
शहरी विकास के लिए दिया बजट, एक तिहाई नहीं हो पाया खर्च
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संसदीय पैनल ने आवंटित बजट का एक तिहाई भाग खर्च न होने पर चिंता जताई है। ये फंड प्रधानमंत्री की अहम योजनाओं के क्रियान्वयन लिए दिया गया था।
सरकारी योजनाओं के लिए बजट का प्रावधान किया जाए और वो खर्च ही न हो पाए तो इससे ज्यादा हैरानी की बात क्या होगी। आवास और शहरी विकास मंत्रालय में ऐसा ही हुआ है।
उन्हें बजट दिया गया था ८२ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का। बाद में संशोधित बजट कम कर दिया गया, लेकिन फरवरी के मध्य तक बीस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट खर्च ही नहीं हो पाया। शहरी विकास मंत्रालय की इस सुस्ती पर संसदीय पैनल ने भी चिंता जताई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संसदीय पैनल की रिपोर्ट बुधवार को संसद के सदन में रखी गई है। जिससे पता चलता है कि मौजूदा वित्त वर्ष यानी २०२४-२५ के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के पास 14 फरवरी तक 20,875.92 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए थे।
जबकि संशोधित बजट में 2024-25 के लिए इसका बजट 82,576.57 करोड़ रुपये से घटाकर 63,669.93 करोड़ रुपये कर दिया गया था। लेकिन संशोधित बजट कम किए जाने के बावजूद शहरी विकास मंत्रालय उतना पैसा भी खर्च नहीं कर पाया।
इस वित्तीय वर्ष में १४ फरवरी तक आवास और शहरी मामलों का ये मंत्रालय 42,794.01 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया था।
आवास और शहरी मामलों के संसदीय स्थाई समिति, जिसकी अध्यक्षता टीडीपी के सांसद एम श्रीनिवासुलु रेड्डी कर रहे हैं, ने बजट खर्च न होने की वजहों की जांच कराने और जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने आवंटित बजट का एक तिहाई हिस्सा खर्च न होने का ठीकरा राज्यों के सिर पर फोड़ा है। उनकी दलील है कि विभिन्न योजनाओं में प्रदान की जाने वाली केंद्रीय मदद के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से डिमांड नहीं की जाती। इस वजह से फंड खर्च नहीं हो पाया।