
लोकतंत्र में सब कुछ ठीक नहीं, पार्टियों को आत्मचिंतन की जरूरत: धनखड़
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि लोकतंत्र बहस और संवाद से पनपता है, लेकिन वर्तमान में राजनीतिक दलों के बीच संवाद गायब है
Vice President on Democracy: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार (11 जुलाई) को कहा कि देश में लोकतांत्रिक राजनीति “एक नए निम्न स्तर” पर पहुंच गई है, जिसकी वजह से वो बेहद दुखी हैं. इसके साथ ही उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान भी किया है. उपराष्ट्रपति ने ये बात राज्य विधान परिषद् के शताब्दी समारोह के अवसर पर महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कही. धनखड़ ने ये भी कहा कि लोकतंत्र बहस और संवाद से पनपता है, लेकिन वर्तमान में राजनीतिक दलों के बीच संवाद नदारद है.
उपराष्ट्रपति ने कहा, "लोकतांत्रिक राजनीति एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गई है और इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है." उन्होंने कहा, "संसदीय लोकतंत्र में सब कुछ ठीक नहीं है. हम व्यवधान के कारण अपवित्रता झेल रहे हैं. राजनीतिक दलों के बीच संवाद गायब है."
राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने कहा कि नारेबाजी करना और सदन के बीचोबीच मार्च करना किसी भी पीठासीन अधिकारी के लिए पीड़ादायक स्थिति होती है. उन्होंने कहा कि सभापति और अध्यक्ष को दोनों पक्षों द्वारा सुविधाजनक निशाना बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि शिष्टाचार और अनुशासन “लोकतंत्र का हृदय” हैं और पीठासीन अधिकारी का सम्मान किया जाना चाहिए.
धनखड़ ने कहा, "हम दूसरे दृष्टिकोण के प्रति भी उदार नहीं हैं." उन्होंने कहा कि पार्टियां अक्सर सौहार्दपूर्ण दृष्टिकोण के बजाय टकराववादी और विरोधात्मक दृष्टिकोण अपनाती नज़र आती हैं.
उन्होंने कहा कि नैतिकता और सदाचार भारत में सार्वजनिक जीवन की पहचान रहे हैं. उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि राज्य विधानसभाएं और संसद "लोकतंत्र के उत्तरी ध्रुव" हैं, जबकि विधायक और सांसद इसके "प्रकाश स्तंभ" हैं.
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि ट्रेजरी बेंच कुर्सी के दाईं ओर होती हैं, लेकिन मानव शरीर में हृदय बाईं ओर होता है और इसी से कुर्सी की कार्यप्रणाली निर्धारित होनी चाहिए.
धनखड़ ने कहा कि महाराष्ट्र विधान परिषद का शताब्दी समारोह एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है, साथ ही उन्होंने 17वीं शताब्दी के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का भी स्मरण किया.
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)