उमर खालिद, 9 अन्य को 2020 दिल्ली दंगों की साजिश मामले में जमानत से इनकार
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JNU के छात्र उमर खालिद पर दिल्ली के दंगों की 'बड़ी साजिश' में शामिल होने का आरोप है

उमर खालिद, 9 अन्य को 2020 दिल्ली दंगों की साजिश मामले में जमानत से इनकार

अदालत की दो डिवीजन बेंच ने अपीलें खारिज कर दीं। विस्तृत आदेश का इंतज़ार है।


दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और सात अन्य आरोपियों को 2020 दंगों की ‘बड़ी साजिश’ मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस नवीन चावला और शलिंदर कौर की डिवीजन बेंच ने शरजील, उमर, गुलफिशा, अतर खान, अब्दुल खालिद सैफ़ी, मोहम्मद सलीम खान, शिफ़ा-उर-रहमान, मीरान हैदर और शादाब अहमद की जमानत याचिकाएँ खारिज कर दीं।

गौरतलब है कि सैफ़ी, गुलफिशा, मोहम्मद सलीम खान और शिफ़ा-उर-रहमान ने इससे पहले दो अलग-अलग बेंच के समक्ष दो बार जमानत के लिए बहस पूरी की थी, लेकिन उन न्यायाधीशों की नियुक्ति अन्य हाईकोर्ट्स में मुख्य न्यायाधीश के रूप में हो गई और उन्होंने अपना फैसला नहीं सुनाया। इन चारों ने तीसरी बार जस्टिस चावला और कौर की बेंच के सामने जमानत की मांग की थी।

एक अन्य डिवीजन बेंच, जस्टिस सुब्रहमोनियम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर,ने भी तसलीम अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी।

खुले कोर्ट में कहा गया कि उनकी “अपील खारिज की जाती है।” विस्तृत आदेश का इंतज़ार है।

तसलीम को अप्रैल 2020 में एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था और जून 2020 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें ‘बड़ी साजिश मामले’ में भी गिरफ्तार किया। मार्च 2022 में कड़कड़डूमा सत्र न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने मुख्य रूप से संरक्षित गवाहों के बयानों के आधार पर प्रथम दृष्टया माना था कि तसलीम के खिलाफ आरोप सही हैं।

इसके बाद उन्होंने दोबारा जमानत मांगी थी, जिसे कड़कड़डूमा सत्र न्यायालय ने फरवरी 2024 में दूसरी बार खारिज कर दिया। उन्होंने जमानत की मांग मुख्य रूप से उन सह-आरोपियों की बराबरी (parity) पर की थी जिन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी थी। इस मामले में कुल 18 आरोपियों पर फरवरी 23 से 25, 2020 के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे कराने की पूर्व-नियोजित साजिश का आरोप है। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC), सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकथाम अधिनियम (PDPP), शस्त्र अधिनियम और UAPA के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। मार्च 2020 में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने FIR दर्ज की थी और जांच स्पेशल सेल कर रही है।

18 आरोपियों में से, एक्टिविस्ट सफूरा ज़रगर को जून 2020 में जमानत मिली थी और एक अन्य आरोपी फैज़ान को अक्टूबर 2020 में जमानत दी गई थी।

तीन अन्य एक्टिविस्ट नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को जून 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। कांग्रेस की पूर्व पार्षद इश्रत जहाँ को मार्च 2022 में जमानत मिली। एक अन्य आरोपी सलीम मलिक की जमानत याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने अप्रैल 2024 में खारिज कर दिया। आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन अभी भी इस मामले में हिरासत में हैं।

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