
थरूर ने आडवानी को बताया 'स्टेट्समैन', मचा बवाल, कांग्रेस ने किया किनारा
थरूर द्वारा लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की बधाई देते हुए उन्हें “सच्चा राजनेता” कहने पर ऑनलाइन तीखी प्रतिक्रिया हुई, आलोचकों ने 1990 की रथ यात्रा में उनकी भूमिका का हवाला दिया; कांग्रेस ने खुद को इससे अलग कर लिया
Shashi Tharoor's Remarks On LK Advani : वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के 98वें जन्मदिन पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर की बधाई ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। थरूर ने X पर आडवाणी को “एक सच्चा स्टेट्समैन” बताया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर विपक्षी नेताओं और कई यूज़र्स ने उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया।
Wishing the venerable Shri L.K. Advani a very happy 98th birthday! His unwavering commitment to public service, his modesty & decency, and his role in shaping the trajectory of modern India are indelible. A true statesman whose life of service has been exemplary. 🙏 pic.twitter.com/5EJh4zvmVC
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 8, 2025
Sorry Mr Tharoor, unleashing the "dragon seeds of hatred" (to quote Kushwant Singh) in this country is NOT public service. https://t.co/geNBaAYTq9
— SANJAY HEGDE (@sanjayuvacha) November 8, 2025
सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना
कई लोगों ने लिखा कि आडवाणी को ‘स्टेट्समैन’ कहना उस दौर के पीड़ितों के प्रति असंवेदनशील है। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने थरूर की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा कि माफ करें श्री थरूर, इस देश में नफरत के ‘ड्रैगन सीड्स’ बोना कोई सार्वजनिक सेवा नहीं है। ‘ड्रैगन सीड्स’ शब्द का उल्लेख मशहूर लेखक खुशवंत सिंह ने अपने एक भाषण में किया था, जिसमें उन्होंने आडवाणी की रथ यात्रा को “नफरत के बीज बोने वाला” अभियान बताया था।
थरूर ने दी सफाई – ‘एक घटना से पूरी ज़िंदगी को मत आँकिए’
थरूर ने आलोचनाओं पर पलटवार करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के लंबे सार्वजनिक जीवन को एक घटना के आधार पर परिभाषित करना उचित नहीं है। उन्होंने लिखा कि नेहरूजी के जीवन को केवल चीन युद्ध की हार से, या इंदिरा गांधी को सिर्फ इमरजेंसी से नहीं आँका जा सकता। उसी तरह आडवाणीजी को भी एक घटना से परिभाषित करना अन्याय होगा।
थरूर ने कहा कि आडवाणी ने सार्वजनिक जीवन में कई दशकों तक काम किया और उन्हें सिर्फ एक राजनीतिक घटना से आंकना ‘अन्यायपूर्ण और संकीर्ण दृष्टिकोण’ है।
कांग्रेस ने बयान से बनाई दूरी
कांग्रेस पार्टी ने तुरंत थरूर के बयान से दूरी बना ली। पार्टी के मीडिया विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि जैसा कि हमेशा होता है, डॉ. शशि थरूर अपने लिए बोलते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनके इस बयान से पूरी तरह असहमत है। खेड़ा ने साथ ही कहा कि थरूर जैसे नेता का पार्टी में होना यह दर्शाता है कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक और विचारशील संगठन है, जहाँ असहमति के लिए भी जगह है।
पहले भी विवादों में रहे थरूर
यह पहली बार नहीं है जब थरूर के बयान ने कांग्रेस को असहज स्थिति में डाला हो। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की सराहना की थी, जिसके बाद पार्टी के भीतर से तीखी प्रतिक्रियाएँ आई थीं।
हाल ही में थरूर ने एक अंतरराष्ट्रीय प्लेटफ़ॉर्म प्रोजेक्ट सिंडिकेट में इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फॅमिली बिज़नस शीर्षक से लेख लिखा, जिसमें उन्होंने वंशवाद की आलोचना की और उदाहरण के रूप में गांधी-नेहरू परिवार का ज़िक्र किया। भाजपा नेताओं का कोई उल्लेख न करने पर यह लेख भी विवाद में रहा।
थरूर की छवि और कांग्रेस की दुविधा
थरूर की राजनीतिक शैली हमेशा से स्वतंत्र और उदारवादी रही है। उनकी यह टिप्पणी एक बार फिर इस बात को रेखांकित करती है कि वे कांग्रेस के भीतर अलग सोच रखने वाले नेता हैं। हालाँकि, पार्टी नेतृत्व हर बार यह साफ़ कर देता है कि थरूर की राय को आधिकारिक दृष्टिकोण नहीं माना जाए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे बयानों से कांग्रेस को बार-बार संदेश प्रबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ता है— ख़ासकर उस वक्त, जब पार्टी भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है।

