अमेरिका ने 35 भारतीयों को किया निर्वासित, ज़्यादातर को हथकड़ी लगाकर भेजा गया
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अमेरिकी अधिकारियों ने अब तक पंजाब, हरियाणा और गुजरात के कई युवाओं को देश से निकाला है, लगभग सभी को हथकड़ी लगाकर भेजा | फ़ाइल फोटो

अमेरिका ने 35 भारतीयों को किया निर्वासित, ज़्यादातर को हथकड़ी लगाकर भेजा गया

‘डंकी रूट’ से गए हरियाणवी प्रवासी निराश, एजेंटों को लाखों रुपए देने के बाद भी सपनों का अंत; पुलिस को अब तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली


अमेरिका से निर्वासन के दौरान भारतीय नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार की घटनाएँ जारी हैं, जबकि भारत की ओर से कई बार इस पर आपत्ति दर्ज की जा चुकी है। नवीनतम घटना में हरियाणा के कैथल, करनाल और कुरुक्षेत्र ज़िलों के 35 लोगों को अमेरिका से निर्वासित किया गया है, समाचार एजेंसी पीटीआई ने रविवार (26 अक्टूबर) को बताया। इनमें से अधिकांश को हथकड़ी लगाई गई थी।

इन अवैध प्रवासियों को लेकर विमान शनिवार रात दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा। कैथल के निवासी और निर्वासित नरेश कुमार ने बताया, “हममें से ज़्यादातर को विमान में हथकड़ी लगाई गई थी।”

निर्वासितों को घर पहुंचाया गया

निर्वासितों में 16 करनाल के, 14 कैथल के और 5 कुरुक्षेत्र के थे। अधिकारियों के मुताबिक, सभी को उनके ज़िलों में पहुँचाकर परिवारों को सौंप दिया गया। करनाल के पुलिस अधीक्षक गंगाराम पुनिया ने पुष्टि की कि 16 निर्वासित व्यक्ति ज़िले के अलग-अलग गाँवों से थे।

कैथल के डीएसपी ललित कुमार ने बताया कि रविवार को दिल्ली एयरपोर्ट से 14 व्यक्तियों को कैथल पुलिस लाइन लाया गया। इनमें से चार-चार व्यक्ति कलायत और पुंडरी ब्लॉक, दो कैथल शहर, तीन धंड ब्लॉक, और एक गुहला ब्लॉक का निवासी था।

डीएसपी ने बताया कि ये सभी “डंकी रूट” से होकर अमेरिका पहुँचे थे — यानी अवैध रूप से, खतरनाक रास्तों से।

निराश हैं प्रवासी

अधिकांश निर्वासितों की उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच है। उन्होंने बताया कि बेहतर भविष्य की तलाश में उन्होंने ज़मीन बेचकर, रिश्तेदारों से उधार लेकर और अपनी जमा-पूँजी खर्च कर लाखों रुपए एजेंटों को दिए थे।

कैथल के नरेश कुमार ने कहा कि एक एजेंट ने उन्हें 42 लाख रुपये में अमेरिका भेजने का वादा किया था, लेकिन अंततः उन्हें 57 लाख रुपये खर्च करने पड़े।

उन्होंने बताया, “मैंने एक एकड़ ज़मीन बेचकर 42 लाख रुपये दिए। फिर 6 लाख रुपये ब्याज पर उधार लिए। मेरे भाई ने ज़मीन बेचकर 6.5 लाख जुटाए, और मेरे रिश्तेदार ने जून में 2.85 लाख रुपये दिए। कुल मिलाकर 57 लाख रुपये गए।”

नरेश कुमार ने बताया कि “डंकी रूट” से अमेरिका पहुँचने में दो महीने लगे और वहाँ पहुँचने के बाद उन्हें 14 महीने जेल में रहना पड़ा, जिसके बाद उन्हें भारत निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अब वह किसी को भी ऐसा करने की सलाह नहीं देंगे।

कोई शिकायत दर्ज नहीं

डीएसपी ललित कुमार ने बताया कि अभी तक किसी एजेंट के ख़िलाफ़ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि एक निर्वासित के खिलाफ़ आबकारी अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज है।

कैथल के जिन लोगों को निर्वासित किया गया, उनमें शामिल हैं —नरेश कुमार (तारागढ़), कर्ण शर्मा (पीडल), मुकेश कुमार (अग्रवाल कॉलोनी), रितिक शर्मा (चिरंजीव कॉलोनी), सुखबीर सिंह (जडौला), अमित कुमार (हबरी), अभिषेक कुमार (बुच्ची), मोहित कुमार (बार्टा), अशोक कुमार (पाबनावा), आशीष कुमार (सेरधा), दमनप्रीत सिंह (हबरी), प्रभात चंद (सिसला), सतनाम सिंह (पहरक) और डायमंड (मुनारेहड़ी गाँव)।

ट्रंप प्रशासन के बाद सख़्ती

डोनाल्ड ट्रंप के इस साल जनवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से वहाँ की प्रवर्तन एजेंसियों ने अवैध प्रवासियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई तेज़ कर दी है।

इससे पहले भी अमेरिकी अधिकारियों ने पंजाब, हरियाणा और गुजरात के कई युवाओं को हथकड़ी लगाकर निर्वासित किया था।

विपक्ष ने इस मुद्दे को संसद में उठाया है और भारत ने कई मौकों पर अमेरिका के साथ इस पर बात की है, लेकिन निर्वासित भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार का सिलसिला जारी है।


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