
क्या ब्राजील से सबक लेकर तिरुपुर को बचाएगा भारत? ट्रंप के टैरिफ का बढ़ता संकट
टैरिफ संकट भारत के निर्यात क्षेत्र में सिर्फ तिरुपुर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है। यदि केंद्र सरकार ने समय पर समर्थन नहीं दिया तो टेक्सटाइल, फुटवियर और जेम्स-ज्वेलरी जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में भारी नुकसान हो सकता है।
तमिलनाडु का टेक्सटाइल हब तिरुपुर एक गहरे संकट का सामना कर रहा है। अमेरिका द्वारा भारत से कपड़ों के आयात पर 50% टैरिफ (शुल्क) लगाए जाने के बाद, यहां का 15,000 करोड़ रुपये का वार्षिक निर्यात प्रभावित हो गया है। इससे हजारों श्रमिकों की नौकरियां और राज्य की औद्योगिक रीढ़ खतरे में आ गई है।
क्या है तिरुपुर का संकट?
तिरुपुर हर साल 45,000 करोड़ रुपये मूल्य के परिधान निर्यात करता है, जिसमें से अकेले 15,000 करोड़ रुपये का माल अमेरिका को जाता है। यहां की 60-70% टेक्सटाइल कंपनियां अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव थिरुक्कुमरन एन ने बताया कि अमेरिका की इस नीति के कारण 3,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर तुरंत रोक दिए गए हैं। हमारे लिए यह दो महीने के उत्पादन के बराबर नुकसान है।
राज्य सरकार की मांगें?
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से तुरंत राहत देने की मांग की है। उन्होंने इस संकट को ‘आर्थिक आपातकाल’ की तरह देखा है और राहत के लिए केंद्र पर दबाव बनाया है।
निर्यातकों की मुख्य मांगें
1. MSMEs को सस्ता और आसान कर्ज दिया जाए.
2. कोविड के समय जैसी क्रेडिट गारंटी स्कीम को दोबारा शुरू किया जाए.
3. लोन मोराटोरियम यानी पुनर्भुगतान पर कुछ समय की छूट.
4. 5% ब्याज सबवेंशन योजना को दोबारा लागू किया जाए.
5. ROSCTL (Rebate on State and Central Taxes) में बढ़ोतरी – 4.2% से 8–10% तक.
6. ड्यूटी ड्रा-बैक को 2.4% से बढ़ाकर 5% तक किया जाए.
क्या अमेरिका के विकल्प तलाशे जा सकते हैं?
तिरुपुर अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा माल यूरोपीय यूनियन (EU) को निर्यात करता है – 13,000–14,000 करोड़ रुपये का। लेकिन किसी भी देश या क्षेत्र की क्षमता इतनी नहीं कि वो अमेरिका की कमी पूरी कर सके। थिरुक्कुमरन एन ने बताया कि लंबी अवधि में हमें निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी। EU के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को तेज़ी से आगे बढ़ाना जरूरी है।
क्या यह टैरिफ भारत को सीधे निशाना बना रहा है?
थिरुक्कुमरन एन के अनुसार, अमेरिका की यह नीति पूरी तरह से 'स्ट्रैटजिक ट्रेड प्ले' है। भारत कूटनीति पर भरोसा करता है, जवाबी कार्रवाई नहीं करता। इसलिए हम आसान निशाना हैं।
तिरुपुर का भविष्य
तिरुपुर भारत के कॉटन निटवियर के 90% निर्यात का केंद्र है, लेकिन मैन-मेड फाइबर (Synthetic) की मांग तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल 10% सिंथेटिक प्रोडक्शन में वृद्धि हुई। ताइवान जैसे देशों से निवेश की मांग की जा रही है। नई मशीनों के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड की जरूरत है।
आजीविका पर खतरा
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स का कहना है कि तिरुपुर के निर्यात उद्योग में 6 लाख से अधिक लोग सीधे तौर पर काम करते हैं, जिनमें से दो-तिहाई महिलाएं हैं। MSMEs पर बोझ बढ़ा है और अमेरिकी कंपनियां अब छूट और भारी डिस्काउंट की मांग कर रही हैं। अगर राहत नहीं मिली तो बड़े स्तर पर छंटनी तय है।
ग्रीन और सस्टेनेबल इंडस्ट्री का उदाहरण तिरुपुर
⦁ 96% वॉटर रीसायक्लिंग, रोज़ाना 13 करोड़ लीटर
⦁ 1,950 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन, जबकि खपत सिर्फ 350 मेगावाट
⦁ 22 लाख पेड़ लगाए गए, 90% सर्वाइवल रेट
⦁ 10 से ज्यादा झीलें पुनर्स्थापित, नांजिराई झील 2022 में बर्ड सेंचुरी घोषित