किसी से नहीं कंपटीशन- हिंदी स्थानीय भाषाओं की है दोस्त: अमित शाह
x

किसी से नहीं कंपटीशन- हिंदी स्थानीय भाषाओं की है दोस्त: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कभी प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती. क्योंकि राजभाषा हिंदी उनकी मित्र है.


Hindi Diwas: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार (14 सितंबर) को कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कभी प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती. क्योंकि राजभाषा हिंदी उनकी मित्र है और वे एक-दूसरे की पूरक हैं. दिल्ली में हिंदी दिवस के अवसर पर चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि राजभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार तब तक नहीं हो सकता, जब तक अन्य सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत नहीं किया जाता और राजभाषा उन सभी के साथ संवाद स्थापित नहीं करती.

उन्होंने कहा कि हिंदी और स्थानीय भाषाओं के बीच कभी प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती. क्योंकि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की मित्र है. हिंदी और सभी स्थानीय भाषाएं एक-दूसरे की पूरक हैं. इसलिए हिंदी और सभी स्थानीय भाषाओं के बीच संबंध मजबूत होंगे. हिंदी दिवस हिंदी को संपर्क भाषा, आम भाषा, तकनीकी भाषा और अब अंतरराष्ट्रीय भाषा बनाने का संकल्प लेने का अवसर है. हम हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता मिलने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हीरक जयंती मना रहे हैं. हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार करके और हिंदी के माध्यम से देश की सभी स्थानीय भाषाओं को जोड़कर हम अपनी संस्कृति, भाषा, साहित्य, कला और व्याकरण के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

शाह ने कहा कि हिंदी भू-राजनीतिक भाषा से अधिक भू-सांस्कृतिक भाषा है. उनके दोनों मंत्रालय गृह और सहकारिता की फाइलों के माध्यम से सभी संचार हिंदी के जरिए से किए जाते हैं. इस स्तर तक पहुंचने में तीन साल लग गए. इससे पहले हिंदी दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए शाह ने कहा कि संविधान सभा की भावना यह थी कि देश के सभी नागरिकों को एक-दूसरे से किसी भारतीय भाषा में संवाद करना चाहिए. चाहे वह हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम या गुजराती हो.

उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा कि हिंदी को मजबूत करने से ये सभी भाषाएं भी लचीली और समृद्ध बनेंगी और एकीकरण के अभ्यास से सभी भाषाएं हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य, व्याकरण व संस्कार को भी आगे ले जाएंगी.इस वर्ष हिंदी दिवस सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था.

उन्होंने कहा कि हिंदी ने 75 वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. लेकिन इस मोड़ पर मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि हिंदी की किसी स्थानीय भाषा से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है और वे एक-दूसरे की पूरक हैं. चाहे वह गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बांग्ला हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है. अगर हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखा जाए तो चाहे वह चक्रवर्ती राजगोपालाचारी हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभभाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य जेबी कृपलानी हों, ये सभी गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों से आए थे.

उन्होंने कहा कि एन गोपालस्वामी अयंगर और केएम मुंशी के नेतृत्व में गठित समिति ने संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता देने और हिंदी और अन्य सभी भाषाओं को मजबूती देने के लिए एक रिपोर्ट पेश की थी. ये दोनों नेता गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों से हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम किया गया है. मोदी जी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गर्व के साथ हिंदी में संबोधन किया है और देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में हिंदी के महत्व को सामने रखा है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने देश की भाषाओं के प्रति गौरव की भावना भी बढ़ाई है. इन 10 वर्षों में हमने कई भारतीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी प्रयास किए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने को महत्वपूर्ण स्थान देकर हिंदी और सभी भारतीय भाषाओं को नया जीवन दिया है.

शाह ने कहा कि सरकार ने इन 10 वर्षों में एक उपकरण 'कंठस्थ' विकसित किया है. हमने पिछले 10 वर्षों में संसदीय राजभाषा समिति की चार रिपोर्टें प्रस्तुत की हैं और सरकारी कामकाज में हिंदी को प्रमुखता से स्थापित करने के लिए काम किया गया है. राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल भी ला रहा है, जिसके माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके बहुत ही कम समय में किसी भी पत्र या भाषण का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जा सकेगा. इससे हिंदी और स्थानीय भाषाओं को काफी मजबूती मिलेगी.

उन्होंने कहा कि हमारी भाषाएं विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में से हैं. हिंदी हमें और हमारी सभी भाषाओं को जोड़ती है. शाह ने सभी देशवासियों से अपील की कि वे हिंदी दिवस पर हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत बनाने का संकल्प लें और राजभाषा विभाग के इस कार्य में सहयोग दें.

Read More
Next Story