अब सियासी पिच पर नहीं दिखेंगे वी के पांडियन, राजनीति को कहा अलविदा
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अब सियासी पिच पर नहीं दिखेंगे वी के पांडियन, राजनीति को कहा अलविदा

वी के पांडियन वो शख्स हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि ओडिशा के सीएम रहे नवीन पटनायक सरकार और पार्टी के बारे में फैसला बिना पूछे नहीं करते थे.


VK Pandian News: चार जून को जब आम चुनाव की मतगणना हो रही थी. उसी दिन ओडिशा विधानसभा के लिए भी मत गिने जा रहे थे. लोकसभा के नतीजों में जहां बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया वहीं ओडिशा की सत्ता नवीन पटनायक से छिन ली और इस तरह से करीब 24 साल के बीजू जनता दल के शासन का अंत हो गया. सियासी जानकार इसे ऐतिहासिक विषय मानते हैं.नतीजों के बाज नवीन पटनायक राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा गवर्नर रघुबर दास को सौंप दिया. अब एक और बड़े घटनाक्रम में नवीन पटनायक के कान आंख और नाक कहे जाने वाले वी के पांडियन ने ऐलान किया है कि वो अब सक्रिय राजनीति नहीं करेंगे. इसे सामान्य भाव से समझें तो राजनीति से संन्यास ले लिया है. उन्होंने यह फैसला क्यों किया.

नवीन पटनायक के करीबी थे वी के पांडियन
ओडिशा की राजनीति पर नजर रखने वाले कहते हैं कि पांडियन वो शख्स थे जिनका कब्जा सरकार और पार्टी दोनों पर था. नवीन पटनायक अपने किसी और नेता की तुलना में उन पर भरोसा करते थे. वैसे तो पांडियन का नवीन पटनायक से रिश्ता पुराना था. लेकिन कोविड-19 के दौरान उनके काम की बहुत सराहना हुई. दो तूफानों से राज्य की जनता को बचाया. ये वो काम थे जिसके बाद पटनायक की नजर में पांडियन चढ़ गए. उसका असर यह हुआ कि पांडियन अब धीरे धीरे बीजेडी के कार्यों में भी दखल देने लगे. बीजेडी के समर्पति कार्यकर्ताओं को यह सब कुछ रास नहीं आता था. लेकिन पटनायक का वरदहस्त हासिल था और उसकी वजह से कोई कुछ बोल नहीं पाता था. हालांकि बीजेपी बार बार इस मुद्दे को उठाती थी कि कोई गैर उड़िया यहां के लोगों विधाता कैसे बन सकता है. पांडियन नौकरशाह हैं और उनको सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.


बीजेपी ने बनाया था बड़ा मुद्दा
बीजेपी ने एक तरह से वी के पांडियन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. ओडिशा अस्मिता का सवाल उठाया. बीजेपी के आरोप पर पांडियन कहते थे कि बेशक वो बाहर से हैं लेकिन इस राज्य से उनका 24 साल का नाता है. उनकी पत्नी उड़िया हैं, उनके बच्चे उड़िया बोलते हैं. लिहाजा आप उन पर बाहरी होने का तोहमत नहीं मढ़ सकते. लेकिन बीजेपी का कहना था कि पांडियन अगर पटनायक को लेकर फिक्रमंद होते तो उनकी सेहत खराब नहीं होती. राजभवन के उड़िया कर्मचारियों को हवाले से कहा कि पांडियन ने एक तरह से पटनायक को कैद कर रखा है. सियासी पंडित बताते हैं कि आम उड़िया लोगों को यह विश्वास हो गया कि एक बाहरी शख्स हमारी सभ्यता को नष्ट करने पर तुला हुआ है. और उसका असर भी चुनावों में दिखा जब बीजू जनता दल लोकसभा और विधानसभा चुनाव को करारी तरह से हार गई और बीजेडी के लोगों ने हार के लिए जिम्मेदार वी के पांडियन को ठहराया.

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