
SIR अभियान में तमिलनाडु और बंगाल आगे, केरल पिछड़ा; चुनाव आयोग की रिपोर्ट में खुलासा
जहां एक ओर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने विरोध के बावजूद उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है। वहीं, केरल और कुछ अन्य राज्य प्रशासनिक कारणों से पिछड़ते नजर आ रहे हैं। चुनाव आयोग ने उम्मीद जताई है कि दिसंबर तक सभी राज्यों में एन्यूमरेशन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
Special Intensive Revision: विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision– SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची के कार्य में जहां तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। वहीं, केरल की रफ्तार सुस्त दिखाई दे रही है। दोनों ही राज्य तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके और पश्चिम बंगाल में टीएमसी SIR अभ्यास का विरोध कर चुके हैं, यह कहते हुए कि यह प्रक्रिया आवश्यक दस्तावेज़ न होने पर पात्र नागरिकों को मताधिकार से वंचित कर सकती है।
12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहा अभियान
चुनाव आयोग के अनुसार, 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहे इस महत्वाकांक्षी मतदाता सूची शुद्धिकरण अभियान के तहत अब तक 37 करोड़ से अधिक (72.66%) मतदाताओं तक एन्यूमरेशन फॉर्म (Enumeration Forms) पहुंच चुके हैं। कुल मिलाकर यह कवायद 51 करोड़ मतदाताओं को कवर करेगी।
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में बेहतरीन प्रदर्शन
आयोग की बुधवार को जारी बुलेटिन के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 7.66 करोड़ मतदाताओं में से 6.80 करोड़ (88.8%) को फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं। तमिलनाडु में भी 6.41 करोड़ मतदाताओं में से 5 करोड़ (78.09%) को फॉर्म मिल चुके हैं। हालांकि, दोनों राज्यों की सरकारें इस प्रक्रिया के विरोध में थीं, फिर भी वितरण की गति सराहनीय रही है।
पिछड़ रहा है केरल
केरल में अब तक केवल 49.55% मतदाताओं को ही फॉर्म मिले हैं। यानी 2.78 करोड़ में से मात्र 1.38 करोड़। सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों के चलते बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) की व्यस्तता इस प्रक्रिया को धीमा कर रही है। राज्य सरकार पहले ही SIR अभ्यास को टालने की मांग कर चुकी है, यह कहते हुए कि यह स्थानीय चुनाव कार्यक्रम से टकरा रहा है।
बीजेपी शासित राज्यों में भी धीमी प्रगति
केरल के अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्य भी वितरण में पीछे हैं:—
मध्य प्रदेश: 5.74 करोड़ में से 3.09 करोड़ (53.83%)
छत्तीसगढ़: 2.12 करोड़ में से 1.35 करोड़ (63.75%)
उत्तर प्रदेश: 15.44 करोड़ में से 10.80 करोड़ (69.95%)
लक्षद्वीप और गोवा सबसे आगे
4 नवंबर से शुरू हुए इस दूसरे चरण में लक्षद्वीप ने लगभग 100% कवरेज हासिल किया — 57,813 में से 57,812 मतदाताओं तक फॉर्म पहुंचे। गोवा 99.99% पर रहा, सिर्फ 119 मतदाताओं को फॉर्म मिलना बाकी है। गुजरात में 5.08 करोड़ में से 4.47 करोड़ (88.08%)। राजस्थान में 5.48 करोड़ में से 3.89 करोड़ (70.94%)। पुडुचेरी में 10.21 लाख में से 9.5 लाख (93.04%)। अंडमान-निकोबार में 3.10 लाख में से 2.76 लाख (89.22%)।
SIR का दूसरा चरण जारी
विशेष गहन पुनरीक्षण की यह कवायद नवंबर 2024 से फरवरी 2025 तक जारी रहेगी। इसमें 12 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश हैं — अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। इनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। असम में भी 2026 में चुनाव प्रस्तावित हैं, लेकिन वहां की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया अलग से घोषित की जाएगी।
आगामी समयसीमा
एन्यूमरेशन चरण: 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक
ड्राफ्ट मतदाता सूची: 9 दिसंबर को जारी होगी
अंतिम सूची: 7 फरवरी 2025 को प्रकाशित की जाएगी
आधार और बिहार सूची शामिल
आयोग ने बिहार की संशोधित मतदाता सूची और आधार कार्ड को उन दस्तावेज़ों की सूची में शामिल किया है, जिन्हें मतदाता पहचान सत्यापन के लिए जमा कर सकते हैं। जिन मतदाताओं की पिछली जानकारी आयोग के डाटाबेस से मेल नहीं खाती, उन्हें इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) द्वारा नोटिस भेजे जाएंगे।

