
11 वर्षों बाद कैसा है पीएम मोदी और वाराणसी का रिश्ता? 2024 के झटके का अब क्या है असर
पीएम मोदी ये जानते हैं कि उनके अपने संसदीय क्षेत्र में अगला इम्तिहान केवल 2 साल बाद ही 2027 में होगा और जो अब ज्यादा दूर नहीं है.
Narendra Modi In Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अप्रैल 2025 को जब अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उतरे तो सबसे पहले उन्होंने स्थानीय पुलिस कमिश्नर, जिलाधिकारी और डिविजनल कमिश्नर से एक युवती के साथ हुए गैंगरेप के बारे में जानकारी ली और गैंगरेप में शामिल लोगों के खिलाफ प्रशासन को सख्त कार्रपाई करने की हिदायत दी. प्रधानमंत्री के इन अधिकारियों के साथ एयरपोर्ट पर किए गए संवाद की तस्वीरें कैमरे में कैद हो गई और वायरल भी हुई.
पीएम मोदी ने खुद को बताया वाराणसी के लोगों का कर्जदार
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के 8 साल पूरे होने के बाद पहली बार पीएम मोदी अपने लोकसभा संसदीय क्षेत्र पहुंचे थे. एयरपोर्ट से पीएम मोदी सभास्थल पहुंचे जहां उन्होंने 3880 करोड़ रुपये के विकास कार्यो का शिलान्यास या उद्घाटन किया, भोजपुरी में संबोधन की शुरुआत की जिसमें उन्होंने स्थानीय लोगों को अपना परिवार बताया और आशीर्वाद देने के लिए खुद को उनका कर्जदार कहा. उन्होंने कहा, काशी हमारा है और मैं काशी का हूं. उन्होंने जोर देकर कहा कि, पिछले 10 वर्षों में बनारस के विकास ने एक नई गति पकड़ी है.
2024 में पीएम मोदी के जीत का घट गया मार्जिन
सवाल उठता है कि क्यों 11 वर्षों से सांसद रहने के बाद भी पीएम मोदी को वाराणसी के लोगों को अपना परिवार बताना पड़ रहा है? क्यों उन्होंने खुद को काशीवासियों का कर्जदार बताया? तो इसकी वजह है 2024 के लोकसभा के चुनाव नतीजे. जिसमें नरेंद्र मोदी अपने निकट्म प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अजय राय से केवल 1,52,513 वोटों के अंतर से जीत सके. पीएम मोदी को 6,12,970 को कांग्रेस के अजय राय को 4,60,457 वोट मिले थे. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 6,74,664 वोटों के मार्जिन से शिकस्त दी थी. और जब 2014 में पहली बार वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़े तो उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 4 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का वो बयान आज भी ताजा है जिसमें उन्होंने कहा था मुझे मां गंगा ने बुलाया है. पर सवाल उठता है कि 2024 में 2019 और 2014 के मुकाबले क्या बदल गया?
वाराणसी में पीएम मोदी ने बहाई विकास की गंगा
वाराणसी के लोगों ने सांसद ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री को चुना है. पिछले 11 सालों से वाराणसी में विकास की गंगा भी बही है. रेलवे स्टेशन से एयरपोर्ट का विस्तार सौंदर्यीकरण से लेकर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण किया गया. काशी से महामना एक्सप्रेस और वंदेभारत ट्रेनों की शुरुआत भी हुई. प्रधानमंत्री ने खुद बताया कि, बीते एक दशक में वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी पर करीब 45000 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं और ये पैसे सिर्फ कंक्रीट में नहीं गया, ये विश्वास में भी बदला है. इस निवेश का लाभ आज पूरी काशी और आसपास के जिलों को मिल रहा है. वरिष्ठ पत्रकार स्नेह रंजन के मुताबिक, " पीएम मोदी के सांसद रहते हुए बनारस में पिछले 11 सालों में जो काम हुए हैं वो अभूतपूर्व है. कई फ्लाईओवर का निर्माण किया गया है जिससे जाम की समस्या से निजात मिली है तो गंगा किनारे घाटों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है. अमूल बनारस में आ गया है. यहां विशाल क्रिकेट स्टेडिम का भी निर्माण किया जा रहा है. मोदी के सांसद रहते बनारस सबसे बड़ा टूरिस्ट स्थल बनकर उभरा है."
पीएम मोदी की विजय रथ पर लग गया ब्रेक!
इसके बावजूद सवाल उठता है कि पीएम मोदी के विजय रथ की रफ्तार काशी में आकर धीमी क्यों हो गई? बनारस से तो पीएम मोदी लोकसभा चुनाव जीत गए लेकिन उसके आसपास के सभी लोकसभा संसदीय क्षेत्र में बीजेपी चुनाव हार गई जिसमें जौनपुर, मछलीशहर, चंदौली, गाजीपुर और प्रयागराज भी शामिल है और पीएम मोदी के जीत का मार्जिन भी घट गया. क्या ज्यादा हिंदुत्व बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी दक्षिण का सीट जो बीजेपी जैसे-तैसे जीती उसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी आता है.
INDIA ब्लॉक से मिली चुनौती
2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक, दलितों और मुस्लिमों के वोटों को लामबंद करने में कामयाब रहा था. इंडिया गठबंधन ने बीजेपी पर चुनाव जीतने पर संविधान बदलने का आरोप लगाया जो दलित वोटरों को घर कर गया और इसका फायदा भी सपा-कांग्रेस गठबंधन को मिला. 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन 80 लोकसभा सीटों में 43 सीट जीतने में कामयाब रही थी. स्नेह रंजन का मानना है कि, "कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने जो संविधान बदलने की बात चुनावों के दौरान कही उसपर जनता थोड़ा यकीन करने लगी थी इसलिए जीत का अंतर कम हो गया. उन्होंने कहा, बीजेपी के कार्यकर्ताओं का ढुलमुल रवैया भी जीत के मार्जिन घटने की प्रमुख वजह है क्योंकि वे मानकर चल रहे थे कि पीएम मोदी के नाम और काम पर जनता जीता ही देगी."
पीएम मोदी की नजर 2027 पर
11 वर्षों बाद कैसा है पीएम मोदी और वाराणसी का रिश्ता? 2024 के झटके का अब क्या है असर? उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब दो साल का समय रह गया है. बीजेपी की कोशिश है लोकसभा चुनाव में जो दलित उससे छिटक गए उन्हें कैसे भी वापस लाया जाए. इसी को देखते हुए 11 अप्रैल को सामाजिक चेतना के प्रतीक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर प्रधानमंत्री वाराणसी पहुंचे थे. साथ ही वाराणसी की जनता के साथ जुड़ाव और संवाद बनाए रखने के लिए बनारस में उनके जनसंपर्क कार्यालयों में आ रहे शिकायतों का निपटारा भी पहले के मुकाबले वॉर लेवल पर किया जा रहा है. पहले के मुकाबले अब जनता की शिकायतों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केवल 40-50 फीसदी ही जनता के शिकायतों का निपटारा किया जाता था जिसकी संख्या अब बढ़कर 90 फीसदी हो चुकी है और कोशिश है कि 100 फीसदी मिलने वाली शिकायतों का निपटारा किया जाए.
पीएम मोदी ये जानते हैं कि उनके अपने संसदीय क्षेत्र में अगला इम्तिहान केवल 2 साल बाद ही 2027 में ही होना है और जो अब ज्यादा दूर नहीं है. ऐसे में उनकी कोशिश है कि 2024 में जो नुकसान हुआ उसकी पहले ही भरपाई कर ली जाए.