यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी ने इस्तीफा दिया, निजी कारणों का दिया हवाला
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यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी ने इस्तीफा दिया, निजी कारणों का दिया हवाला

सूत्रों ने बताया कि उनके इस्तीफे का किसी भी तरह से यूपीएससी से जुड़े विवादों से कोई संबंध नहीं है, जब प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर का मामला सामने आया था


UPSC Chairman Resingned: यूपीएससी के अध्यक्ष मनोज सोनी ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस्तीफे के पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है. अगर उनके कार्यकाल की बात करें तो ये मई 2029 तक था. मनोज सोनी ने मई 2023 में ही यूपीएससी के अध्यक्ष का पदभार संभाला था. बतया जा रहा है कि अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है.


यूपीएससी विवाद से इस्तीफे का कोई लेना देना नहीं

सूत्रों का कहना है कि उनका इस्तीफा "किसी भी तरह से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से जुड़े विवादों और आरोपों से जुड़ा नहीं है, जो प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर मामले के सामने आने के बाद हुआ था."
एक सूत्र ने कहा, "यूपीएससी के अध्यक्ष ने 15 दिन पहले व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था. इसे अभी स्वीकार किया जाना बाकी है.'' प्रख्यात शिक्षाविद् सोनी (59) ने 28 जून, 2017 को आयोग के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला थ. उन्होंने 16 मई, 2023 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में शपथ ली और उनका कार्यकाल 15 मई, 2029 को समाप्त होना था.
सूत्रों का कहना है कि सोनी यूपीएससी अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं थे और उन्होंने पद से मुक्त होने का अनुरोध किया था. हालांकि, तब उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया था, सूत्रों ने कहा. उन्होंने कहा कि सोनी अब "सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों" के लिए अधिक समय देना चाहते हैं. ये घटनाक्रम इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यूपीएससी ने शुक्रवार (19 जुलाई) को कहा कि उसने खेडकर के खिलाफ फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर योग्यता से परे सिविल सेवा परीक्षा में प्रयास करने के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया है और उन्हें भविष्य में चयन से वंचित करने के लिए कदम उठाए हैं. सोशल मीडिया पर अन्य अधिकारियों द्वारा फर्जी प्रमाण-पत्रों के इस्तेमाल का दावा है.
जब से खेडकर द्वारा सत्ता और विशेषाधिकारों के दुरुपयोग का मामला सामने आया है, सोशल मीडिया पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों द्वारा फर्जी प्रमाण-पत्रों के इस्तेमाल के दावों और प्रति-दावों की भरमार है.

सोशल मीडिया पर लोगों ने कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नाम, तस्वीरें और अन्य विवरण साझा किए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए उपलब्ध लाभों का दावा करने के लिए फर्जी प्रमाण-पत्रों का इस्तेमाल किया.

कुलपति के रूप में तीन कार्यकालों तक सेवा की
यूपीएससी में अपनी नियुक्ति से पहले, सोनी ने कुलपति के रूप में तीन कार्यकालों तक सेवा की थी. इनमें 1 अगस्त, 2009 से 31 जुलाई, 2015 तक डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय (बीएओयू), गुजरात के कुलपति के रूप में दो लगातार कार्यकाल शामिल हैं; और अप्रैल 2005 से अप्रैल 2008 तक महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) बड़ौदा के कुलपति के रूप में एक कार्यकाल। MSU में शामिल होने के समय, सोनी भारत में सबसे कम उम्र के कुलपति थे. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में विशेषज्ञता के साथ राजनीति विज्ञान के विद्वान, सोनी ने 1991 से 2016 के बीच सरदार पटेल विश्वविद्यालय (SPU), वल्लभ विद्यानगर में अंतरराष्ट्रीय संबंध पढ़ाए, सिवाय उस अवधि के जब उन्होंने दो विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में कार्य किया. सोनी ने कई मान्यताएँ और पुरस्कार अर्जित किए हैं और उनके नाम कई प्रकाशन हैं. यूपीएससी का नेतृत्व एक अध्यक्ष करता है और इसमें अधिकतम दस सदस्य हो सकते हैं. वर्तमान में, यूपीएससी में सात सदस्य हैं.


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