झूठ बोलकर युवाओं के जख्मों पर छिड़का जा रहा नमक, PM मोदी के 8 करोड़ नौकरी वाले बयान पर खड़गे का हमला
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'झूठ' बोलकर युवाओं के जख्मों पर छिड़का जा रहा नमक, PM मोदी के '8 करोड़ नौकरी' वाले बयान पर खड़गे का हमला

केंद्रीय बजट से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी झूठ बोलकर युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं.


Congress President Mallikarjun Kharge: केंद्रीय बजट से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आठ करोड़ नई नौकरियां पैदा हुई हैं? पीएम मोदी एक के बाद एक झूठ बोलकर युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं.

बता दें कि खड़गे का यह हमला प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पिछले सप्ताह इस बात पर जोर दिए जाने के बाद आया है कि पिछले तीन-चार वर्षों में आठ करोड़ नए रोजगारों के सृजन ने बेरोजगारी के बारे में फर्जी बातें फैलाने वालों को खामोश कर दिया है.

आरबीआई रिपोर्ट

रोजगार पर भारतीय रिजर्व बैंक की हाल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार स्थिरता और विकास को प्राथमिकता देती है. छोटे और बड़े निवेशकों ने एनडीए के तीसरे कार्यकाल का उत्साह के साथ स्वागत किया है.

वहीं, 'एक्स' पर एक पोस्ट में खड़गे ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी, नौकरियों पर एक के बाद एक झूठ बोलकर आप युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं! इसलिए हम आपसे RBI के संदिग्ध आंकड़ों के बारे में तीन सवाल पूछना चाहते हैं- ऐसा क्यों है कि आपने 10 साल में 20 करोड़ नौकरियों का वादा किया था. लेकिन 12 करोड़ से ज़्यादा नौकरियां छीन लीं? आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2012 से 2019 के बीच रोजगार में 2.1 करोड़ की वृद्धि हुई. लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट कहती है कि यह वृद्धि केवल 2 लाख है. वास्तव में, दोनों रिपोर्टों का मुख्य स्रोत सरकारी पीएलएफएस सर्वेक्षण है. तो फिर सच्चाई क्या है?"

अवैतनिक कामकाजी महिलाएं

खड़गे ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि सरकारी पीएलएफएस आंकड़ों के अनुसार, जो आरबीआई रिपोर्ट का स्रोत है, 37 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं को वेतन नहीं मिलता है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 43 प्रतिशत के भयावह स्तर पर है.

कोविड-19 का प्रभाव

कांग्रेस नेता ने पूछा कि क्या यह सच नहीं है कि सरकार के अपने असंगठित क्षेत्र उद्यम वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई) के अनुसार, अनौपचारिक विनिर्माण क्षेत्र ने नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और कोविड-19 के तिहरे प्रभाव के कारण सात वर्षों में 54 लाख नौकरियां खो दीं. अगर आरबीआई के आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो भी यह खुशी की बात नहीं है कि कारखाने में काम करने वाले मजदूर, शिक्षक, छोटे दुकानदार आदि जो लोग महामारी के कारण अपने गांव चले गए थे, उन्हें खेतिहर मजदूर के रूप में काम करना पड़ रहा है. आरबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2019-20 और 2022-23 के बीच 2.3 करोड़ ऐसे लोग हैं, जो अपनी नियमित नौकरी पर नहीं लौटे.

कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि आरबीआई ने 2023-24 के आंकड़े कैसे निकाले. क्योंकि उसने क्षेत्रवार ब्यौरा नहीं बताया. जबकि पिछले वर्षों में उसने ऐसा किया था. मोदी जी, आरबीआई का दुरुपयोग करके और फर्जी रिपोर्ट प्रकाशित करके प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियां देने के वादे को छिपाना बंद करें.

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