Budget 2025: भारतीय रेलवे के पहियों में ब्रेक लगाने वाला बजट? Railway हुआ नजरअंदाज
x

Budget 2025: भारतीय रेलवे के पहियों में ब्रेक लगाने वाला बजट? Railway हुआ नजरअंदाज

Union Budget 2025: रेल दुर्घटनाओं में हुई असंख्य मौतों के बीच सिग्नलिंग और दूरसंचार प्रणालियों के लिए पैसों के उच्च आवंटन की अपेक्षा की गई.


Railway Budget 2025: लगातार दूसरे साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में रेलवे का ज़िक्र नहीं हुआ. इससे यह साफ हो गया है कि भारतीय रेलवे के महत्व को पूरी तरह से कम कर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सत्ता में आने के तुरंत बाद हुई रेल दुर्घटनाओं के बावजूद रेलवे को लेकर बजट में कोई ठोस पहल नहीं की गई. आर्थिक सर्वेक्षण में रेलवे का उल्लेख एक प्रचार पत्र की तरह किया गया. जिसमें वंदे भारत ट्रेनों की प्रशंसा तो थी. लेकिन रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं था. पहले के आर्थिक सर्वेक्षणों में रेलवे को "इकोनॉमिक मल्टीप्लायर" कहा गया था. क्योंकि इसमें किए गए हर ₹1 के निवेश से ₹5 का रिटर्न मिलने की संभावना जताई गई थी.

आर्थिक इंजन नजरअंदाज

पहले रेलवे का अलग बजट पेश किया जाता था. जो इसकी अहमियत को दर्शाता था. वर्तमान सरकार में रेलवे का महत्व घटता जा रहा है. जबकि आर्थिक मंदी की स्थिति में सरकारी पूंजीगत व्यय (Capex) बढ़ाया जाना चाहिए. निजी निवेश में कमी के बावजूद रेलवे को मिलने वाले फंड में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं की गई.

कैपेक्स का भ्रम: सिर्फ दिखावटी आंकड़े

वित्त मंत्री ने 2024-25 के बजट में ₹1.11 लाख करोड़ के रेलवे पूंजीगत व्यय का वादा किया था. लेकिन संशोधित अनुमानों में यह लक्ष्य 10% तक कम रह गया. अगले वित्तीय वर्ष के लिए रेलवे का पूंजीगत व्यय ₹2.52 लाख करोड़ तय किया गया है. लेकिन यह राशि पिछले तीन बजट से जस की तस बनी हुई है. साल 2025-26 के लिए रेलवे का कैपेक्स सिर्फ 2% की मामूली वृद्धि दर्शाता है. जो रेलवे जैसे विशाल नेटवर्क के लिए पूरी तरह से अपर्याप्त है.

रेलवे में निजी निवेश: सरकार का भ्रम?

सरकार ने बार-बार रेलवे में निजी निवेश की उम्मीद जताई. लेकिन हकीकत यह है कि PPP मॉडल (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) में निवेशकों की दिलचस्पी कम हो रही है. रेलवे के निजीकरण से IL&FS जैसे बड़े वित्तीय घोटाले सामने आए. प्राइवेट कंपनियों के निवेश की बढ़ी हुई उम्मीदें पूरी नहीं हो रही हैं. जिससे सरकार की रणनीति विफल होती दिख रही है.

रेलवे नेटवर्क की क्षमता: सबसे बड़ी समस्या

भारतीय रेलवे की प्रमुख लाइनों पर ट्रैफिक क्षमता 140-150% तक पहुंच चुकी है. जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ रही है. कोलकाता-चेन्नई रेलखंड, जहां जून 2023 में बालासोर हादसा हुआ था, पूरी तरह से ओवरलोडेड है. वंदे भारत जैसी नई ट्रेनों से सुविधाएं तो बढ़ी हैं. लेकिन वे ट्रैक पर और अधिक दबाव डाल रही हैं. धीमी गति वाली मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों को बार-बार साइडिंग में भेजा जाता है. जिससे रेलवे की क्षमता और कम हो रही है.

ट्रैक और सिग्नल: सबसे गंभीर लापरवाही

रेलवे के ट्रैक और सिग्नलिंग सिस्टम की दशा बदतर होती जा रही है. लेकिन बजट में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. 2025-26 के बजट में 700 किलोमीटर नई रेल लाइनें बिछाने का वादा किया गया है. जो पिछले साल के समान ही है. 2022-23 और 2023-24 में 4,621 किलोमीटर नई रेल लाइनें बिछाई गई थीं. जबकि इस साल की योजना बेहद मामूली है. 5,000 किमी ट्रैक नवीनीकरण का वादा पिछले तीन बजट में लगातार दोहराया गया. लेकिन इसकी स्थिति जस की तस बनी हुई है. यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए आवश्यक संयंत्रों और मशीनरी पर बजट में 30% की कटौती की गई.

रेलवे में सुरक्षा संकट और दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या

बालासोर और विशाखापट्टनम हादसों के बाद भी सिग्नलिंग सिस्टम में सुधार के लिए पर्याप्त बजट नहीं दिया गया. रेलवे मंत्री ने "कवच" सुरक्षा प्रणाली को बार-बार बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. लेकिन वित्त मंत्री ने बजट में इसका कोई जिक्र तक नहीं किया. रेलवे दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपायों को बार-बार टाला जा रहा है.

रेलवे का अलग बजट

रेलवे बजट को सामान्य बजट में विलय करना एक गलत निर्णय साबित हो रहा है. रेलवे के लिए एक विशेष वार्षिक योजना की जरूरत है. जिससे इसकी दीर्घकालिक विकास रणनीति तैयार की जा सके. बजट में रेलवे को दिया गया स्थान दर्शाता है कि सरकार की प्राथमिकताओं में रेलवे कहीं पीछे छूट गया है.

भारतीय रेलवे को अधिक ध्यान की जरूरत

बिल्कुल! भारतीय रेलवे देश की आर्थिक धुरी है. लेकिन बजट 2025 में इसे प्राथमिकता नहीं दी गई. जब तक सरकार रेलवे सुरक्षा, ट्रैक नवीनीकरण और नई लाइनों में पर्याप्त निवेश नहीं करेगी, तब तक यह उपेक्षा रेलवे यात्रियों और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती रहेगी.

Read More
Next Story