
Aravalli conservation: सुप्रीम कोर्ट ने दी नई समिति बनाने की हिदायत, मंत्री ने दिया ये जवाब
Aravalli mountain range: अरावली पर्वतमाला की परिभाषा और संरक्षण को लेकर विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में है। नए आदेश और समिति के गठन से आने वाले महीनों में इस मामले का अंतिम समाधान मिलने की उम्मीद है।
भारत की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक अरावली की परिभाषा और संरक्षण को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में MOEFCC की सिफारिशों पर रोक लगाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। इस विवाद के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कदम बढ़ाते हुए आश्वासन दिया कि सरकार अरावली की संरक्षण और पुनर्स्थापन प्रक्रिया में हर संभव मदद करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर के अपने आदेश को स्थगित कर दिया, जिसमें MOEFCC की एक समिति द्वारा दी गई अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की परिभाषा को स्वीकार किया गया था। सीजेआई सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अरावली की परिभाषा से जुड़े सभी मुद्दों की जांच के लिए एक नई विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और अरावली से जुड़े राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा सरकारों को नोटिस जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं। नई समिति के गठन और अध्ययन के दौरान हम अरावली पर्वतमाला के संरक्षण और पुनर्स्थापन में MOEFCC से मांगी गई हर मदद देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ऊंचाई को लेकर विवाद
MOEFCC की पिछली समिति ने अरावली पर्वतमाला की परिभाषा में यह सुझाव दिया था कि सिर्फ 100 मीटर से ऊंची पर्वत श्रृंखला को अरावली पर्वत का दर्जा मिलेगा। इसके बाद विपक्षी दलों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसका कड़ा विरोधॉ किया और इसे पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बताया।

