बुलेट ने बताई पहलगाम के हमलावरों की पहचान, लोकसभा में बोले अमित शाह
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बुलेट ने बताई पहलगाम के हमलावरों की पहचान, लोकसभा में बोले अमित शाह

लोकसभा में अमित शाह ने बताया कि ऑपरेशन महादेव में पहलगाम हमले के तीन पाकिस्तानी आतंकी मारे गए. बैलेस्टिक रिपोर्ट से आतंकियों के पहचान की पुष्टि हुई है.


28 जुलाई की वो तारीख थी जब जम्मू-कश्मीर के लिडलवास इलाके में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस ऑपरेशन को महादेव नाम दिया गया। दोपहर करीब 1 बजे खबर आई कि तीन आतंकी मारे गए हैं और तीनों का नाता पहलगाम आतंकी हमले से था। हालांकि कुछ सवाल भी उठे कि क्या सबूत है कि मारे गए आतंकी पहलगाम के गुनहगार हैं। लेकिन 29 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान कहा कि बैसरन घाटी में 26 निर्दोष सैलानियों की हत्या के गुनहगार का सफाया हो चुका है। इन आतंकियों की पहचान सुलेमान, जिब्रान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है।

हमले से लेकर ऑपरेशन तक का सफर

अमित शाह ने बताया कि पहलगाम में यह आतंकी घटना 22 अप्रैल को हुई थी. इसके तुरंत बाद सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने तय कर लिया था कि किसी भी कीमत पर इन आतंकियों को देश की सीमा से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा।ऑपरेशन महादेव की शुरुआत 22 मई 2025 को हुई।

22 मई को इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को इन आतंकियों की मौजूदगी से जुड़ा ह्यूमन इंटेलिजेंस मिला, जिसमें दाची गांव क्षेत्र में आतंकियों के होने की सूचना थी. इसके बाद एजेंसियों ने 60 दिनों तक लगातार आतंकियों के सिग्नल कैप्चर करने की कोशिश की. ठंडे मौसम और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भारतीय सेना, IB और CRPF के जवान घूम-घूमकर सिग्नल कैप्चर करते रहे।

आखिरकार 22 जुलाई को इस प्रयास में सफलता मिली और आतंकियों का लोकेशन ट्रेस हो गया. इसके बाद सेना की चार पैरा यूनिट, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया। सोमवार को हुए इस ऑपरेशन में तीनों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया।

आतंकियों की पहचान

अमित शाह ने कहा कि आतंकियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए चार से पांच राउंड की जांच की गई। आज सुबह 4:46 बजे चंडीगढ़ से वैज्ञानिकों का फोन आया कि मारे गए आतंकी वही हैं जो पहलगाम हमले के जिम्मेदार थे।

एनआईए ने पहले ही उन लोगों को हिरासत में लिया था जिन्होंने आतंकियों को शरण दी थी। चार लोगों ने इनकी पहचान भी की, लेकिन सरकार ने इससे संतुष्ट न होकर वैज्ञानिक सबूतों से पुष्टि करने का फैसला किया.

बैलेस्टिक रिपोर्ट से हुई पुष्टि

हमले के घटनास्थल से मिले कारतूसों की FSL जांच पहले ही कराई गई थी. ऑपरेशन में मारे गए आतंकियों के पास से एक एम-9 अमेरिकन राइफल और दो एके-47 राइफल बरामद हुईं. चंडीगढ़ FSL की रिपोर्ट के आधार पर मिले खोखों का मिलान किया गया.

इन राइफलों को श्रीनगर से विशेष विमान द्वारा चंडीगढ़ भेजा गया. वहां पूरी रात फायरिंग कर खोखे तैयार किए गए और दोनों खोखों का मिलान किया गया. वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि यह वही राइफल हैं जिनसे पहलगाम हमले में गोलियां चलाई गई थीं. सुबह 4:46 बजे छह वैज्ञानिकों ने अमित शाह को फोन करके कहा— "100 प्रतिशत यही गोलियां थीं."

भावुक हुए गृह मंत्री

अमित शाह ने कहा कि यह भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त सफलता है, जिस पर पूरे देश को गर्व होना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे आज भी उस दृश्य को नहीं भूल सकते जब एक बच्ची, जिसकी शादी को सिर्फ 6 दिन हुए थे, उनके सामने विधवा बनकर खड़ी थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकियों के मास्टरमाइंड को समाप्त किया था, और अब हमारी सेना ने पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों को मार गिराया.

लंबी और थकाऊ जांच

गृह मंत्री ने बताया कि इस हमले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी. 1000 से अधिक लोगों से 3000 घंटे तक पूछताछ की गई. पीड़ितों के परिजनों, पर्यटकों, खच्चर वालों, फोटोग्राफरों और दुकानदारों से जानकारी जुटाई गई. इसके आधार पर आतंकियों के स्केच बनाए गए.

लंबी खोजबीन के बाद 22 जून को बशीर और परवेज नामक दो लोगों की पहचान हुई, जिन्होंने आतंकियों को शरण दी थी. पूछताछ में पता चला कि 21 अप्रैल की रात तीन आतंकी बैसरन से 2 किमी दूर परवेज ढोक में पहुंचे थे. दो ने काले कपड़े पहने थे और एक ने छद्म वेश, उन्होंने वहां खाना खाया और निकलते समय नमक, मिर्च और कुछ सामान साथ ले गए.

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