूझकर कई बच्चे मिसाल बने हैं’ - याचिकाकर्ता
सुनवाई के दौरान Cure Foundation की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि SMA से पीड़ित कई बच्चों ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
एक बच्चा आज Microsoft में काम कर रहा है
एक Michigan State University में पढ़ रहा है
एक क्लासिकल सिंगर है
एक बच्चा असमिया लेखक और प्रकाशक है
एक छात्र बायोइन्फॉर्मेटिक्स में पीएचडी कर रहा है
उन्होंने कहा कि माता–पिता ने क्राउडफंडिंग के माध्यम से इलाज के लिए पैसा जुटाया, लेकिन अपमानजनक चुटकुलों के कारण ऐसे अभियानों को चलाना मुश्किल हो जाता है।
सिंह ने यह भी बताया कि संगठन ने समय रैना द्वारा दी गई ₹2.5 लाख की आर्थिक सहायता को ठुकरा दिया, क्योंकि यह मामला पैसों का नहीं बल्कि गरिमा का था। उन्होंने दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए CSR फंड जुटाने हेतु एक अलग प्लेटफॉर्म बनाने की आवश्यकता जताई।
CJI ने सुझाया: SC/ST एक्ट जैसा सख्त कानून बने
इसी दौरान CJI कांत ने कहा कि भारत को इस दिशा में एक कड़ा कानून बनाने पर विचार करना चाहिए, जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों का अपमान करने पर दंड का प्रावधान हो, ठीक वैसे जैसे SC/ST एक्ट में है।
उन्होंने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्यों न SC/ST एक्ट जैसा कठोर कानून बनाया जाए, जिसमें अपमानजनक व्यवहार पर सज़ा हो?
सॉलिसिटर जनरल ने इस सुझाव से सहमति जताई और कहा कि हास्य की आड़ में किसी की गरिमा का हनन नहीं होना चाहिए।
CJI ने कॉमेडियंस को भविष्य में अपनी भाषा और आचरण को लेकर सजग रहने की चेतावनी भी दी।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पता है कि समय रैना ने कनाडा से सुप्रीम कोर्ट पर तंज कसते हुए जो टिप्पणी की थी, वह उनके संज्ञान में है।

