
उपचुनाव नतीजे: कांग्रेस और INDIA गठबंधन के लिए नहीं राहत की खबर
सोमवार (23 जून) को भाजपा को पांच विधानसभा सीटों में से केवल एक सीट मिली। आप को दो सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को एक-एक सीट मिली।
सोमवार (23 जून) को देश के चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित कर दिए गए। इन नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सिर्फ एक सीट गुजरात की कड़ी विधानसभा पर ही जीत हासिल हुई, जो उसका पारंपरिक गढ़ माना जाता है। बाकी चार सीटों पर BJP को करारा झटका लगा है। केरल के नीलांबर से कांग्रेस को जीत मिली। पश्चिम बंगाल के कालीगंज से तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने बाज़ी मारी। वहीं गुजरात की विसावदर और पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने कब्जा जमाया। इन नतीजों से एक तरफ जहां बीजेपी की सीमित सफलता सामने आई है, वहीं विपक्षी दलों के बीच प्रतिस्पर्धा और अंतर्कलह भी उजागर हुई है।
विपक्षी गठबंधन की मजबूती पर सवाल
उत्तर (पंजाब) से दक्षिण (केरल), पश्चिम (गुजरात) से पूर्व (बंगाल) तक BJP का पलड़ा अपेक्षाकृत हल्का रहा। लेकिन सबसे कमजोर स्थिति कांग्रेस की है, जबकि विरोधी गठबंधन INDIA ब्लॉक के बीच मतभेद भी खुलकर सामने आए हैं।
नीलांबर जीत
केरल की नीलांबर सीट पर कांग्रेस की जीत आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मनोबल बढ़ाएगी। BJP की चौथी पोजिशन और सिर्फ 8,648 वोट कांग्रेस और वाम मोर्चा के लिए राहत की बात है। हालांकि, TMC ने PV अनवर को समर्थन देकर कांग्रेस को टक्कर दी, जो राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के INDIA ब्लॉक नेतृत्व की कमजोरी को दर्शाता है।
AAP की मेहनत
विसावदर (गुजरात) और लुधियाना पश्चिम (पंजाब) उपचुनाव में AAP ने अपनी ताकत कायम की। इसने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर खिसकाया, जबकि AAP उम्मीदवारों ने विपक्षी वोटों के विभाजन का बेहतर फायदा उठाया।
लुधियाना पश्चिम
कांग्रेस ने इस सीट को AAP के खिलाफ जनादेश बनाने की कोशिश की, लेकिन AAP के संजीव अरोड़ा ने विरोधी तीनों पार्टियों कांग्रेस, BJP और अकाली दल—के वोट विभाजन से इसका फायदा उठाया।
कांग्रेस पर दोहरा प्रहार
दो उपचुनाव में हार राहुल गांधी के गुजरात अभियान के लिए बड़ा झटका साबित होगी। खासकर कड़ी सीट (एससी आरक्षित) में लगभग 40,000 वोटों से हार, उन्होंने डलिट–ओबीसी रुख अपनाया था जो प्रभावी नहीं रहा।
बंगाल में TMC की मजबूती
कालीगंज सीट पर TMC की जीत यह दर्शाती है कि ममता बनर्जी की पकड़ अभी टिकी हुई है और वह बेहतर समझती हैं कि कांग्रेस की तुलना में BJP ही उनका मजबूत प्रतिद्वंद्वी है।