80 के हुए अजीत डोभाल, भारत का जेम्म बॉन्ड; जिनके नाम से घबराता है पाकिस्तान!
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80 के हुए अजीत डोभाल, भारत का 'जेम्म बॉन्ड'; जिनके नाम से घबराता है पाकिस्तान!

Ajit Doval: अजीत डोभाल अशोक चक्र के बाद दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिसकर्मी भी हैं.


Ajit Doval birthday: अजीत डोभाल को पहली बार 20 मई 2014 को देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया गया था और वह तब से इस पद को संभाल रहे हैं. उनको रणनीतिक नेतृत्व के साथ काउंटर टेरेरिज्म का विशेषज्ञ माना जाता है. वे केरल कैडर के रिटायर्ड भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी और पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी भी रह चुके हैं. साल 1945 को उत्तराखंड में जन्मे वे भारत के सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी थे, जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. यही वजह है कि उनको भारत का 'जेम्स बॉन्ड' भी कहा जाता है. अजीत डोभाल (Ajit Doval) के नाम से पाकिस्तान भी घबराता है. 20 जनवरी को वह 80 साल के हो गए हैं. आइये उनके जीवन और अनकही दास्तान पर एक नजर डालते हैं.

वीरता पुरस्कार

केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी डोभाल (Ajit Doval) अशोक चक्र के बाद दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिसकर्मी भी हैं. डोभाल को लगातार तीसरा कार्यकाल मिलना मोदी सरकार के लिए उनके महत्व को दर्शाता है. उनकी रणनीति का ही परिणाम है कि भारत ने पाकिस्तान के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक सहित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है. ऐसा कहा जाता है कि जब मोदी साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने तो प्रमुख सचिव ने उनके पास हस्ताक्षर के लिए जो पहली फाइल लाई, वह डोभाल (Ajit Doval) की एनएसए के रूप में नियुक्ति की थी. तब से डोभाल मोदी के दाहिने हाथ माने जाते रहे हैं. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले साल डोभाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें 'अंतरराष्ट्रीय खजाना' कहा था.

खुफिया मिशन

पूर्व खुफिया ब्यूरो प्रमुख डोभाल (Ajit Doval) ने अपना लगभग पूरा करियर आईबी में बिताया है. डोभाल को सुरक्षा विशेषज्ञ के तौर पर मिजो नेशनल आर्मी में घुसपैठ करने और म्यांमार और चीन से संबंधित प्रमुख मिशनों की योजना बनाने जैसी खुफिया सफलताओं का श्रेय दिया जाता है. ऑपरेशन ब्लैक थंडर में भी उनका खुफिया काम महत्वपूर्ण था. जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद किया गया था, जो स्वर्ण मंदिर में पंजाब के आतंकवादियों के खिलाफ पहली बड़ी कार्रवाई थी. साल 1999 में आतंकियों द्वारा इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 को हाईजैक करने के बाद डोभाल वार्ताकारों में से एक थे. उनकी इसी काबिलियत को देखते हुए जब साल 2004 में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई, तो कांग्रेस सरकार ने उन्हें आईबी प्रमुख नियुक्त किया.

डोभाल (Ajit Doval) के नाम एक और उपलब्धि दर्ज है, वह है अपने करियर के छह साल के भीतर सराहनीय सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक प्राप्त करना. आमतौर पर इस पदक को हासिल करने में करीब 17 साल लग जाते हैं. डोभाल को यह पदक तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने दिया था, जिन्होंने पूर्वोत्तर में उनके काम के लिए उनको सम्मानित किया था. एक खुफिया अधिकारी के रूप में उन्होंने म्यांमार के अराकान में मिजो नेशनल आर्मी और गुप्त रूप से चीनी क्षेत्र के अंदर तक घुसपैठ की थी. उन्होंने वहां इतनी गहरी पैठ बना ली थी कि एमएनएफ नेता लालडेंगा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर डोभाल की बात मानने के लिए उन्हें अपने सेना प्रमुख को बर्खास्त करने की धमकी देनी पड़ी थी. डोभाल ने पाकिस्तान में भी छह साल बिताए और साल 1990 में कश्मीर गए, जब उन्होंने उग्रवादियों (जैसे कुका पार्रे) को कट्टर भारत विरोधी आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए प्रति-विद्रोही बनने के लिए राजी किया. इसने कथित तौर पर 1996 में जम्मू और कश्मीर में राज्य चुनावों का मार्ग प्रशस्त किया.

भारत की सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले डोभाल (Ajit Doval) की देखरेख में किए गए थे. साल 1999 में कंधार में अपहृत आईसी-814 विमान से यात्रियों की रिहाई में तीन वार्ताकारों में से एक के रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कहा जाता है कि डोभाल (Ajit Doval) ने पाकिस्तान में एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में सक्रिय आतंकवादी समूहों पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में सात साल बिताए. एक गुप्त एजेंट के रूप में एक साल के कार्यकाल के बाद, उन्होंने छह साल तक इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में काम किया.

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