BJP के दबाव और मुस्लिम नाराजगी के बीच फंसी TMC, वक्फ डेटा पर बढ़ा सियासी तूफान
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BJP के दबाव और मुस्लिम नाराजगी के बीच फंसी TMC, वक्फ डेटा पर बढ़ा सियासी तूफान

राज्य में 82,600 वक्फ़ संपत्तियां 8,063 एस्टेट्स में फैली हुई हैं। UMEED पोर्टल पर हर संपत्ति के लिए 46 अलग-अलग जानकारी अपलोड करनी होती है।


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पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा वक्फ़ संपत्तियों का डेटा तेजी से रजिस्टर कराने की कोशिश ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के भीतर चिंता बढ़ा दी है। पहले से ही अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर दबाव में चल रही पार्टी अब दो तरफा दबाव झेल रही है। एक ओर BJP का सख्त हिंदुत्व अभियान और दूसरी ओर पार्टी के कुछ मुस्लिम नेता, जो अल्पसंख्यक पहचान को और मजबूत तरीके से सामने लाना चाहते हैं।

TMC के अल्पसंख्यक नेताओं में असंतोष

राज्य के अल्पसंख्यक एवं मदरसा शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को आदेश दिया है कि वे 5 दिसंबर तक सभी वक्फ़ संपत्तियों का पूरा विवरण केंद्र के UMEED पोर्टल पर अपलोड करें। यह आदेश TMC के कई अल्पसंख्यक नेताओं को रास नहीं आया। कई वर्षों तक TMC ने BJP पर “अल्पसंख्यक विरोधी” होने का आरोप लगाते हुए खुद को मुस्लिम समुदाय के संरक्षक के रूप में पेश किया था। अब वही TMC सरकार उस वक्फ़ संशोधन कानून को लागू करने में सक्रिय दिखाई दे रही है, जिसका उसने संसद में और सार्वजनिक रूप से विरोध किया था। एक वरिष्ठ TMC अल्पसंख्यक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह हमारे लोगों के बीच भ्रम पैदा करता है। हमने केंद्र के वक्फ़ मामलों में दखल का विरोध किया था, अब अचानक इतना बदलाव क्यों?

BJP का हमला

BJP नेता अमित मालवीय ने X पर लिखा कि महीनों तक वक्फ़ संशोधन कानून का विरोध करवाने के बाद, ममता बनर्जी ने आखिरकार कानून के आगे झुक गई हैं। अब सभी जिलाधिकारियों को हर वक्फ़ संपत्ति का विवरण UMEED पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया गया है। राज्य को संविधान के मुताबिक चलना होगा, न कि ममता की राजनीति के अनुसार। Furfura Sharif के ISF विधायक नौशाद सिद्दीकी ने भी ममता बनर्जी पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

नौशाद सिद्दीकी ने The Federal से कहा कि ममता बनर्जी का दोहरा चेहरा सामने आ गया है। पहले कहती थीं कि संशोधित वक्फ़ कानून बंगाल में लागू नहीं होगा, अब वक्फ़ पंजीकरण के बहाने वही कानून लागू कर दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि TMC जिस तरह चुनावी सूची के SIR सर्वे का सार्वजनिक रूप से विरोध कर रही है, उसी दौरान प्रशासन को उसका पालन करने के लिए भी मजबूर कर रही है।

जिलों पर भारी दबाव

राज्य में 82,600 वक्फ़ संपत्तियां 8,063 एस्टेट्स में फैली हुई हैं। UMEED पोर्टल पर हर संपत्ति के लिए 46 अलग-अलग जानकारी अपलोड करनी होती है। जैसे कि संपत्ति का ऐतिहासिक विवरण, बाज़ार मूल्य, क्षेत्रफल, मुतवल्ली (caretaker) का डेटा, बैंक विवरण आदि। कई जिला अधिकारियों और वक्फ़ बोर्ड सदस्यों ने निजी तौर पर बताया कि समयसीमा में यह काम पूरा करना लगभग असंभव है और स्थानीय मुतवल्लियों में डर बढ़ रहा है कि कहीं संपत्ति पर निगरानी बढ़ने से विवाद न खड़े हों।

TMC के वरिष्ठ अल्पसंख्यक नेता भी परेशान

TMC नेता और राज्य मंत्री सिद्दीक़ुल्लाह चौधरी इस निर्णय से खासे चिंतित बताए जा रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर शीर्ष नेतृत्व से कहा है कि केंद्र से समय सीमा बढ़ाने की मांग की जाए। प्रक्रिया को सरल किया जाए। हालांकि, उन्होंने सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया। एक TMC नेता ने कहा कि चूंकि वक्फ़ कानून से जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और कोर्ट ने कई प्रावधानों पर रोक लगाई है, लेकिन रिकॉर्ड पंजीकरण पर रोक नहीं है, इसलिए सरकार कानून तोड़ने का जोखिम नहीं ले सकती थी।

TMC का अभियान

राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि बंगाल सरकार केंद्र के संशोधित कानून का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा कि वक्फ़ संपत्तियों का रिकॉर्ड बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। इसका मतलब यह नहीं कि हमने केंद्र के संशोधित वक्फ़ कानून को स्वीकार कर लिया। हालांकि, राजनीति विशेषज्ञ मानते हैं कि अल्पसंख्यकों में बढ़ती नाराज़गी को TMC इतनी आसानी से शांत नहीं कर पाएगी।

राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद सदुद्दीन ने कहा कि ममता बनर्जी ने पहले कहा था कि अगर वक्फ़ पर विरोध करना है तो दिल्ली जाइए। अब वही सरकार केंद्र के कानून को लागू कर रही है। अल्पसंख्यक समुदाय इसे लेकर खुद को ठगा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षित मुस्लिम वर्ग में असंतोष खास तौर पर बढ़ रहा है।

OBC सूची में बदलाव से भी बढ़ा असंतोष

राज्य की नयी OBC सूची को लेकर भी मुस्लिम समुदाय में असंतोष है। कई समुदायों को OBC-A (उच्च आरक्षण श्रेणी) से हटाकर OBC-B में डाल दिया गया है, जबकि कुछ हिंदू उप-जातियों को OBC-A में शामिल किया गया है। अक्टूबर में मुर्शिदाबाद में हज़ारों मुस्लिम युवाओं ने विरोध मार्च निकाला था। उनकी मांग थी कि पुरानी सूची बहाल की जाए या फिर नई व्यापक सर्वे कराया जाए। OBC कोटा बढ़ाया जाए ताकि किसी समुदाय को नुकसान न हो। इनमें से किसी मांग पर सरकार ने अब तक कार्रवाई नहीं की है।

TMC विधायक का ऐलान

अल्पसंख्यक असंतोष की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति TMC विधायक हुमायूं कबीर की ‘बगावत’ रही है। उन्होंने इस्तीफा देने की धमकी दी और घोषणा की कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद में “बाबरी मस्जिद पुनर्निर्माण” का प्रतीकात्मक शिलान्यास करेंगे। कबीर का दावा है कि वह “समुदाय की गरिमा” की रक्षा कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के भीतर इसे सीधी चुनौती माना जा रहा है।

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